Thursday 3 September 2015

मिस्र के पत्रकारों पर दमन चक की निंदा करते हैं

मिस्र में पत्रकारों पर दमन का दौर शुरू हो गया है। मिस्र की एक अदालत ने अल जजीरा टेलिविजन चैनल के तीन पत्रकारों को तीन वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। तीनों को बिना पेस लाइसेंस के काम करने और मिस्र के लिए हानिकारक सामग्री को पसारित करने के लिए जज हसन फरीद की अदालत ने सजा सुनाई। मामले की दुबारा सुनवाई में सजा पाने वाले पत्रकार मोहम्मद फाहमी, बहर मोहम्मद तथा पीटर ग्रेस्ट हैं। मोहम्मद फाहमी मिस्र की नागरिकता छोड़ चुके कनाडा के तटस्थ नागरिक, बहर मोहम्मद मिस्र और पीटर ग्रेस्ट आस्ट्रेलिया के नागरिक हैं। जिनका आस्ट्रेलिया पत्यार्पण हो चुका था। तीनों को पहले सात से 10 वर्ष की सजा मिली थी, किन्तु अब उन्हें तीन वर्ष के कारावास की सजा दी गई है। जज हारुन फरीद ने कहा कि तीनों व्यक्ति न तो पेस सिंडिकेट के सदस्य हैं और न ही पसारक। तीनों बिना लाइसेंस के काम कर रहे थे। तीनों पत्रकारों ने अपने विरुद्ध आरोपों से इंकार किया है। अमेरिका ने पत्रकारें की इस सजा पर गहरी चिंता और निराशा पकट करते हुए वहां कि सरकार से इसमें सुधार का आग्रह किया है। विदेश विभाग के पवक्ता जॉन कर्वी ने एक बयान में कहा ः अल जजीरा के तीनों पत्रकारों को लेकर मिस्र की एक अदालत द्वारा दिए गए फैसले से अमेरिका को गहरी निराशा और चिंता हुई है। उन्होंने कहा कि हम लोग मिस्र की सरकार से इस फैसले में सुधार के लिए सभी संभव कदम उठाने का आग्रह करते हैं। उन्होंने कहा कि यह फैसला स्थिरता और विकास के लिए जरूरी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कमजोर करता है। उधर मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल मिसी ने विवादस्पद आतंकरोधी कानून को मंजूरी दे दी है। अब कोई पत्रकार या मीडिया आतंकी हमले के सिलसिले में सरकारी बयान के विपरीत खबर नहीं दे सकेगा। इस कानून का उल्लंघन करने वाले पत्रकार पर भी आतंकरोधी कानून लगाया जा सकता है। इस कानून में सेना व पुलिस के जवानों को कानूनी पचड़ों से बचाने का इंतजाम भी किया गया है। नए कानून के गजट में पकाशित कर लागू कर दिया गया है। इसके अनुसार आधिकारिक बयानों से विपरीत कोई झूठी जानकारी पसारित करने के लिए दो साल तक की जेल हो सकती है। इसके अलावा दो से पांच लाख तक मिस्री पाउंढड तक का जुर्माना भी हो सकता है। मीडिया ने इसका कड़ा विरोध किया है। विशेष कोर्ट भी बनाए गए हैं। उनके जजों, पुलिस और सेना के जवानों को ड्यूटी के समय दिए फैसलों या ड्यूटी पर की गई सख्ती से बचाने के कानूनी इंतजाम भी इसी कानून में हैं। इसके साथ ही आतंकी समूह बनाने वाले या किसी आतंकी समूह में शामिल होने वालों को मौत की सजा का पावधान है। मिस्र सरकार द्वारा पत्रकारों पर दमन के इस कदमों का हम विरोध करते हैं और पत्रकारों की स्वतंत्रता पर पतिबंध लगाने के पयास की निंदा करते हैं।

-अनिल नरेन्द्र

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