Thursday, 17 November 2016

क्या नोटबंदी से देश में कालाधन खत्म होगा?

केन्द्र सरकार का 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों को बंद करने का नेक इरादा बेशक रहा हो कि देश में ब्लैक मनी यानी काले धन का इस्तेमाल बंद हो पर हमें इसमें संदेह होने लगा है कि क्या इससे कालाधन समाप्त हो जाएगा? आज जो लोग बैंकों, एटीएम, पोस्ट ऑफिसों के बाहर लम्बी कतारें लगाए खड़े हैं उनकी जमा पूंजी वह कालाधन नहीं जो आप निकलवाना चाहते थे? हर परिवार ने अपनी गाढ़ी कमाई से हाली बीमारी के लिए कुछ धन का जमा करके रखा था। यह काली कमाई नहीं है। आपने उनकी तो जीवन भर की कमाई बाहर निकलवा ली पर असल दोषी आज भी मस्त हैं। बैंकों में पैसों की कमी है, बैंक खाली हैं। आपने बैंकों में धन मुहैया करवाने के लिए भी यह कदम उठाया है। जो करेंसी घरों में थी वह अब बैंकों में जमा हो रही है। बैंकों ने अपना सारा धन इन सेठों  को लुटा दिया है। लोन चुकाने वालों में आम आदमी पर बैंक कितना भी सख्त हो जाए लेकिन बड़े कर्जदारों पर वह रिकवरी के लिए कुछ भी नहीं कर रहा है और केन्द्र सरकार ने सरकारी बैंकों को बड़े कर्जदारों के पति नर्मी बरतने का फरमान सुनाया है। बैंकों से कहा गया है कि उनकी पहचान करें और यदि उन्हें रीपेमेंट में दिक्कत आती है तो उन्हें सहूलियतें दें। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम छिपाने की शर्त पर बताया कि इस कदम का मकसद पेडिट ग्रोथ और निवेश को गति देना है। अब आप बड़े कर्जदारों की सूची पर नजर डालें। रिलायंस ग्रुप 1.25 लाख करोड़, वेदान्ता ग्रुप 1.03 लाख करोड़, एस्सार ग्रुप 1.01 लाख करोड़, अडाणी ग्रुप 96,031 करोड़, जेपी ग्रुप 75,163 करोड़, जिन्दल स्टील 58,171 करोड़, जीएमआर ग्रुप 47,976 करोड़ लेन्को ग्रुप 47,102 करोड़, वीडियोकॉन ग्रुप 45,045 करोड़ और जेवीके ग्रुप 34,000 करोड़। अगर बैंकों के एनपीए की बात करें तो बैंक ऑफ बड़ौदा अव्वल नम्बर पर 5,642 करोड़ पर है। बैंक ऑफ इंडिया 10,034 करोड़ केनरा बैंक 22,604 करोड़, स्टेट बैंक 442267 करोड़ और यूनियन बैंक 6,975 करोड़ रुपए। यह आंकड़े बैंक वार्षिक रिपोर्ट के हैं। फिर आपने दो हजार रुपए का नया नोट निकाल दिया है। 500 और 1000 के नोट बंद कर दो हजार रुपए के नए नोट जारी कर सरकार ने काले धन के खिलाफ लड़ाई की है या कालाधन जमा करने वालों को सहूलियत दी है। एक कांग्रेसी नेता ने सवाल किया कि 70 हजार करोड़ के फर्जी नोट खत्म करने के लिए 16 हजार करोड़ रुपए खर्च कर नए नोट छापने से आखिर सरकार को क्या मिला? रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी रंगाराजन के मुताबिक नोटबंदी का फैसला काले धन के पवाह को कम करने की दिशा में ठोस कदम साबित होगा। हालांकि इसका बेहतर निष्कर्ष तभी निकलेगा जब सरकार काले धन के अन्य स्रोतों को बंद करने के लिए लगातार एक के बाद एक कदम उठाएगी। भाजपा सांसद सुब्रह्मणयम स्वामी का  मानना है कि इससे काला धन के पवाह में तो कोई खास कमी नहीं आएगी। अगर इस फैसले से हवाला रैकेट टूटा है  और इसका सबसे अधिक असर आतंकवाद पर पड़ा है। आर्थिक विशेषज्ञ चिंतक गोविन्दाचार्य सरकार के नोटबंदी के फैसले से सहमत नहीं हैं। वह कहते हैं कि खुद सरकार का मानना है कि करेंसी के रूप में देश में सबसे कम काला धन है। कालाधन मुख्य रूप से सोना और अघोषित संपत्ति के रूप में है। ऐसे में सरकार को इन स्रोतों के खिलाफ कदम उठाना चाहिए। अगर ऐसा हुआ होता तो  आम लोगों को इतनी अधिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता।

öअनिल नरेन्द्र

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