Sunday, 15 April 2012

यह शाहरुख का अपमान नहीं भारत का अपमान है

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 15 April 2012
अनिल नरेन्द्र
पता नहीं, अमेरिका के इमिग्रेशन अधिकारियों को शाहरुख खान से क्या व्यक्तिगत खुंदक है कि जब भी वह अमेरिका जाते हैं उनसे बदसलूकी की जाती है। शाहरुख को एक बार फिर अमेरिका में लम्बी जलालत झेलनी पड़ी है। परसों किंग खान, उद्योगपति मुकेश अम्बानी की पत्नी नीता अम्बानी और कुछ अन्य लोगों के साथ न्यूयार्प एयर पोर्ट पहुंचे। दरअसल शाहरुख येल विश्वविद्यालय के निमंत्रण पर अमेरिका गए थे। सूत्रों के मुताबिक नीता और अन्य लोगों को तो तुरन्त जाने दिया गया लेकिन शाहरुख को रोक कर रखा गया। करीब 2 घंटे के बाद भारतीय कौंसुलेट जनरल के दखल देने पर शाहरुख को इमिग्रेशन क्लियरेंस जाकर मिल सकी। हमें समझ यह नहीं आता कि बार-बार ही शाहरुख को अमेरिकी इमिग्रेशन अपना निशाना क्यों बनाती है? इससे पहले भी एक बार 2009 में न्यूजर्सी एयर पोर्ट पर शाहरुख को रोका जा चुका है। शाहरुख ने तब कहा था कि मुझे इसलिए रोका गया क्योंकि मेरे नाम में खान जुड़ा है। तब कहा गया था कि शाहरुख का नाम उनके (अमेरिकी) सिस्टम में दर्ज था, ऐसे में शाहरुख को इमिग्रेशन क्लियरेंस देने के लिए सीनियर अधिकारियों की मंजूरी जरूरी थी। अगर साधारण शब्दों में कहा जाए तो अमेरिकी इमिग्रेशन की क्लियरेंस सूची में शाहरुख का नाम नहीं है और उनके नाम के आगे शायद यह दर्ज है कि अमुक व्यक्ति जब भी आए उसकी तलाशी लो और रोक कर घंटों तक सवाल-जवाब करो और उसको बेइज्जत करो। नहीं तो एक बार जब एक शख्स को रोका जाए, सवाल-जवाब किए जाएं और यह सब संतोषजनक हो तो फिर वही किस्सा हर बार क्यों दोहराया जाता है? शाहरुख खान किसी भी प्रकार से अमेरिका के लिए कोई सिक्यूरिटी थ्रैट नहीं हो सकते फिर भी हर बार जानबूझ कर उनको जलील करते हैं। शाहरुख खान न केवल भारत में ही बल्कि सारी दुनिया में एक सुपर स्टार के रूप में जाने जाते हैं। फिर आपकी येल जैसी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी ने उनको विशेष रूप से आमंत्रित किया, इस सबके बावजूद आप उस शख्स को जलील कर रहे हैं, आखिर क्यों? दरअसल अमेरिका की नजर में भारतीयों की कोई इज्जत नहीं। अगर ऐसा न होता तो 2009 में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की दिल्ली में अमेरिकी एयर लाइंस के कर्मचारियों द्वारा तलाशी न ली जाती। पिछले साल भी उनकी दो बार अमेरिका में तलाशी ली गई। विस्फोटक की जांच के नाम पर श्री कलाम की जैकिट और जूते उतरवा लिए गए थे। 2010 में अमेरिका में भारतीय राजदूत मीरा शंकर को मिसिसिपी एयर पोर्ट पर तलाशी से गुजरना पड़ा था क्योंकि उन्होंने साड़ी पहन रखी थी। सन 2002 और 2003 में तो कमाल ही हो गया था जब पूर्व रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडीस को वाशिंगटन एयर पोर्ट पर न केवल रोका गया बल्कि उन्हें कपड़े उतरवा कर तलाशी देनी पड़ी। यह शाहरुख का निजी अपमान नहीं यह भारत का अपमान है। शाहरुख को तो कसम खा लेनी चाहिए कि बार-बार जलील होने से बेहतर है कि वह भविष्य में अमेरिका जाने से गुरेज करें। अगर इस नपुंसक भारत सरकार में दम है तो किसी बड़े अमेरिकी अधिकारी का इन्दिरा गांधी एयर पोर्ट पर रोक कर, कपड़े उतरवा कर तलाशी ले? पर क्या हमारे में इतनी हिम्मत है?
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