पाकिस्तान
अपनी हरकतों से बाज आने वाला नहीं है। पाकिस्तान के अंदर लगता है कि न तो गरीबी की
समस्या है, न महंगाई की, न बीमारी की। एक ही समस्या है वह है कश्मीर। दिन-रात
वह कश्मीर का राग अलापता रहता है। इसमें वह दोतरफा नीति पर चल रहा है। पहला तो उसका
हर मौके पर या जबरदस्ती मौका बनाकर अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर का मुद्दा उठाना
और दूसरा है कि घुसपैठ कराकर कश्मीर में आग लगाते रहना। भारत के खिलाफ उसने इन जेहादियों
के माध्यम से छद्म युद्ध छेड़ रखा है। अब तो दुनियाभर में आतंकवाद विरोधी मुहिम में
चौधराहटों की कमान थामे अमेरिका ने भी एक बार फिर आतंकी नर्सरी चला रहे पाकिस्तान को
बहुत कड़े अंदाज में खबरदार किया है कि वह अपने यहां से संचालित और पोषित आतंकी शिविरों
और जेहादी संगठनों को खत्म करने के लिए कड़ी और प्रभावी कार्रवाई करे। एक दिन के दौरे
पर पाकिस्तान गईं व्हाइट हाउस की सुरक्षा सलाहकार ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री और सेना
प्रमुख को यह तस्दीक दी। खबर यह भी आई है कि पाकिस्तान धर्म के नाम पर भड़काकर
18 से 30 साल की उम्र के बीच में मुस्लिम युवाओं
को भारत में आतंक परोसने के लिए तैयार कर रहा है। फिलस्तीन, कश्मीर
सहित दुनिया के अलग-अलग देशों में मुसलमानों पर कथित अत्याचार
की फर्जी तस्वीरें और वीडियो दिखाकर आतंकियों को बरगला रहा है। आतंकी कैंपों में तैयार
होने वाली फौज को आतंकी संगठन जमात-उद-दावा
के कार्यक्रमों में सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात किया जाता है। हाल ही में पकड़े गए पाक
आतंकी नावेद और उसके साथ प्रशिक्षण लेने वाले आतंकियों को लाहौर के मीनार-ए-पाकिस्तान में हाफिज सईद की अगुवाई वाले जमात-उद-दावा के कार्यक्रम में सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात किया
गया था। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को जिंदा पकड़े गए आतंकी नावेद के खुलासे पर पाकिस्तान
के विभिन्न आतंकी संगठनों के बीच गठजोड़ और भारत में आतंक परोसने की उनकी मंशा पर पुख्ता
सबूत मिले हैं। जरूरी होने पर भारत इन सबूतों को अमेरिका, संयुक्त
राष्ट्र सहित उन देशों से भी साझा करेगा जिनके आगे पाकिस्तान रोना रोता रहता है। नावेद
ने जानकारी दी कि आतंकियों को एके-47 से 100 राउंड, एलएमजी से पांच राउंड और पिस्टल से एक बार
10 राउंड फायरिंग का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षकों की उम्र भी
20 से 30 साल के बीच होती है। आतंकियों को मैप
रीडिंग, जीपीएस प्लांटिंग, कम्पास रीडिंग,
रेडियो कम्युनिकेशन, गूगल अर्थ पर काम करना भी
सिखाया जाता है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने नावेद की पाकिस्तान में 24 लोकेशन की पूरी मैपिंग की है। इससे कोई भी उसके (नावेद)
पाकिस्तानी होने पर सवाल नहीं उठा सकता। नावेद के जोंग कंपनी के फोन
और मोबाइल नम्बरों का ब्यौरा भी दिया गया है। पाकिस्तान कितने बड़े स्तर पर आतंकी ट्रेनिंग
चला रहा है नावेद की इस जानकारी से मिलता है कि एक साथ 180 आतंकियों
को 21 दिन की मिलिट्री ट्रेनिंग दौर-ए-आम में मिलती है। नावेद की ताजा जानकारियों व हमारी गुप्तचर एजेंसियों के पास
सीमा पार की रिपोर्टों से यह तय है कि पाकिस्तान एक बहुत बड़ी आतंकियों की फौज तैयार
कर रहा है जिन्हें समय-समय पर सीमा पर फायरिंग करके भारत के अंदर
घुसेड़ना चाहता है। भारत को इस लड़ाई में किसी और देश से समर्थन की उम्मीद नहीं करनी
चाहिए। खासतौर पर अमेरिका से। अमेरिका ने हमेशा दोहरा खेल खेला है। एक सांस में कहता
है कि पाकिस्तान दुनिया की सबसे बड़ी आतंकी नर्सरी है और ओसामा बिन लादेन व मुल्ला
उमर की शरणस्थली है वहीं दूसरे हाथ से पाकिस्तान की दबाकर आर्थिक व सैनिक हथियारों
से मदद करता है। जब अमेरिका इतनी सख्त हिदायतें पाकिस्तान को देता है तो पाक उसकी परवाह
क्यों नहीं करता? दरअसल इसके लिए काफी हद तक अमेरिका का खुद दोहरा
नजरिया जिम्मेदार है। अमेरिका ने अपने निजी स्वार्थ में पाकिस्तान की अच्छे-बुरे आतंकवादी गुटों की व्याख्या को मान्यता प्रारंभिक तौर पर दे रखी है। जो
आतंकी संगठन अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य बलों और प्रतिष्ठानों को निशाना बनाते हैं
उससे चार गुना ज्यादा आतंकी उत्पात झेल रहे भारत के भीतर और सीमा पर पाकिस्तानी करतूतों
पर वह चुप्पी साधे रहता है। अमेरिका की इस दोहरी नीति का फायदा उठाकर आतंकियों ने सेना
और पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई से मिलकर सत्ता प्रतिष्ठान पर ऐसी पकड़ बना ली है कि उन्हें
रोकने की सामर्थ्य किसी
में नहीं। इन्हीं कारणों से भारत के सेना अध्यक्ष दलबीर सिंह सुहाग ने तीनों सेनाओं
(भारतीय थल सेना, जल सेना और वायुसेना)
से तेज और छोटे युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा है। उन्होंने कहा कि
भविष्य में हमें छोटे और त्वरित युद्ध के लिए हमेशा तैयार रहने की जरूरत है। उन्होंने
पाक का नाम लिए बिना आगाह किया है कि नए हालात में छोटे युद्ध के लिए दुश्मन की ओर
से चेतावनी का वक्त कम मिलेगा। इसलिए जरूरी है कि भारत हमेशा तैयार रहे। सीमा पर पाक
के साथ जारी मौजूदा तनाव और सीजफायर में लगातार हो रहे उल्लंघन के मद्देनजर सेना प्रमुख
का यह बयान काफी अहम माना जा सकता है। इन परिस्थितियों में सवाल यह भी उठता है कि प्रस्तावित
भारत की बीएसएफ और पाक रेंजर्स कमांडरों की बैठक का औचित्य क्या है? क्यों हम बार-बार जलील होते हैं? पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के ताजा बयान से तो भारत की आंखें खुलनी
चाहिए। वह कहावत है न लातों के भूत बातों से नहीं मानते।
-अनिल नरेन्द्र
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