Tuesday, 29 November 2016

49 साल शासन किया, हत्या की 638 साजिश नाकाम कीं

पड़ोस में रहकर करीब 50 साल तक अमेरिका की आंखों में किरकिरी बने रहे क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्राs (90) ने शुक्रवार को हमेशा के लिए आंखें बंद कर लीं। कास्त्राs दुनिया में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले नेताओं में ही शुमार नहीं थे बल्कि साम्यवादी व्यवस्था के स्तम्भ थे, जो सोवियत संघ टूटने के बाद भी दरके। फौजी ड्रेस, लंबी दाढ़ी और हाथों में सिगार उनकी शख्सियत की पहचान थी। अमेरिका से महज 90 मील की दूरी पर छोटे से देश क्यूबा का कम्युनिस्ट शासक। अमेरिका परस्त सैन्य तानाशाह फुलखेशियो बतिस्ता को सात साल के लंबे संघर्ष के बाद सत्ता से बेदखल किया। 1959 में अमेरिकी महाद्वीप में पहली कम्युनिस्ट सरकार बनाई। पांच दशक से अधिक समय तक सत्ता संभाली। वे थाइलैंड के महाराजा भूमिबल अतुल्यतेज और ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ के  बाद सबसे लंबे समय तक राज करने वाले शासक हैं। अपने शासन में फिदेल कास्त्राs ने 11 अमेरिकी राष्ट्रपतियों से लोहा लिया। शीतयुद्ध के दौरान उन्होंने क्यूबा में सोवियत संघ की परमाणु मिसाइलों को अपने देश में तैनात करने की मंजूरी दे दी। हालांकि बाद में सोवियत संघ ने मिसाइलें तैनात नहीं कीं। पिछले साल अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा दोस्ती का पैगाम लेकर क्यूबा पहुंचे। वे 1950 के बाद क्यूबा जाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति थे। कहते हैं कि अमेरिका उनकी हत्या कराना चाहता था। वहां की खुफिया एजेंसियों ने उन्हें मारने के लिए आपरेशन मांगूज चलाया। कहा जाता है कि अमेरिका ने कास्त्राs को मारने के लिए 638 कोशिशें कीं पर सब नाकाम रहीं। 13 अगस्त 1926 को क्यूबा के जमींदार परिवार में जन्मे फिदेल ने 24 साल की उम्र में क्यूबा में अमेरिकी समर्थित सरकार को पलटने के लिए गुरिल्ला टीम बनाई। कास्त्राs ने 1952 में फुलखेशियो बतिस्ता को हटाने के लिए 81 लोगों के साथ क्रांति का बिगुल पूंका। कास्त्राs ने बलिएता को हटाने के लिए द मूवमेंट नाम की संस्था शुरू की। 1953 में एक सैन्य बैरक पर हमला किया, लेकिन कास्त्राs को गिरफ्तार कर लिया गया। 15 साल की सजा हुई, लेकिन 19 महीने बाद रिहा हो गए। कास्त्राs मैक्सिको चले गए। 1956 में 80 साथियों के साथ लौटे। बतिस्ता के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध छेड़ा और 1959 में बतिस्ता को हराकर क्यूबा में कम्युनिस्ट सत्ता कायम की जो आज तक चल रही है। कास्त्राs भारत के मित्र थे। उन्होंने 1973 और 1983 में भारत का दौरा किया था। दिल्ली में कास्त्राs को गुटनिरपेक्ष सम्मेलन का प्रतीक चिन्ह गेवल मेजबान प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सौंपना था। दोनों मंच से उठे और इंदिरा ने गेवल लेने के लिए हाथ बढ़ाया पर कास्त्राs खड़े रहे।  इंदिरा ने दोबारा हाथ बढ़ाया, कास्त्राs मुस्कुराते रहे। इंदिरा ने जब तीसरी बार हाथ बढ़ाया तो कास्त्राs ने उन्हें गले लगा लिया। कास्त्राs की दाढ़ी उनकी पहचान थी। 1959 में उन्होंने कहा था कि मैं दाढ़ी नहीं काट सकता। मैं इसका आदी हूं और मेरी दाढ़ी देश के लिए मायने रखती है। वे कहते थे कि यदि आप रोजाना 15 मिनट शेव करते हैं। साल में 5000 मिनट। मैं इतना समय बर्बाद नहीं कर सकता। जब क्यूबा खुद ब्लेड बनाने लायक विकसित हो जाएगा तो शेविंग कर लूंगा। क्यूबा के विरोधी अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने एक बार कहाöकास्त्राs सिर्प लैटिन तानाशाह नहीं है। अपने निजी लाभ के लिए अत्याचार कर रहा है। उसकी महत्वाकांक्षाएं उसके अपने समुद्र तट से भी आगे तक हैं। बिल क्लिंटन ने कहा था कि कास्त्राs ने गैर कानूनी तरीके से अमेरिकियों की हत्याएं कीं। वह गलत भी था। मुझे गर्व है कि मैंने निर्दोष अमेरिकियों को मारने के खिलाफ नाकेबंदी की। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि कास्त्राs एक कूर तानाशाह था। गोलियां चलाने वाले दस्ते और  लोगों को यातनाएं देने वाले व्यक्ति के तौर पर याद रखा जाएगा। उसने सिर्प लोगों पर जुल्म किया। क्रांति के दिनों में फिदेल का नाम दुनिया में बहुत प्रचलित हुआ। वह कहते थेöरुको नहीं, आगे बढ़ते रहोöजब तक विजय न मिल जाए। सन 2006 से कास्त्राs की तबीयत खराब चल रही थी। दो साल बाद उन्होंने सत्ता अपने छोटे भाई राउल कास्त्राs को सौंप दी थी। फिदेल कास्त्राs के निधन पर पश्चिम बंगाल की सभी वामपंथी पार्टियों ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। वाम मोर्चा ने राज्यभर में अपने सभी पार्टी कार्यालयों पर अगले तीन दिनों तक लाल झंडा झुका कर फिदेल कास्त्राs को अंतिम लाल सलाम दिया।

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