Sunday 13 November 2016

500 और 1000 रुपए की सर्जिकल स्ट्राइक...(1)

आज सारी दुनिया और देश के अंदर प्रधानमंत्री के आर्थिक सर्जिकल स्ट्राइक को उनका मास्टर स्ट्रोक कहा जा रहा है। इस बात की तो दाद देनी पड़ेगी कि प्रधानमंत्री ने इस सर्जिकल स्ट्राइक के टाइप को इतना गुप्त रखा कि पब्लिक तो छोड़िए उनके अपने मंत्रियों तक को इसकी कानोंकान खबर नहीं हो सकी। काले धन के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए करेंसी नोट पर पाबंदी का फैसला पूरी तरह गुप्त था। केंद्रीय मंत्रियों तक को इसकी जानकारी अंतिम वक्त में दी गई, लेकिन आम जनता को हिदायत तो लंबे अरसे से दी जा रही थी। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच महीने पहले स्पष्ट चेतावनी दी थी कि खुद काला धन घोषित नहीं करने वाले बाद में शिकायत न करें और न ही पैरवी। उसके बाद भी दो-तीन मौकों पर उन्होंने साफ संकेत दिया था कि वह काले धन को लेकर बड़ी कार्रवाई करने वाले हैं। आखिरी बार तो एक पखवाड़े पहले ही उन्होंने काले धन के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की बात कही थी। इस पूरे क्रम में रिजर्व बैंक और सरकार के स्तर पर छह महीने से तैयारी चल रही थी, लेकिन शीर्ष पर गिने-चुने लोगों के अलावा किसी को कानोंकान खबर नहीं थी। केंद्रीय मंत्रियों को भी सार्वजनिक घोषणा से आधे घंटे पहले ही इसकी जानकारी मिली। बताते हैं कि केंद्रीय कैबिनेट के एजेंडे में इसकी जानकारी नहीं थी। हां, मंत्रियों को यह जरूर सूचित किया गया था कि अपने मोबाइल लेकर बैठक में न आएं। बंद कमरे में प्रधानमंत्री ने उन्हें जानकारी दी कि 500 और 1000 की करेंसी के नोट बंद किए जा रहे हैं। बताया जाता है कि मंत्रियों ने देश के नाम प्रधानमंत्री का संबोधन भी वहीं देखा। 500 और 1000 रुपए के नोट बंद होने के बाद पहले दिन से ही बैंकों, एटीएम, दुकानदारों, बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों पर ही लोगों की जो लाइनें लगीं वह अब तक जारी हैं। लोगों ने जहां आमतौर पर प्रधानमंत्री के इस कदम का स्वागत किया वहीं अब बहुत से लोग परेशानी की वजह से गालियां तक देने पर उतर आए हैं। शुरू-शुरू में तो भारत के इतिहास में पहली बार अधिक पैसे वालों से कम पैसे वाले खुश नजर आए। आजाद भारत में पहली बार गरीब मुस्करा रहा था और अमीर रो रहा था। एक 9/11 में अमेरिका हिला था दूसरे 9/11 में भारत हिल गया। फेसबुक, ट्विटर पर जहां दिनभर मोदी फाइट करप्शन, नरेंद्र मोदी 500-1000 रुपए हटाएंगे से प्रधानमंत्री संबंधी ट्वीट ट्रेड करते रहे वहीं वाट्सएप पर मानो चुटकलों की बरसात-सी होने लगी। लोगों ने इसे काले धन का सर्जिकल स्ट्राइक करार दिया। पर दुख से कहना पड़ता है कि शायद सरकार ने इस सर्जिकल स्ट्राइक के पहले अपना होमवर्प ठीक से नहीं किया। न तो बैंकों में पर्याप्त संख्या में नोट थे और न ही जल्द जनता को राहत मिलने की उम्मीद। पिछले कई महीनों से बैंक से अगर आप उदाहरण के तौर पर पांच हजार रुपए निकालने गए तो बैंकों ने 500 रुपए के नोट या 1000 रुपए के नोट थमा दिए। अगर 100 रुपए के नोट चार-पांच महीने पहले से जारी हो जाते तो आज इतनी दिक्कत नहीं होती। आज भी बैंक घंटों लाइन में खड़े होने के बाद 2000 के नोट दे रहे हैं। सवाल यह