Monday, 14 November 2016

बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से निकले हम

जस्टिस मार्कंडेय काटजू अपने विवादास्पद बयानों के लिए मशहूर हैं। दरअसल कोर्ट में रहते हुए और बाद में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने किसी को नहीं बख्शा। बेबाकी के साथ अपनी राय दी और शब्दों के उपयोग में कोई कंजूसी नहीं की। राजनेता भी उनसे नहीं बच पाए। पर सौम्या हत्याकांड में सुप्रीम कोर्ट के जजों के फैसले पर सवाल उठाने के कारण जस्टिस काटजू अब कठघरे में खड़े हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी टिप्पणी पर उन्हें सुप्रीम कोर्ट तलब किया था। शुक्रवार को वह सुप्रीम कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराने पहुंचे। यह पहला मौका था जब सुप्रीम कोर्ट का कोई पूर्व जज अपना पक्ष रखने शीर्ष अदालत पहुंचा। काटजू कोर्ट रूम में पहुंचे तो तीन जजों की बैंच ने थैंक्स कहकर उनका स्वागत किया। लेकिन 10 मिनट के भीतर ही स्थिति बिगड़ गई। स्थिति इतनी बेकाबू हो गई कि बैंच ने सिक्यूरिटी बुलाकर काटजू को बाइज्जत कोर्ट रूम से बाहर निकालने का निर्देश दे दिया। गुस्साए काटजू बोलेöमैं डरता नहीं हूं। बाहर नहीं जाऊंगा। हालांकि जब सिक्यूरिटी गार्ड काटजू के पास पहुंचे तो जजों ने उन्हें वापस कर दिया। पूर्व जज काटजू दोपहर दो बजे जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बैंच के सामने उपस्थित हुए। जस्टिस गोगोई ने काटजू से कहा कि आप कोर्ट की मदद कर रहे हैं, शुक्रिया। अब आप अपने ब्लॉग की टिप्पणी के बारे में पक्ष रखें। काटजू ने जवाब देते हुए कहा, `यह हत्या का मामला था' फिर उन्होंने कई बड़े फैसलों का उदाहरण दिया। इस पर जस्टिस रंजन गोगोई ने उन्हें रोका। कहा कि मिस्टर काटजू अगर आप अपने ब्लॉग की टिप्पणी के अनुसार ही दलीलें दें तो सही होगा। अगर आप उससे हटते हैं तो हम भी अपना दायरा बढ़ाकर आपके ब्लॉग की अन्य टिप्पणियों पर संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू कर देंगे। इस पर काटजू ने कई और दलीलें दीं। लेकिन कोर्ट ने हत्याकांड की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी। जस्टिस गोगोई ने कहा कि अब कोर्ट काटजू की टिप्पणी के बारे में अटार्नी जनरल का पक्ष जानना चाहता है? अटार्नी जनरल ने टिप्पणी को अदालती फैसले का अपमान जैसा बताया। इस पर काटजू ने कहाöयह मेरा ब्लॉग है। कानून हमें किसी भी मसले पर अपनी राय देने का अधिकार देता है। तब जस्टिस गोगोई ने कहा कि हम अटार्नी जनरल की बातों से सहमत हैं। मिस्टर काटजू आप बताएं कि आप पर अदालत की अवमानना का मामला क्यों न चलाया जाए? तभी अटार्नी जनरल ने कहा कि मेरा ओपिनियन बदल गया है। अब मेरा कहना है कि इसे भावनाओं में बहकर की गई टिप्पणी माना जा सकता है। इसे अवमानना न माना जाए। लेकिन बैंच ने काटजू के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी करने का आदेश दे दिया। कोर्ट का निर्णय सुनकर काटजू भड़क गए। बोलेöमिस्टर गोगोई आप मेरे जूनियर हैं, ऐसा व्यवहार आपको शोभा नहीं देता। मैं अदालत के बुलाने पर यहां आया हूं। आपका व्यवहार गलत है। इसके बाद जस्टिस गोगोई सुनवाई स्थगित कर वहां से चले गए। काटजू ने एक ट्वीट में लिखाöजैसे ही सुनवाई आगे बढ़ी, मुझे समझ आ गया कि यह गोगोई द्वारा तय किया गया पूर्व नियोजित ड्रामा था। वहां सौम्या मामले की सुनवाई को लेकर कोई गंभीर पहल नहीं थी। बता दें कि 23 फरवरी 2011 को केरल के गोविंदासामी ने सौम्या को ट्रेन से नीचे फेंक दिया था। फिर उससे दुष्कर्म किया। इलाज के दौरान सौम्या की मौत हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने गोविंदासामी को उम्रकैद की सजा सुनाई। इस फैसले के कुछ दिन बाद काटजू ने ब्लॉग में लिखा कि आरोपी को मौत की सजा होनी चाहिए थी। अदालत के इस फैसले की ओपन कोर्ट में समीक्षा की जानी थी।

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