सैन्य शक्ति के विकास की दिशा में भारत ने एक और गौरवशाली इतिहास रच डाला। भारत ने बृहस्पतिवार को परमाणु क्षमता से लैस पांच हजार किलोमीटर दूर स्थित लक्ष्य को भेदने में सक्षम इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) अग्नि-5 के कामयाब परीक्षण के साथ ही जहां मिसाइल के क्षेत्र में बादशाहत हासिल करके पूरी दुनिया में भारत का डंका पीट दिया वहीं इतिहास भी रच दिया। ओडिशा से तट के समीप स्थित इनरव्हील द्वीप से सुबह आठ बजकर सात मिनट पर प्रक्षेपित की गई इस मिसाइल ने निर्धारित प्रक्षेपण मार्ग (ट्रेजैक्ट्री पाथ) का शत-प्रतिशत अनुसरण करते हुए जब 20 मिनट बाद सुदूर लक्ष्य को भेदा, तो रक्षा वैज्ञानिक खुशी से उछल पड़े। इस सफल परीक्षण के साथ ही भारत अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन के साथ उन चुनिन्दा देशों के समूह में शामिल हो गया है जिनके पास आईसीबीएम की क्षमता है। इस मिसाइल के सफल प्रक्षेपण से भारत ने पेइचिंग सहित चीन, पूर्वी यूरोप, पूर्वी अफ्रीका और आस्ट्रेलियाई तट के लक्ष्यों को निशाना बनाने की क्षमता हासिल कर ली है। अग्नि-5 का सफल परीक्षण एकीकृत मिसाइल विकास कार्यक्रम में भारत की लम्बी छलांग को प्रदर्शित करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मिसाइल विशेषताओं वाली है। फिलहाल केवल अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन के पास आईसीबीएम को प्रक्षेपित करने की क्षमता है। भारत ने अपनी सबसे ताकतवर और पहली आईसीबीएम का कामयाब टेस्ट क्या किया, पड़ोसी चीन का मीडिया बौखला गया। एक चीनी अखबार ने अग्नि-5 के टेस्ट के बाद पहली प्रतिक्रिया में लिखा है कि भारत को इससे कुछ भी हासिल नहीं होगा और न्यूक्लियर हथियारों के मामले में भारत चीन के आगे कहीं नहीं ठहरता है। चीन की बौखलाहट हमें समझ आती है। अग्नि-5 मिसाइल की कई खूबियां बेमिसाल हैं। एटमी वारहैड से लैस यह मिसाइल किसी भी युद्ध की बाजी पलटने की ताकत रखती है। दो और परीक्षणों के बाद इसे 2014-15 तक सेना के हवाले कर दिया जाएगा। इस मिसाइल की रेंज को जरूरत के अनुसार बढ़ाया जा सकता है। भारतीय मिसाइल बेड़े में यह पहला प्रक्षेपास्त्र है जो भारत को जरूरत पड़ने पर चीन के सभी हिस्सों तक मार करने की क्षमता रखता है। हालांकि अग्नि-5 अभी चीन की डोंगफेंग-31 का छोटा जवाब ही है क्योंकि यह चीनी मिसाइल दुनिया के किसी भी हिस्से में प्रहार कर सकती है पर इससे भारत कम से कम जवाबी कार्रवाई तो कर सकता है। अग्नि-5 भारत की सबसे तेजी से विकसित मिसाइल है। इसे महज तीन साल में तैयार किया गया है। इसे अचूक बनाने के लिए भारत ने माइक्रो नेविगेशन सिस्टम, कार्बन कम्पोजिट मैटेरियल से लेकर मिशन कम्प्यूटर व सॉफ्टवेयर तक ज्यादातर चीजें स्वदेशी तकनीक से विकसित की हैं। संयोग से 1975 में 19 अप्रैल को ही भारत ने आर्यभट्ट उपग्रह को लांच किया था और अंतरिक्ष में अपनी सफलता का सितारा रखा था। इस मिसाइल के सफल परीक्षण ने भारत के दुश्मनों पर बल डाल दिए हैं। अब हम पर कोई पड़ोसी हमला करने से पहले दस बार सोचेगा। तमाम वैज्ञानिकों को इस शानदार सफलता पर बधाई।
Agni Missile, Anil Narendra, Daily Pratap, Vir Arjun
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