सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और पाकिस्तान रेंजर्स के महानिदेशकों (डीजी) स्तर के बीच की शांति वार्ता बेशक अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) के हालात तय करेगी पर विडंबना यह देखिए कि इधर
नई दिल्ली में दोनों के बीच तीन दिवसीय शांति वार्ता चल रही है तो उधर जम्मू-कश्मीर में पाक से भेजे गए आतंकियों से मुठभेड़ चल रही है। जमीनी हकीकत तो
यह है कि पाकिस्तान की तरफ से 2014 में संघर्ष विराम उल्लंघन
के मामले करीब 10 प्रतिशत बढ़े हैं। इस साल पाकिस्तान
250 से ज्यादा बार संघर्ष विराम का उल्लंघन कर चुका है। वह महीने में
औसतन 25 दिन संघर्ष विराम तोड़ता है। सीमा पर लगातार फायरिंग
हो रही है जिनमें छोटे-बड़े हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा
है। इन हमलों में दो जवान समेत 11 भारतीय नागरिकों की जान गई
है। पाकिस्तान का दोगलापन इससे ही साबित होता है कि जब गुरुवार को एक ओर नई दिल्ली
में बीएसएफ डीजी और पाक रेंजर्स डीजी के बीच बैठक में पाक बोल रहा था कि अब पाकिस्तान
सीमा पर गोलीबारी नहीं करेगा वहीं दूसरी ओर घुसपैठ और पाकिस्तान की ओर से फायरिंग लगातार
जारी थी। जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में सेना और आतंकियों के बीच
मुठभेड़ में दो भारतीय जवान शहीद हो गए वहीं सेना ने भी दो घुसपैठियों को मार गिराया।
ढाई साल में यह चौथी बार दोनों डीजी में वार्ता हुई है। इससे पहले 2013 और 2014 में तीन बार बीएसएफ और पाक रेंजर्स में बातचीत
हो चुकी है। पर नतीजा वही ढाक के तीन पात। पाकिस्तान के झूठे और दगाबाज ट्रैक रिकार्ड
के मद्देनजर इस ताजा वार्ता से कोई ज्यादा उम्मीद नहीं रखी जा सकती। पाक अपनी हरकतों
से बाज आने वाला नहीं। पर जहां हम बातचीत से ज्यादा उम्मीदें न रखें किन्तु दोनों देशों
के बीच वार्ता में आए जटिल गतिरोध के बीच शायद यह एक खिड़की खोलने जैसा कदम हो जिससे
शायद ताजी हवा का कोई झोंका आ सके? पहले दिन की वार्ता में भारत
ने जिस दृढ़ता के साथ सीमा पर सीजफायर उल्लंघन और घुसपैठ के मुद्दे उठाए और उन पर रोक
के बाबत पाक रेंजर्स की तरफ से जैसी सकारात्मक जुबानी प्रतिक्रिया व्यक्त की गई उस
पर अमल हो तो दो पड़ोसियों के बीच उलझावपूर्ण रिश्तों में अमन बहाली की नई राह खुल
सकती है। पाकिस्तान के दोगलेपन का एक सबूत हमें वार्ता की पूर्व संध्या पर पाकिस्तानी
राजनयिक पक्ष के उस बयान से मिलता है कि कश्मीर पाकिस्तान के एजेंडे पर नम्बर वन है
और वह कश्मीरियों की हर संभव मदद करेंगे। जिस ढंग से यह अपनी नीतियों को हुर्रियत नेताओं
के माध्यम से आगे बढ़ाते हैं वह भी दुनिया से छिपा नहीं है। हां अगर किसी भी कारणवश
पाक रेंजर्स घुसपैठ रोकने की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम रहते हैं और घुसपैठ को रोकें
तो भी माहौल में सकारात्मक सुधार होगा। दुनिया भी अब पाकिस्तान की हकीकत जान चुकी है।
इसलिए जहां हमें इस वार्ता से ज्यादा उम्मीदें नहीं रखनी चाहिए वहीं उम्मीदों पर तो
दुनिया कायम है याद आता है।
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