Tuesday, 8 November 2016

टाक्सिक गैस चैंबर में परिवर्तित होती राजधानी

प्रदूषण का स्तर बढ़ने से दिल्ली टाक्सिक गैस चैंबर की तरह बनती जा रही है। इसका असर दिल्लीवासियों की सेहत पर पड़ रहा है। दिल्ली में प्रदूषण पिछले 17 साल के सबसे खतरनाक स्तर पर है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने इस पर शुक्रवार को केंद्र और दिल्ली सरकार को जमकर फटकारा। ट्रिब्यूनल ने कहा कि प्रदूषण रोकने के ठोस कदम उठाने की बजाय दोनों सरकारें एक-दूसरे पर जिम्मेदारी थोप रही हैं। जरा सोचिए हम अपने बच्चों को कितना खौफनाक भविष्य दे रहे हैं। एनजीटी चेयरमैन स्वतंत्र कुमार ने सवाल किया कि प्रदूषण रोकने के किन कदमों पर चर्चा हुई। केंद्र और दिल्ली सरकार इसका ठोस जवाब नहीं दे पाई। एनजीटी ने प्रदूषण रोकने के लिए कंस्ट्रक्शन साइटों से उड़ती धूल, जलता कूड़ा, प्लास्टिक और गाड़ियों के धुएं पर भी नियंत्रण करने को कहा। बेंच ने कहा कि यह चीजें भी दिल्ली के लोगों को मारने के लिए काफी हैं। दिल्ली सरकार ने एनजीटी से कहा कि हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में पराली जलाने की वजह से भी दिल्ली में हवा की गुणवत्ता प्रभावित हुई है। इस पर ट्रिब्यूनल ने कहा कि दिल्ली में कहीं भी पराली नहीं जलाई जा रही है। आप कहते हैं कि पराली हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में जल रही है। इन दिनों हवा तो चल नहीं रही, ऐसे में इन राज्यों से दिल्ली धुआं आ नहीं सकता। दीपावली के बाद से प्रदूषण का स्तर बढ़ने के चलते दिल्ली में स्कूलों की छुट्टी कर दी गई। शनिवार को राजधानी में स्कूल बंद रहे। रविवार को प्रदूषण के बिगड़े हालात के मद्देनजर अगले तीन दिनों के लिए स्कूल बंद करने की घोषणा कर दी गई। वहीं स्कूल खुलने के दौरान अध्यापकों और छात्रों को कक्षा के बाहर न जाने और प्रार्थना मैदान के बजाय कक्षा में ही कराने के निर्देश दिए हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक की परेशानी प्रदूषण ने बढ़ा दी है। प्रदूषण के बढ़ते स्तर की वजह से हृदयाघात, ब्रेन स्ट्रोक, हाइपरटेंशन का खतरा दिल्लीवासियों के लिए बढ़ गया है। इसके अलावा अस्थमा के मरीजों को ज्यादा दिक्कत हो रही है। प्रदूषण की वजह से आने वाले दिनों में सांस और दिल से संबंधित बीमारियों की समस्या बढ़ेगी। बारीक धूल कण फेफड़ों में सोख लिए जाते हैं और ब्लड सर्कुलेशन में शामिल हो जाते हैं। इसकी वजह से फ्री रेडिक्लन, कोलेस्ट्रोल बढ़ जाता है और हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हापरटेंशन की समस्या होती है। दीपावली के बाद ही दिल्ली काले घने धुएं के गुबार से घिर गई है और दिल्ली एक टाक्सिक गैस चैंबर का रूप ले चुकी है। पहले आतिशबाजी की वजह से वातावरण में हानिकारक गैस, कॉपर, लेड, जिंक, सोडियम, पोटेशियम, मैग्नीज जैसे भारी तत्वों के छोटे-छोटे कणों ने हवा को जहरीला बना दिया है। प्रदूषण की वजह से आंखों में जलन की समस्या भी बढ़ रही है। दुखद पहलू यह है कि इस बढ़ती समस्या का कोई समाधान नजर नहीं आ रहा है।

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