Friday, 18 September 2015

आईएस की पहली महिला एजेंट की गिरफ्तारी?

मुसलमानों को अबू अल बगदादी जो आईएस प्रमुख है, को अपना आदर्श बनाना चाहिए। गैर मुसलमानों का जबरन मुस्लिम धर्म में परिवर्तन करो तो अल्लाह तुम्हें जन्नत में मुकाम अता फरमाएंगे यानि अल्लाह तुम्हें जन्नत में स्थान देंगे। इस तरह की आग उगलने वाले पैगाम पिछले कुछ दिन पूर्व गिरफ्तार हुई इस्लामिक स्टेट (आईएस) के लिए काम कर रही अफशा जबीन की फेसबुक वॉल पर पड़े हैं। इराक और सीरिया में अपनी जड़ें जमा चुके बर्बर आतंकी संगठन आईएस के लिए एजेंट के तौर पर काम करने वाली पहली भारतीय महिला अफशा जबीन को यूएई से भारत डिपोर्ट किए जाने के बाद हैदराबाद से गिरफ्तार कर लिया गया है। अशफा जबीन उर्प निकोल जोसेफ जो आईएस के लिए ऑनलाइन भर्ती करती थी, को उसके पति और तीन बेटियों के साथ गत बृहस्पतिवार को दुबई से भारत डिपोर्ट कर दिया गया था। उसके पति की पहचान देवेन्द्र बत्रा उर्प मुस्तफा हुई है। भारत पहुंचने के बाद महिला को हैदराबाद पुलिस ने शुक्रवार को राजीव गांधी एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया। इस महिला के तार आईएस से जुड़े होने का खुलासा उस समय जनवरी में हुआ था जब हैदराबाद एयरपोर्ट से दुबई रवाना होते समय गिरफ्तार किए गए एक युवा टेक्नोकेट सलमान मोइनुद्दीन ने उसकी जानकारी दी थी। लगभग 30-35 साल के मोइनुद्दीन ने पुलिस को बताया था कि खुद को निक्की जोसेफ नाम की ब्रिटिश नागरिक बताने वाली एक महिला उसे ऑनलाइन मिली थी और बताया था कि वह सलमान से प्यार करती है। उस दौरान उसने पुलिस को बताया था कि वह महिला उसके साथ भागकर सीरिया जाना चाहती है ताकि सलमान को आईएस में भर्ती किया जा सके। हालांकि सलमान मोइनुद्दीन विवाहित है और विज्ञान में पोस्ट-ग्रेजुएट है और पहले आईएस के लिए काम कर चुका है। जबीन वर्तमान में दुबई में रह रही थी। लेकिन भारतीय एजेंसी को जैसे ही उसके बारे में सबूत मिले उन्होंने तुरन्त यूएई के अधिकारियों से सम्पर्प किया और उसे भारत डिपोर्ट कराया गया। अफशा जबीन से पूछताछ जारी है। अफशा जबीन को भारत भेजने के बाद यूएई ने चार और भारतीयों को भारत भेजा है। आईएस के लिए काम करने वाली अफशा जबीन से छानबीन जारी है। हालांकि इस बात का पूर्ण रूप से खुलासा नहीं हुआ कि 37 वर्षीय अफशा जबीन उर्प निक्की जोसेफ आईएस लीडरों के सीधे सम्पर्प में थी या नहीं। पूछताछ में इस बात का खुलासा हुआ है कि वर्ष 2014 में गाजा में घटना घटी थी, जिसमें काफी मुसलमानों की मौत हुई थी। उस घटना के बाद अफशा जबीन कट्टर मुसलमान हो गई। उसके बाद उसने फेसबुक पर चार ग्रुप बनाए। उस फेसबुक पर अफशा ने आग उगलनी शुरू कर दी और गैर मुसलमानों को भी मुस्लिम धर्म में जबरन परिवर्तित कराने की मुहिम छेड़ दी। वह फेसबुक पर यह भी डालती थी कि जेहाद के नाम पर जो भी गैर मुसलमानों को मुस्लिम धर्म में परिवर्तित करेगा उसे अल्लाह जन्नत में मुकाम अता फरमाएगा। भारत में आईएस का खतरा बढ़ता जा रहा है और अगर हमारी सरकार और सुरक्षा एजेंसियां चौकस नहीं हुई तो अनर्थ हो जाएगा। अफशा जबीन जैसे काफी समर्थक भारत में भी मौजूद हैं। कुछ सिमी जैसे संगठन भी आईएस से हमदर्दी रखते हैं। आईएस अब खाड़ी देशों में रह रहे भारतीय मुसलमानों को शामिल करने की भी मुहिम में लगा हुआ है। दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मुस्लिम जनसंख्या वाले भारत से नगण्य बहाली से चिंतित आईएस के गुर्गे संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) सऊदी अरब, कुवैत और यमन जैसे देशों में सालों से रह रहे भारतीयों को इस्लाम मजबूत करने के नाम पर रिझा रहे हैं। इसी झांसे में आई अफशा जबीन को वापस भेजने के बाद यूएई ने चार और भारतीयों को वापस भेजने का फैसला किया। एक दृष्टि से यूएई अपने गंद को भारत में धकेलने लगा है। गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक मंगलवार को भारत पहुंचे ये चार मुस्लिम युवक केरल के कोझीकोड और तिरुवनंतपुरम के रहने वाले हैं। सूत्रों ने बताया कि यूएई में चार और युवकों की पहचान की गई है जो आईएस की तरफ आकर्षित हैं। दरअसल ये आठों युवक सीरिया में मौजूद एक उत्तर भारतीय और एक बांग्लादेशी के सम्पर्प में थे। आईएस की विश्वव्यापी गतिविधि पर नजर रख रही एजेंसी के अधिकारी ने बताया कि भारत के मुफ्तियों और उलेमाओं की ओर से आईएस को गैर इस्लामिक करार दिए जाने के बाद उसके गुर्गे विदेश में 10 से 15 साल से रह रहे मुस्लिम भारतीयों की तरफ ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। इसकी काट की कोशिश में उलेमाओं ने आईएस के गैर इस्लामिक करार दिए जाने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण का हिस्सा बनाया जाएगा। मोदी इस महीने के आखिरी हफ्ते में अमेरिका जाने वाले हैं। सूत्रों के मुताबिक यूरोप में आईएस में सबसे ज्यादा भर्ती हो रही है। इसी वजह से यूरोप के कई देशों के लिए यह चिन्ता और तनाव का बड़ा विषय बना हुआ है। भारत को आईएस से अपने दमखम पर मुकाबला करना होगा। अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा ने घोषणा कर दी है कि वह आईएस से मुकाबला करने के लिए जमीनी जंग लड़ने को अपनी सेना नहीं उतारेंगे। अगर भारत यह सोचे कि अमेरिका आईएस को रोकने के लिए भारत की मदद करेगा तो अपने आपको धोखे में रखेगा। सीरिया में असद सरकार चाहे वह जितनी भी बुरी हो आज जमीन पर आईएस को रोकने की सबसे अच्छी स्थिति में है। भारत को असद सरकार की हरसंभव मदद करनी होगी। आईएस को अब रोकने की कुव्वत सऊदी अरब इत्यादि खाड़ी के अन्य देशों में नहीं है। एक बात समझ से बाहर जो है पूरे मसले पर ईरान का रुख। शिया देश के नाते वह असद (शिया) की सरकार की खुलकर मदद क्यों नहीं कर रहा? आईएस भारत के लिए खतरा बन चुका है। इस हकीकत को भारत जल्द से जल्द समझ ले।

-अनिल नरेन्द्र

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