Saturday, 5 November 2016

वक्फ संपत्ति विश्व के बड़े घोटालों में एक

पिछले कुछ समय से वक्फ संपत्ति पर विवाद चर्चा में है। वक्फ बोर्ड है क्या? आखिर वक्फ है क्या? मैंने फिरोज बख्त अहमद का इस विषय पर एक लेख पढ़ा। उनके अनुसार वक्फ का इतिहास लगभग 1000 वर्ष पुराना है। वक्फ का मतलब है ऐसी धन संपत्ति जिसको निर्धन मुसलमानों, विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं, अनाथ बच्चों आदि के ऊपर खर्च किया जाए कुरान में साफ शब्दों में लिखा है कि तुम्हारी माल--दौलत में गरीबों का हिस्सा भी है जिसको देना तुम्हारा कर्तव्य है। (सूरत-26ःआयत-19) इसी पकार से एक और स्थान पर कुरान में लिखा है, यदि तुम अल्लाह के निकट अच्छे बंदों की सूची में रहना चाहते हो तो अपनी कमाई में से गरीबों को दान दो और जितना हो सके अधिक दान दो ताकि अल्लाह भी उसे देखे, (सूरत-3 आयत 86) वक्फ दो पकार का होता है, एक वक्फ अल्लाह अर्थात अल्लाह के लिए दी जाने वाली जमीन, संपत्ति। दूसरा है-वक्फ अलल-औलाद अर्थात अपनी औलाद के लिए जमीन, संपत्ति आदि। वक्फ-अल्लाह में बादशाहों, नवाबों, पूंजीपत्तियों ने सदा से ही अपनी पिछड़ी हुई कौम के लिए जमीन-जायदाद छोड़ी है। वक्फ जायदाद से मदरसे एवं शिक्षा संस्थान, सार्वजनिक चिकित्सालय, अनाथालय, सराय, उद्यान मस्जिदें, खानकाहें, इमामबाड़े आदि समय-समय पर दिये जाते हैं। उदाहरण के तौर पर हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के चारों ओर मुगल बादशाहों से लेकर अन्य सम्पन्न लोगों ने बड़ी जायदादें अल्लाह के नाम पर दी हैं जिसके कारण दरगाह के आगे का पूरा बाजार उसकी संपत्ति है। क्या आप जानते हैं कि विश्व के सबसे बड़े घोटालों में से एक है वक्फ का भीषण घोटाला। जिसमें 375 लाख रुपए की जमीन ऑन रिकार्ड घोटालों के हवाले की जा चुकी है। भारत में वक्फ बोर्ड की लगभग 6 लाख एकड़ जमीन है और लगभग 4.5 लाख पंजीकृत जायदाद है जिसका दिल खोलकर तिया-पांचा किया जा चुका है, किया जा रहा है और आगे भी किया जाता रहेगा। बेचारा आम मुसलमान वक्फ के चक्कर में यह सोचकर नहीं पड़ता कि यह धार्मिक मामला है और इसका समाधान ठीक-ठाक तौर से किया जा रहा है। उस बेचारे को क्या पता कि उसके भोलेपन की आड़ में क्या वीभत्स कांड हो रहा है। यदि इतनी विशाल संपत्ति को ठीक ढंग से पयोग में लाया जाए तो भारतीय मुसलमान मुस्लिम समाज की कायापलट हो सकती  है, उसके वारे-न्यारे हो सकते हैं। लगभग 4 लाख करोड़ की संपत्ति का केवल किराया भी ठीक ढंग से जमा कराया जाए तो मुःिस्लिम वर्ग के सभी बच्चों की इंजीनियरिंग, मेडिकल आदि पोफेशनल पढ़ाई का खर्चा आराम से निकल सकता है पर व्यवस्था को सही कौन करे?

                        -अनिल नरेन्द्र

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