राजधानी दिल्ली में छोटी बच्चियों के सौदागरों ने आफत मचा रखी है। पिछले दिनों ऐसी उठाई गई आठ बच्चियों को छुड़ाया गया। एक एजेंसी ने छापा मारकर जिन आठ बच्चियों को छुड़ाया तो उन्होंने अपनी आपबीती चाइल्ड वैलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) को बताई। इसके बाद सीडब्ल्यूसी ने पुलिस को निर्देश दिया कि इन लड़कियों से मिले सुरागों के आधार पर प्लेसमेंट एजेंसियों और ट्रेफिकिंग रैकेट में शामिल लोगों की पहचान की जाए और उन पर कार्रवाई की जाए। सीडब्ल्यूसी, लाजपत नगर ने पुलिस को निर्देश दिया है कि ट्रेफिकिंग के जाल में फंसी बाकी बच्चियों को भी छुड़ाया जाए। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों सीडब्ल्यूसी के निर्देश पर दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक प्लेसमेंट एजेंसी पर छापा मारकर आठ बच्चियों को आजाद कराया था। इन बच्चियों को पश्चिम बंगाल के अलग-अलग गांवों से ट्रेफिकर्स यहां लाए थे। प्लेसमेंट एजेंसी ने इन्हें नौकरानी के काम पर लगा दिया था। आरोप है कि वहां इनका शोषण हो रहा था। सूत्रों के मुताबिक कम से कम 20 बच्चियां इनके जाल में हैं। वसंत विहार जैसे पॉश इलाके से पिछले दिनों एक आठ साल की बच्ची को एक घर से छुड़ाया गया। यह बच्ची वहां नौकरानी थी। बटरफ्लाई चाइल्ड हेल्पलाइन ने वसंत विहार थाने में इस बारे में शिकायत दर्ज की थी। एडीशनल डीसीपी (साउथ) प्रमोद कुशवाहा ने बताया कि बच्ची बिहार के छपरा की रहने वाली है। जिस घर से बच्ची को छुड़ाया गया है, उसके मालिक का कहना है कि बच्ची उनकी दूर की रिश्तेदार है और 10 दिन पहले ही उसकी दादी उसे वहां छोड़कर आई थी। छुड़ाई गई आठ लड़कियों को सीडब्ल्यूसी के सामने पेश किया गया। दो लड़कियों ने साफ बताया कि उनके साथ बहुत कूरता की गई। उन्होंने कहा कि एम्प्लायर ने उन्हें फिजिकली अब्यूज किया और ये यौन प्रताड़ना की शिकार बनीं। प्लेसमेंट एजेंसी के मालिक के खिलाफ भी शिकायत है कि उसने बच्चियों को कोई मेहनताना भी नहीं दिया। एक लड़की ने बताया कि मालवीय नगर में जहां वह काम करती थी, उसका मालिक उसे छोटी-छोटी बातों पर पीटता था। उसे कभी पैसा नहीं दिया। दूसरी लड़की ने बताया कि उसे बुरी तरह मारा जाता था। उसने दाईं आंख पर चोट के निशान भी दिखाया। उसने बताया कि किस तरह मालिक का बेटा कई बार उसके शरीर को छूता था। जब कोई घर में नहीं होता था तो वह मुझे अपने कमरे में बुलाता था। जब मैंने यह सब करने से मना कर दिया तो उसने बुरा बर्ताव शुरू किया। मैंने डर के मारे किसी को कुछ भी नहीं बताया। एक नाबालिक लड़की जो मेड का काम करती थी, उसको पुलिस और बचपन बचाओ आंदोलन कार्यकर्ताओं ने गीता कॉलोनी से हाल में छुड़ाया। इलाके के घर में नौकरानी का काम करने वाली पर मालिक का डर इतना हावी था कि उसने चार साल पहले अपनी मां को ही पहचानने से इंकार कर दिया। बुधवार को जब वह अपने परिवार से मिली तो उसके आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। राजधानी में मेडों के नाम पर ट्रेफिकिंग का धंधा फलफूल रहा है और इनमें कुछ प्लेसमेंट एजेंसियों का बहुत बड़ा हाथ है। इसे कैसे रोका जाए, यह पुलिस के अलावा मां-बाप और समाज की भी जिम्मेदारी बनती है।
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