Monday 9 April 2012

नितिन गडकरी को दूसरा टर्म मिलेगा या नहीं?

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 9 April 2012
अनिल नरेन्द्र
भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष नितिन गडकरी को क्या एक टर्म और मिलेगा? यह प्रश्न आजकल भाजपा में चर्चा में है। श्री गडकरी पद्भार सम्भालते ही विवादों से घिरे रहे। ताजा स्थिति तो यह है कि भाजपा में व्यवसायीकरण का तड़का लगाने की कोशिश कर रहे पार्टी अध्यक्ष से पार्टी के शीर्ष नेताओं ने धीरे-धीरे दूरी बनानी शुरू कर दी है। दो दिन पहले भाजपा का 32वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम 11, अशोक रोड स्थित पार्टी मुख्यालय पर आयोजित किया गया था। इस समारोह में पार्टी के लगभग सभी वरिष्ठ पहले से तय कार्यक्रमों में व्यस्त होने के बहाने नदारद रहे। राजनाथ सिंह दिल्ली में मौजूद होने के बावजूद अपने आवास से चन्द कदम की दूरी के बावजूद पार्टी के कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। नितिन गडकरी के फैसले भाजपा में कलह का कारण बन रहे हैं। शीर्ष नेताओं के बीच दूरियां बढ़ रही हैं। सामूहिक नेतृत्व और फैसलों में भी सामूहिकता का दम भरने वाली भाजपा में शीर्ष नेता गलत फैसलों का ठीकरा खामोशी के साथ एक-दूसरे के सिर फोड़ खुद को पाक-साफ दिखाने में लगे हैं। पार्टी में टकराव का कारण बनें अंशुमान मिश्रा तो विदेश चले गए लेकिन भाजपा नेतृत्व में विभाजन करवा गए। मिश्रा के बोल भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को कांटों की तरह चुभ रहे हैं। पहले उत्तर प्रदेश के चुनावों में पार्टी का निराशाजनक प्रदर्शन और फिर राज्यसभा चुनाव में अंशुमान मिश्रा प्रकरण ने गडकरी के खिलाफ लामबंदी का माहौल तैयार कर दिया है। यूपी चुनाव में बाबू सिंह कुशवाहा को लेना, टिकटों का वितरण सहित कई अहम फैसले गडकरी ने अपने दम पर ही लिए थे। गडकरी को दूसरा कार्यकाल देने के संघ के फैसले को अमल में लाना भी काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। भाजपा विधान के तहत हर तीन पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी नहीं हो सकी। इसी तरह भाजपा के रणनीति पर चर्चा करने वाली सबसे बड़े फोरम राष्ट्रीय परिषद की पिछले साल कोई बैठक नहीं हो सकी। भाजपा अध्यक्ष का कार्यकाल इसी साल दिसम्बर में खत्म हो रहा है। कार्यकाल खत्म होने से पहले यह फैसला होना है कि नितिन गडकरी को एक और टर्म के लिए पार्टी अध्यक्ष चुना जाए या नहीं। पार्टी में कुछ नेताओं का मानना है कि गडकरी को सेवा विस्तार देने की बजाय तेज-तरार हिन्दूवादी छवि वाले गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को अध्यक्ष बनाया जाए। पार्टी में मोदी समर्थकों के अनुसार अक्तूबर में हो रहे गुजरात विधानसभा चुनावों के बाद मोदी को राज्य की राजनीति से निकालकर उन्हें केंद्र की राजनीति में लाया जाना चाहिए। वैसे भी गडकरी का कार्यकाल दिसम्बर माह में खत्म हो रहा है जबकि गुजरात विधानसभा का कार्यकाल दिसम्बर माह में खत्म हो रहा है जबकि गुजरात विधानसभा चुनाव अक्तूबर में सम्पन्न हो जाएंगे। भाजपा के अनेक वरिष्ठ नेता गडकरी के नेतृत्व में 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ने को तैयार नहीं है। पार्टी के अन्दर गडकरी का जिस तरह विरोध हो रहा है उससे तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भी दोबारा सोचने पर मजबूर होना पड़ेगा। भाजपा के संविधान में एक व्यक्ति को एक ही टर्म देने का नियम है जिसमें गडकरी को दूसरा टर्म बिना भाजपा के संविधान में संशोधन किए बगैर नहीं मिल सकता है और यह काम इतना आसान नहीं होगा। गडकरी को दूसरा टर्म मिलेगा या नहीं?
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