है कि जिस आदमी को अपने बच्चों के लिए दूध लेना है या राशन लेना है वह 2000 के नोट का क्या करेगा? खुले पैसे दो तो ही दूध मिलेगा। कुछ ऐसा ही नजारा अधिकतर इलाकों में बुधवार-शुक्रवार की सुबह दिखा। डेयरी का दूध बेचने वालों ने गृहणियों के हाथ में 500 या 1000 का नोट देखते ही दूध के पैकेट को वापस रख दिया। दूध, ब्रेड, अंडे, बिस्कुट सहित सुबह की रोजमर्रा की चीजों के लिए लोग एक दूसरे से छुटकर पैसे मांगते नजर आए। जिनके पास छुटकर नहीं थे, वो बिना सामान के ही लौट गए। आईपी एक्सटेंशन के पास रोज सुबह दूध बेचने वाली मालती ने बताया कि 20 कैरेट अमूल और 20 कैरेट मदर डेयरी के दूध के साथ वह फर्मा अपार्टमेंट के पास दुकान लगाती है। सुबह सात बजे तक जो सामान लेने आए, उन्हें छुटकर पैसे दिए गए, जबकि इसके बाद पैसे न होने पर हमें भी लोगों को सामान देने से मना करना पड़ा या उधार देना पड़ा। रमेश नगर के एक निवासी के घर में 23 नवम्बर को बेटी की शादी अब 27 नवम्बर को तय है। घर में पति के अलावा दो बेटे और बहू हैं। सुबह दूध न मिलने के चलते परिवार चाय नहीं पी पाया। शादियों की तैयारियों के चलते घर में मेहमानों का जमावड़ा लगा हुआ है। शादी की सारी व्यवस्था करनी है। अब जब प्रबंध करने वाले पुराने 500 और 1000 के नोट नहीं लेंगे तो कैसे होगी शादी? सरकार कहती है कि आप बैंक में जाकर अपने पुराने नोट जमा करा सकते हो और चार हजार रुपए तक नोट बदलवा सकते हो। पर बैंकों, पोस्ट ऑफिसों में आपने लंबी लाइनें देखी हैं? दो घंटे से भी अधिक समय लाइन में खड़े होना पड़ता है अपने नम्बर के लिए। जो मजदूर रोजमर्रा का कमाता है या खाता है वह भला अगर पूरा दिन लाइन में लगा देगा तो खाएगा क्या? कटु सत्य तो यह है कि लगभग हर गृहणी अपने घर के खर्चे से कुछ पैसा इमरजैंसी के लिए बचाती है जिसकी उसके पति को जानकारी नहीं होती अब इस करेंसी स्ट्राइक के बाद न केवल उसे इस बचत की जानकारी पति को देनी होगी बल्कि बदलवाने की घबराहट और पैदा होगी। अस्पतालों में मरीजों को दिक्कत अलग आ रही है। लोगों को अपनों के शव तक नहीं मिल रहे क्योंकि अधिकतर प्राइवेट बैंक पुराने 500 और 1000 के नोट लेने से साफ इंकार कर रहे हैं। लोगों को जीने वाली दवाइयों को खरीदने में दिक्कत आ रही है क्योंकि कैमिस्ट (सरकार के आदेश के बावजूद) पुराने नोट लेने से इंकार कर रहे हैं। जो ले भी रहे हैं वह छुट्टा नहीं दे रहे। किसी को 10-20 रुपए की दवा लेनी हो तो वह क्या करे? और तो और एक व्यक्ति तो अपनी मां के कफन के लिए भटकता रहा। हालांकि सरकार ने घोषणा की थी कि 11 नवम्बर तक सरकारी अस्पतालों, रेलवे टिकट काउंटरों और कब्रिस्तान-शमशान घाटों आदि पर 500 और 1000 रुपए के नोटों का इस्तेमाल किया जा सकता है। बावजूद इसके अपनी मां के कफन के लिए 500 रुपए का नोट लेकर मधेपुरा निवासी इनामुल हक भटकता रहा। बुधवार सुबह को इनामुल की मां हंसयून निशा (60) की मौत हो गई। इनामुल हक कफन लेने को तैयार था पर कोई भी दुकानदार उसे कफन देने को तैयार नहीं था। उसके पास सिर्प 500 और 1000 के ही नोट थे। थक हारकर उसने घटना की जानकारी वार्ड पार्षद को दी। उनकी मदद के बाद ही इनामुल की मां को कफन मिला। (क्रमश)

-अनिल नरेन्द्र

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