संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण शुरू होने से पहले ही कांग्रेस पार्टी ने पार्टी प्रवक्ता तेज-तर्रार अभिषेक मनु सिंघवी से सोमवार को संसदीय समिति के चेयरमैन और कांग्रेस प्रवक्ता से इस्तीफा ले लिया। पार्टी ने अपनी और सरकार की फजीहत बचाने का प्रयास किया है। अश्लील वीडियो देखने के मामले में पहले से बदनाम भारतीय जनता पार्टी को अब कांग्रेस से बदला लेने का मौका मिल गया है। अभिषेक मनु सिंघवी सीडी के मामले में बुरी तरह फंस गए हैं। सिंघवी से संबंधित एक सीडी 10 दिन पहले सोशल मीडिया पर जारी की गई थी। इसमें वे कथित तौर पर किसी महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में दिखाए गए हैं। सीडी में दिखाई गई महिला वकील बताई गई है। इसके मुताबिक सिंघवी ने उसे जज बनवाने का लालच देकर उसके साथ संबंध बनाए। सीडी के प्रसारण पर दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है पर इंटरनेट पर यह सीडी खूब चल रही है। कहा जा रहा है कि सिंघवी के ड्राइवर ने यह सीडी बनाई। बाद में उसने सीडी से छेड़छाड़ किए जाने की बात भी मानी। सिंघवी ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि मैंने इस्तीफे का फैसला अपने बारे में वितरित की जा रही सीडी को लेकर संसद की कार्यवाही में व्यवधान होने की आशंकाओं को खत्म करने की खातिर लिया है। मुझ पर लगे सभी आरोप पूरी तरह से निराधार और झूठे हैं। सीडी पर अटकलें लगाने के बजाय लोगों को निजता का सम्मान करना चाहिए। बेशक सिंघवी ने इस्तीफा तो दे दिया है पर हमें नहीं लगता कि कांग्रेस की फजीहत इतनी आसानी से खत्म होगी। सिंघवी ने स्वेच्छा से इस्तीफा नहीं दिया, उन्हें ऐसा करने पर मजबूर किया गया। बजट सत्र के दूसरे चरण में सरकार पहले से ही दबाव में है और वह एक और सिरदर्द नहीं बढ़ाना चाहती पर भाजपा पहले से झेल रही सीडी प्रकरण (कर्नाटक विधानसभा) भला ऐसा मौका अपने हाथ से कैसे जाने देती? भाजपा नेता व राज्यसभा में नेता विपक्ष अरुण जेटली इस मामले में राज्य सभापति हामिद अंसारी से मिले और उन्होंने सभापति को कहा कि ऐसा व्यक्ति किसी संसदीय समिति का चेयरमैन नहीं रह सकता जिस पर बेहद आपत्तिजनक आरोप लग रहे हों। यह संदेश कांग्रेस के फ्लोर मैनेजरों तक भी पहुंचाए गए। भाजपा ने दोतरफा तरीके से सरकार और कांग्रेस को संसद में घेरने की रणनीति बनाई है। भाजपा नेताओं का कहना है कि अगर कांग्रेस ने सांसद के इस तर्प को मान लिया कि सीडी सही नहीं है और इसके साथ छेड़छाड़ की गई है और उनका ड्राइवर ब्लैकमेल कर रहा है तो यह मामला संसदीय विशेषाधिकार नियमों के तहत जांच की परिधि में आ जाता है। इसके मुताबिक किसी संसद सदस्य के साथ इस तरह का आचरण अवमानना की परिधि में आता है। दूसरी तरफ सीडी के कथित रूप से किसी को जज बनवाने के वादे का आरोप सही है तो यह मामला सदन की एथिक्स कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए। सिंघवी के इस्तीफे के बाद भी भाजपा इस मामले को छोड़ने को तैयार नहीं है। जेटली ने कहा कि वह संसद में यह मामला जरूर उठाएंगे। संसद सदस्य होने की हैसियत से श्री सिंघवी को यह बताना पड़ सकता है कि उन्होंने इस्तीफा किस वजह से दिया है। संसद सदस्य होने की वजह से सिंघवी की यह निजी जीवन का तर्प इसलिए ढेर हो सकता है कि वह सार्वजनिक जीवन में हैं और इसके चलते ऐसा मामला प्राइवेट नहीं हो सकता। चूंकि वह सार्वजनिक जीवन में हैं, इसी वजह से संसद की विधि मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष बनाए गए थे। इसलिए संसद को यह जानने का अधिकार है कि वह ऐसा कौन-सा निजी कारण है जो उनके सार्वजनिक जीवन को प्रभावित कर रहा है? दूसरी ओर अगर वह कहते हैं कि यह सीडी उन्हें बदनाम करने या उनकी प्रतिष्ठा को समाप्त करने के लिए किसी ने गलत तरीके से बनाई है तो यह किसी भी सांसद के विशेषाधिकार हनन का सीधा मामला है और अगर सीडी सच्ची है तो यह संसद की शिष्टाचार समिति का मामला बनता है जिसमें किसी भी सांसद के सार्वजनिक जीवन में आने पर सामाजिक व्यवहार का संज्ञान लिया जाता है। वैसे अगर सिंघवी को इससे संतोष होता है कि उनकी सेक्सी सीडी यू ट्यूब में डालने वाले शख्स ने दावा किया है कि उसके पास गृहमंत्री पी. चिदम्बरम की रूसी वेश्या के साथ सेक्स सीडी है जिसे वह तब जारी करेगा जब सिंघवी को कांग्रेस से निकाला नहीं जाएगा। बुरे फंसे सिंघवी `इधर पुंआ तो उधर खाई।
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