Wednesday, 25 April 2012

थाली से गायब होती सब्जियां असल कारण?

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 25 April 2012
अनिल नरेन्द्र
महंगाई बढ़ती ही जा रही है। जनता को दो वक्त की रोटी खाने में भी अब मुश्किल हो रही है। तमाम सब्जियों के रेट आसमान पर जा पहुंचे हैं। आम आदमी का सारा किचन बजट बिगड़ चुका है। आमतौर पर जब गर्मी बढ़ती है तब सब्जियों के रेट बढ़ते थे लेकिन इस बार अप्रैल में सब्जियों के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं। 15 दिन पहले तक 12 रुपये से 14 रुपये किलो बिकने वाला आलू 18 रुपये तक में बिक रहा है। जो लोग 25 से 28 रुपये किलो तक टमाटर खरीद रहे थे, उसके रेट अब 55 से 60 रुपये किलो हो चुके हैं। भिण्डी और टिण्डे जैसे सब्जियों के दाम 75 रुपये से 100 रुपये किलो के बीच हैं। गौरतलब है कि राजधानी की थोक बाजार वाली सब्जी मण्डी में पिछले एक माह में विभिन्न सब्जियों के दायरे में तीन गुना से ज्यादा बढ़ोतरी हो चुकी है। इसके चलते आम आदमी की थाली से सब्जियां पूरी तरह गायब हो चुकी हैं। प्याज, टमाटर और आलू जैसी सब्जियां भी लोगों की पहुंच से बाहर हो गई हैं। व्यापार विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा सब्जियों की आपूर्ति में आई भारी कमी के चलते हो रहा है। कारोबारी नेता इसके पीछे मुख्यत दो कारण बता रहे हैं। पहला तो उत्पादन में कमी और दूसरा पाकिस्तान को हो रहे निर्यात हैं। राजधानीवासियों के हिस्से की सब्जियां पाकिस्तानी खा रहे हैं। आजादपुर मण्डी के एक प्रमुख कारोबारी ने बताया कि मौसम में आए तेजी से बदलाव के चलते सब्जियों के उत्पादन में कमी आई है। मैदानी इलाकों में एक साथ धूप बढ़ जाने से उत्पादन गिरा है। पहाड़ों की सब्जियों की आवक बेहद कम है। मांग के अनुसार सब्जियां आने में अभी कम से कम एक पखवाड़े का समय लगेगा। इसके बाद ही जनता थोड़ी राहत की उम्मीद कर सकती है। ग्रीन वेजिटेबल्स एसोसिएशन के सदस्य पंकज शर्मा का कहना है कि इस साल पाकिस्तान को सब्जियों का निर्यात भारी मात्रा में हुआ है, अब भी हो रहा है। इसके चलते घरेलू मण्डियों में सब्जियां पहुंच ही नहीं पा रहीं। इस बार भिण्डी, टमाटर, लौकी जैसी सब्जियों के दाम एक बार भी नीचे नहीं आए। शिमला और हिमाचल प्रदेश के विभिन्न शहरों में सब्जियों की आवक मामूली ही रही है। 200 गाड़ियों के बजाय 2 गाड़ियां ही आ रही हैं। पाकिस्तान एक्सपोर्ट होने वाली सब्जियों में टमाटर और प्याज प्रमुख हैं। गर्मी के मौसम में स्टोरेज की दिक्कतें भी होती हैं। भिण्डी और टिण्डे के दाम ज्यादा होने से लोग इसे 250 ग्राम या आधा किलोग्राम ही खरीदते हैं। कम बिक्री होने के चलते सब्जी बेचने वालों को भी अपना प्रॉफिट मार्जिन निकालना होता है। इस वजह से मण्डी में ही महंगी मिल रही इन सब्जियों के रेट आम आदमी तक पहुंचते-पहुंचते काफी ज्यादा हो जाते हैं। सवाल यह है कि जब घरेलू मार्केट के लिए सब्जियों की पर्याप्त सप्लाई नहीं है तो भारत सरकार सब्जियों को पाकिस्तान क्यों एक्सपोर्ट कर ही है? पहले अपने देशवासियों को तो पूरी सब्जियां उपलब्ध करवा दो, उनकी थाली में सब्जियों का प्रबंध करवा दो फिर इन्हें पाकिस्तान भेजने की सोचो। गर्मी के महीने में पाक निर्यात को तुरन्त बन्द किया जाए जब पर्याप्त मात्रा में आ जाएं तब एक्सपोर्ट की सोचना।
Anil Narendra, Daily Pratap, Inflation, Price Rise, Vir Arjun

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