Sunday 20 September 2015

गुलाम कश्मीर में चीनी निर्मित सुरंगों का उद्घाटन

पाकिस्तान का आज तमाम दुनिया में दोस्त नम्बर वन है चीन। चीन भी पाकिस्तान को स्वाभाविक भाई कहता है। पाक अधिकृत कश्मीर में पाकिस्तान ने हजारों वर्ग मील चीन को बेच दिया है। आज की तारीख में पीओके में 5000 से ज्यादा चीनी सैनिक काम कर रहे हैं और तैनात हैं। इधर भारत-पाक सीमा पर पाक लगातार फायरिंग कर रहा है और युद्धविराम का उल्लंघन कर रहा है तो उधर लद्दाख क्षेत्र में घुस रहा है। क्या यह महज इत्तेफाक है या दोनों भाइयों की सोची-समझी साजिश? गुलाम कश्मीर के गिलगिट-बाल्टिस्तान क्षेत्र में पाकिस्तान ने चीन के सहयोग से पांच सुरंगों का निर्माण किया है। करीब 275 करोड़ डॉलर की लागत से बनी इन पांच सुरंगों को पाकिस्तान-चीन मैत्री योजना का नाम दिया गया है। इन सुरंगों के जरिये पाकिस्तान गिलगिट-बाल्टिस्तान के रास्ते चीन से सामरिक सड़क मार्ग से जुड़ गया है। पांचों सुरंगों की लंबाई सात किलोमीटर है जो 24 किलोमीटर लंबी कारकोरम राजमार्ग परियोजना का हिस्सा है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सोमवार को पाक को चीन से जोड़ने वाली इन पांच सुरंगों का उद्घाटन किया। इन सुरंगों को चीन के सहयोग से तीन साल में तैयार किया गया है। इनके जरिये पाकिस्तान के उत्तर में स्थित कारकोरम राजमार्ग के करीब गिलगिट बाल्टिस्तान इलाके के हुंडा वैली स्थित एबटाबाद झील से आवाजाही बहाल हो सकेगी। इसको 46 अरब डॉलर की लागत वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना से जोड़ा जाएगा। रेडियो पाकिस्तान के मुताबिक इन सुरंगों का निर्माण 24 किलोमीटर लंबे कारकोरम राजमार्ग का हिस्सा है, जिसमें दो बड़े और 78 छोटे पुल भी शामिल हैं। इन सुरंगों का निर्माण नेशनल हाइवे अथॉरिटी ने माइना रोड एंड ब्रिज कारपोरेशन के सहयोग से किया है। इसके जरिये पाकिस्तान और चीन के बीच सड़क मार्ग से सम्पर्प भी बहाल हो जाएगा। केकेएच को 46 बिलियन डॉलर की लागत से तैयार होने वाले महत्वाकांक्षी पाकिस्तान-चीन आर्थिक गलियारे से भी जोड़ने की योजना है। भारत गिलगिट-बाल्टिस्तान क्षेत्र को अपना हिस्सा मानता है और यहां किसी भी तरह के निर्माण या गतिविधि का विरोध करता रहा है। भारत के लिए इन महत्वपूर्ण क्षेत्र में चीन की मौजूदगी खतरा पैदा करती है। इससे भारत को दोहरी मार है। एक तो पाकिस्तान शेर हो जाता है और दूसरा चीन कभी भी हमें धमका सकता है। भारत ने अभी तक पीओके क्षेत्र के बारे में कोई ठोस रणनीति तैयार नहीं की है। इसका ही नतीजा है कि अब वहां चीन भी घुस गया है। हमारी सिरदर्दी और बढ़ गई है।

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