Sunday 6 September 2015

तीन साल के मासूम के शव से हिली दुनिया

तुर्की के तट पर मिले तीन साल के सीरियाई मासूम के शव की चर्मस्पर्शी तस्वीर ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। इस तस्वीर की वजह से दुनिया का ध्यान वैश्विक शरणार्थी समस्या पर गया है। एक ओर जहां पूरी दुनिया में खास तौर पर यूरोप में शरणार्थी समस्या को लेकर जगह-जगह प्रदर्शन हुए हैं तो वहीं दूसरी ओर फ्रांस, जर्मनी और इटली ने यूरोपीय शरणार्थी नियमों के बारे में दोबारा सोचने और विचार करने की अपील की है ताकि 28 सदस्यीय यूरोपीय देशों के बीच शरणार्थियों का बोझ उठाने का साफ तौर पर बंटवारा हो सके। इससे पहले बुधवार को तुर्की के बोरडेम तट पर मिले मासूम बच्चे के शव की पहचान तीन वर्षीय अयलान कुर्दी के रूप में हुई है। तुर्की की मीडिया एजेंसी डोगन की रिपोर्ट के अनुसार अयलान और उसका समूह आईएस (इस्लामिक स्टेट) से बचने के लिए सीरिया के कोबाने से भागकर तुर्की पहुंचा था। इस बच्चे के पांच वर्षीय भाई गालिप और मां रेहान की भी नौका डूबने से मौत हो गई। अयलान की सोशल मीडिया में वायरल हुई इस तस्वीर ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। यह बच्चा उन 12 सीरियाई लोगों में से एक है जो ग्रीस पहुंचने की कोशिश कर रहे थे, मगर नाव डूब जाने से बीच रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। दो नावों में सवार 23 लोगों में से महज नौ लोग ही जीवित बच सके, जिसमें उसका पिता अब्दुल्लाह कुर्दी भी है। नौका हादसे में अपने बीवी-बच्चों को गंवाने वाले इस अभागे अब्दुल्लाह ने बताया कि उसकी इच्छा बीवी और बच्चों के शवों के साथ कोबाने लौटने की है, जहां वह उन्हें दफनाने के बाद खुद उनके बगल में दफन होना चाहता है। बीबीसी के एक ट्विट के मुताबिक अब्दुल्लाह कुर्दी ने बताया कि मैंने अपनी बीवी और बच्चों को पानी में पकड़ने की कोशिश की मगर कोई उम्मीद नहीं थी। यूएन मानवाधिकार परिषद के मुताबिक सीरिया में 2011 से जारी गृहयुद्ध के चलते 40 लाख से ज्यादा सीरियाई नागरिक पलायन को मजबूर हो चुके हैं। इस साल अब तक तुर्की में सबसे ज्यादा करीब 17 लाख शरणार्थी पहुंचे हैं। यूरोपीय संघ के बड़े देशों ने इस समस्या से निपटने के लिए कोशिशें तेज तो कर दी हैं मगर इन देशों में मतभेद भी साफ तौर पर उभरकर सामने आ रहे हैं। यूरोपीय देशों का कहना है कि प्रवासियों की समस्या एक खतरा तो है मगर प्रवासियों का बोझ उठाने के लिए यूरोपीय संघ के 28 देशों के पास कोई तय कार्यक्रम नहीं बन सका। उम्मीद की जाती है कि इस दयनीय व मानवीय त्रासदी की समस्या का जल्द कोई हल निकलेगा।

-अनिल नरेन्द्र

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