Sunday 27 September 2015

पहली बार हज हादसे से शुरू हुआ और हादसे से खत्म हुआ

ये दिन दुनियाभर के मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र दिनों में से हैं। इन दिनों लाखों की तादाद में दुनियाभर से मुसलमान हज करने के लिए सऊदी अरब स्थित पवित्र मक्का जाते हैं। वह वहां इस उम्मीद से जाते हैं कि उनकी जीवनभर की आस पूरी हो पर जब इनमें से कुछ के लिए यह जीवन की आखिरी यात्रा बन जाए तो शेष परिवार वालों के दुख को हम समझ सकते हैं। कुछ के साथ ऐसा ही हुआ। पवित्र मक्का मस्जिद के नजदीक हुई भीषण भगदड़ ने बकरीद की खुशियों को मातम व गम में बदल दिया। मक्का के करीब मीना में हज यात्रा के अंतिम दिन बृहस्पतिवार को मची भगदड़ में कम से कम 717 लोगों की मौत हो गई। यह आंकड़े प्रारंभिक हैं और यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है। निसंदेह हज यात्रा के दौरान पिछले 25 साल में हुए हादसे में सबसे बड़ा हादसा बन सकता है। शैतान को पत्थर मारने की जगह जमारात के करीब एक चौराहे पर एक साथ दो तरफ से भारी संख्या में जायरीनों के आने से गली में भगदड़ मच गई। इस साल डेढ़ लाख भारतीयों समेत दुनियाभर से 20 लाख से अधिक जायरीन हज यात्रा के लिए मक्का पहुंचे हैं। पहली बार हज के दौरान दो बड़े हादसे हो गए। हज शुरू होने से ठीक पहले 11 सितम्बर को मक्का की ग्रैड मौस्क के केन गिरने से 115 लोगों की मौत हो गई और अब हज के आखिरी दिन इस भगदड़ में सैकड़ों जायरीन अल्लाह को प्यारे हो गए। 1990 से लेकर 2006 तक सात हादसे हो चुके हैं जिनमें कुल 2460 जायरीनों की मौत हो चुकी है। अपने 90 नागरिकों की मौत पर खफा ईरान ने हादसे के लिए सऊदी अरब को सीधा जिम्मेदार ठहराया है। ईरान के हज संगठन के प्रमुख सैयद ओहदी ने कहा कि बिना किसी ज्ञात कारणों के शैतान को पत्थर मारने की सांकेतिक जगह के नजदीक दो रास्तों को बंद कर दिया गया। इसी वजह से यह दर्दनाक हादसा हुआ। लगता है कि उपर वाला सऊदी अरब पर कहर ढा रहा है। भूलना नहीं चाहिए कि इस हादसे से कुछ दिन पहले मक्का में ही एक केन के गिरने की वजह से 100 से अधिक लोग मारे गए थे। निश्चय ही छोटी जगह पर लाखों की संख्या में आए हाजियों की व्यवस्था करना आसान बात नहीं है। इस वर्ष ही करीब 20 लाख हज यात्री मक्का पहुंचे हैं मगर कहीं कुछ खामियां तो जरूर रह गई होंगी, जिसकी वजह से भगदड़ को रोका नहीं जा सका। निश्चय ही दुनियाभर में प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान को काफी हद तक नियंत्रित करने का तंत्र विकसित कर लिया गया है मगर धार्मिक स्थलों पर होने वाले मानवजनित हादसों पर नियंत्रण करने का कोई तंत्र अब तक विकसित नहीं हो सका है। दुनिया की सारी प्राचीन धार्मिक यात्राएं और रस्में तब बनी थीं जब दुनिया बिल्कुल अलग थी। पिछले तकरीबन 100 साल में दुनिया की आबादी तेजी से बढ़ी है। अब तीर्थस्थलों और धार्मिक स्थानों के प्रबंधन की चुनौतियां भी बढ़ गई हैं। तीर्थ यात्राएं, आस्था, खुशी और शांति के लिए होती हैं इन्हें त्रासदियों में बदलने से बचने की सभी को कोशिश करनी चाहिए।

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