Thursday, 24 September 2015

डायन और काला जादू का खौफ अंधविश्वास या हकीकत?

आए दिन यह खबर सुनने को मिलती है कि फलाने गांव में एक महिला को मार दिया क्योंकि गांव वाले समझते थे कि वह एक डायन है और काला जादू करती है। काला जादू केवल भारत में ही नहीं दुनिया के कई मुल्कों में किए जाने की रिपोर्ट है। लगभग हर धर्म में भी इसका किसी न किसी रूप में जिक है। भारत में इसे तांत्रिक विधि भी कहा जाता है। तांत्रिक बड़ी संख्या में हमारे देश में मौजूद हैं। तुरंत परिणाम की चाह चाहे गरीब हो या अमीर हो इन तांत्रिकों की ओर खींचती है। बलि की भी खबरें आती रहती हैं। 2014 में भारत के 13 राज्यों में डायन ठहराकर करीब 160 हत्याएं की गईं। इनमें से 32 मामले अकेले ओडिसा के हैं और यह आंकड़े सरकारी हैं। हाल के वर्षें में यह संख्या तेजी से बढ़ी है। साल 2000 से अब तक 2300 लोग, जिनमें ज्यादातर संख्या महिलाओं की है, ऐसे मामलों में मारे गए हैं। अगस्त में ही झारखंड के एक गांव में 5 महिलाओं को उनके घर से घसीटते हुए बाहर लाया गया और डायन बता कर सामूहिक हत्या कर दी गई। उस मामले से अब तक 27 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। गांव की पंचायतें तथाकथित डायनों को मारने से लेकर उनका बलात्कार करने, सामूहिक पताड़ना दिए जाने और विष्ठा खाने जैसी सजा सुनाते हैं। गनिता जब जंगल में जान बचाने के लिए छुपा हुआ था तब उसे अपने परिवार की चीखें सुनाई दे रही थीं। वे कुछ घंटे उसकी जिंदगी के सबसे डरावने और लंबे घंटे थे। गनिता ने पूरी रात जंगल के अंधेरे में गुजारी। अगली सुबह पास के एक गांव के निवासी ने उसे खोजा और गनिता को पुलिस के हवाले किया। पुलिस अधिकारी ने बताया कि उक्त मामले में 10 लोगों को अब तक गिरफ्तार कर लिया है। गनिता को पुलिस की जांच में कोई दिलचस्पी नहीं है। बिना किसी स्कूली शिक्षा और परिवार के गनिता का भविष्य अंधेरे में दिखता है। बिप्लव मिश्रा जो कि एक स्थानीय एनजीओ के पोजेक्ट डायरेक्टर हैं को गनिता के देखभाल की जिम्मेदारी सौंपी गई है। उनका कहना है कि अब गनिता कभी भी न तो पहले जैसी जिंदगी जी सकेगा और न ही कभी वापस लौट कर अपने गांव जा सकेगा। गनिता जानता है कि एक साल बाद 18 साल का हो जाने पर उसे क्या करना है। उसने बताया कि मैं काम करना शुरू करूंगा और मैं और मेरा भाई यहां से दूर किसी जगह पर जाकर रहने लगेंगे। 17 साल के गनिता मुंडा की हालत में सुधार तो है लेकिन आज भी उसे अपने परिवार की चीखें सुनाई देती हैं। गनिता के परिवार को डायन करार देकर मार डाला गया था। बीती जुलाई कुछ लोगों के एक समूह ने घर में घुसकर गनिता के परिवार पर हमला कर दिया था। हादसे में उसके माता-पिता और 4 भाई-बहन मारे गए। गांव वालों के मुताबिक गनिता की मां एक डायन थी। स्थानीय बच्चों में हो रही एक बीमारी का इल्जाम गनिता की मां पर लगाकर पूरे परिवार की हत्या करने की कोशिश की गई। यह हमला अपनी तरह का अकेला मामला नहीं है। हर साल भारत के ग्रामीण अंचलों में ऐसे कई मामले सामने आते हैं। अंधविश्वास और अज्ञानता के कारण हो रहे ऐसे वाकयो को रोकने के लिए स्थानीय पशासन की नाकामी चिंताजनक है। गनिता ने बताया कि वे मेरी मां पर छोटे बच्चों के ऊपर काला जादू करने का इल्जाम लगा रहे थे। ओडिशा में पिछले साल एक कानून पारित भी किया गया जिसमें डायन पथा के कारण हो रही मौतों को रोकने और इस मामले में हो रहे अपराध को कम करने की बात कही गई है। अन्य राज्यों में भी इस तरह के कानून हैं। असम में पिछले महीने ही एक नया कानून लागू किया गया जिसमें किसी को डायन कहने पर जेल की सजा और जुर्माने का पावधान है। सिर्फ कानून बनाने से समस्या का हल शायद ही हो। अंधविश्वास से निपटने के लिए बेहतर शिक्षा और जागरुकता की जरूरत है। धार्मिक गुरुओं को भी अपनी भूमिका निभानी होगी। ग्रामीण आंचल में बेहतर शिक्षा से जागरुकता बढ़ेगी, उसका भी असर होगा।

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