Tuesday, 29 September 2015

अभागे साइकिल चालक मजदूरी करने वाले नरेन को न्याय मिलेगा?

बात 16 सितम्बर शनिवार रात करीबन 9.45 की है। सुदर्शन चैनल पर एक  डिबेट में हिस्सा लेने के बाद मैं घर लौट रहा था। पुराने किले के सामने जहां बोटिंग होती है एक ऑरेंज रंग की कलस्टर बस खड़ी थी और बहुत भीड़ इकट्ठी थी। हमने देखा कि बस के नीचे साइकिल फंसी हुई है। मेरे साथ मेरा ड्राइवर राजेश था। हमने गाड़ी साइड पर खड़ी की और राजेश ने उतरकर पूछा कि क्या हुआ? तब उसने देखा कि शराब के नशे में एक आदमी को भीड़ ने घेर रखा था। वह उस बस संख्या डीएल1पीसी5782 का ड्राइवर था जो नशे में धुत्त था। पता चला कि शराब के नशे में एक युवक जो साइकिल पर आईटीओ तिलक मार्ग स्थित हनुमान प्रतिमा के सामने डब्ल्यू प्वाइंट से गुजर रहा था तभी आईटीओ से नो सर्विस लिखी यह कलस्टर बस के ड्राइवर ने शराब के नशे में धुत्त होकर इस 24 वर्षीय नरेन को साइकिल समेत ऐसी टक्कर मारी कि नरेन और उसकी साइकिल बस के नीचे आ गई। बस ड्राइवर शराब के नशे में इतना धुत्त था कि उसे यह भी पता नहीं चला कि नरेन का शव बस की टक्कर के बाद कुछ दूर तक घसीटता रहा और साइकिल तो बस में उलझकर पुराना किला स्थित बोट क्लब तक पहुंच गई। हादसा करने के बाद वह चालक बस को भगाता चला गया जब वह पुराने किले के पास पहुंचा तो पीछा करते हुए ऑटो चालक व जनता ने उसे जबरन रोका। नरेन का शव तो किसी तरह बस के नीचे से निकल गया पर साइकिल फंसी रही। नई दिल्ली के थाना तिलक मार्ग के अंतर्गत 24 वर्षीय नरेन अपनी ताई के यहां रहता था और सिक्यूरिटी गार्ड की नौकरी करता था और 16 सितम्बर की रात वह अपनी ड्यूटी खत्म कर घर लौट रहा था। तिलक मार्ग थाने ने ड्राइवर के खिलाफ आईपीसी की धारा 279, 304() के तहत मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। ड्राइवर की पहचान थाना बाबरी, जिला शामली, उत्तर प्रदेश के रूपेन्द्र के रूप में हुई है। इस मामले में सबसे हैरतअंगेज बात यह है कि इतना बड़ा हादसा होने के बावजूद न तो किसी समाचार पत्र में और न ही किसी टीवी चैनल में इस हादसे के बारे में एक शब्द या रिपोर्ट दिखाई गई है। इससे पता चलता है कि एक गरीब मजदूर की हत्या और हमारे मीडिया के लिए कोई महत्व नहीं रखती। अगर इस अभागे नरेन की जगह कोई बड़ा नामी आदमी होता तो आप हादसे की कवरेज को देखते। हम नरेन को न्याय दिलाने के लिए वचनबद्ध हैं और हर स्तर पर उसको हक दिलाने के लिए तत्पर हैं। उसे पर्याप्त मुआवजा मिलना चाहिए। गत दिनों दिल्ली के एक मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) ने टक्कर मारने वाले ट्रक की बीमाकर्ता कंपनी नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को निर्देश  दिया है कि 2008 में सड़क दुर्घटना में मारे गए दिल्ली निवासी गोविंद राय अरोड़ा के परिवार के सदस्यों को 5,00,248 (पांच लाख दो सौ अड़तालीस) रुपए अदा किया जाए। एमएसीटी की पीठासीन अधिकारी बरखा गुप्ता ने कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं दिखाई दिया कि मृतक अपना स्कूटर तेजी से या लापरवाहीपूर्ण तरीके से चला रहा था या कथित दुर्घटना मृतक की गलती की वजह से हुई थी और इसके बजाय ऑन रिकार्ड यह दिखाई दिया कि ट्रक चालक लापरवाही से ट्रक चला रहा था और उसकी वजह से दुर्घटना हुई जिसमें पीड़ित की मृत्यु हो गई। शराब पीकर वाहन चलाने वालों के खिलाफ दिल्ली ट्रैफिक पुलिस समय-समय पर अभियान भी चलाती रहती है, लेकिन लगता है कि वाहन चालकों को इसका भी कोई भय नहीं है। जहां पिछले पूरे साल में शराब पीकर वाहन चालकों के खिलाफ 18,645 लोगों का चालान किया गया था वहीं इस साल अब तक 17,992 मामलों में चालान काटा जा चुका है। शराब पीकर वाहन चलाने वालों की बढ़ती संख्या की मुख्य वजह इसके लिए ज्यादा सख्त सजा का नहीं होना भी है। ऐसे चालकों को पता है कि वे जुर्माने और कुछ महीने की सजा के बाद आसानी से छूट जाएंगे। ऐसे में उन्हें पुलिस का कोई भय नहीं रहता। पुलिस भी ऐसे हादसों को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेती। जब तक पुलिस और कानून ऐसे मामलों में सख्ती नहीं करते नरेन जैसे गरीब-मजदूर बसों, ट्रकों के नीचे पिसते रहेंगे।

-अनिल नरेन्द्र

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