Saturday 19 November 2016

नोटबंदी या जीने की जद्दोजहद में मौत?

नोटबंदी के फैसले से आज सारा देश कतार में खड़ा है। बुनियादी जरूरतों व अपनी भूख मिटाने के लिए अपने ही पैसों को पाने के लिए दोबारा जद्दोजहद लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रही है। 1000 500 के नोट बंद किए जाने के बाद जिस तरह बैंकों व एटीएम के आगे कतारें लग रही हैं और जिस तरह लोग दुश्वारी का सामना करने पर मजबूर हो रहे हैं उससे तो पूरे देश में करीब 37 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है। इनमें ज्यादातर मौतें सदमे की वजह से हुई हैं। कई लोगों ने परेशानी की वजह से सुसाइड तक कर लिया है। यह दावा ब्रिटेन की एक न्यूज वेबसाइट हाफिंगटन पोस्ट ने तमाम मीडिया रिपोर्ट को आधार बनाकर किया है। महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में बुधवार को बैंक की  लाइन में खड़े 70 साल के व्यक्ति की मौत हो गई। पुलिस के मुताबिक दिगम्बर मरीबां टूप्पा कस्बे में एसबीआई के बाहर लाइन में खड़ा यह व्यक्ति अचानक बेहोश होकर गिर पड़ा और अस्पताल जाते वक्त दम तोड़ दिया। पुरानी दिल्ली के लालकुआं इलाके में स्थित बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में पिछले तीन दिनों से रोजाना नोट बदलवाने के लिए कतार में खड़े होने पर मजबूर सऊदुर रहमान (48) की करीब 12 बजे लाइन में लगने के दौरान ही दिल का दौरा पड़ा और अस्पताल ले जाते समय उनकी मृत्यु हो गई। इसी तरह उत्तर प्रदेश के बरेली में मॉडल टाउन निवासी कलीम अहमद (52) एसबीआई की शाखा में रुपए निकालने के लिए कतार में खड़े थे, अचानक दिल का दौरा पड़ा और उनका निधन हो गया। पूर्वी उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में नगर पंचायत सहतवार के वार्ड नम्बर एक निवासी सुरेश सुनार (40) को अपनी बेटी की शादी के सिलसिले में तिलक की रस्म के लिए पैसे की सख्त जरूरत थी। उनके पास पैसे न होने की वजह से वे तनाव में थे। इसी तनाव में वे मंगलवार को एसबीआई की शाखा गए, लेकिन पैसा नहीं मिला, वे घर लौट गए। मध्यरात्रि में उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनका निधन हो गया। राजधानी के बल्लीमारान में बुधवार को नोट बदलने के लिए करीब आठ घंटे से कतार में खड़े एक 48 वर्षीय व्यक्ति की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। वह पिछले तीन दिन से लाइन में खड़ा हो रहा था लेकिन उसका नम्बर नहीं आ रहा था। मृतक सउद के चचेरे भाई सिराज ने बताया कि बुधवार सुबह साढ़े तीन बजे से ही वह बैंक ऑफ इंडिया के बाहर लाइन में लगे थे। सुबह करीब साढ़े 11 बजे वह गश खाकर गिर पड़े। किसी ने फोन किया, उसके बाद परिजन मौके पर पहुंचे और उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। सिराज ने बताया कि सउद परिजनों के साथ लालकुआं स्थित आधा आहाताती में रहते हैं। परिवार में पत्नी नुजहत, तीन बेटियां और एक बेटा है। सउद कम्प्यूटर ऑपरेटर है। सउद के घर में शादी का माहौल मातम में बदल गया। पूर्वी असम के तिनसुकिया जिले में एक अज्ञात बंदूकधारी ने चार बागान श्रमिकों के लिए नगदी ले जा रही एक वैन पर फायरिंग कर दी, जिससे वैन में सवार अभिजीत पाल की मृत्यु हो गई व दो अन्य घायल हो गए। हाफिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक अधिकतर लोगों की मौत कई घंटों तक लंबी कतारों में लगने के दौरान हुई। बड़े नोटो की कमी से उपजी समस्या ने जनता को घंटों लाइन में खड़े होने पर मजबूर कर दिया है। आम लोग पांच से छह घंटे या इससे भी अधिक समय तक लाइन में लग रहे हैं, जिससे उनकी मांसपेशियों में खिंचाव की समस्या हो सकती है। इससे घुटनों और कमर पर भी बुरा असर पड़ता है। इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. राजू वैरव ने बताया कि लंबे समय तक खड़े होने से घुटनों के अलावा, टखनों, कूल्हे, कमर और पैर की हड्डी पर असर पड़ता है। इससे सिनोवियल जोड़ों में सामान्य ल्यूब्रिकेटिंग और टिश्यू को क्षति पहुंचती है। आठ मिनट से अधिक समय तक खड़े रहने से मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है और पैर की नसों में सूजन भी आ जाती है। कई आत्महत्याएं इस वजह से भी हुई हैं कि अस्पतालों ने इलाज करने से मना कर दिया है। प्राइवेट अस्पतालों और मेडिकल स्टोर्स पर 500/1000 रुपए के पुराने नोटों के चलने के मुद्दे पर देशभर में भ्रम और विवाद की स्थिति बनी हुई है। दरअसल ये हालात इसलिए बने, क्योंकि सोमवार रात वित्त मंत्रालय ने सर्पुलर जारी कर कहा था कि सभी महत्वपूर्ण जगहों यानि सरकारी अस्पतालों, निजी मेडिकल स्टोर्स पर पुराने नोट 24 नवम्बर तक लिए जाएंगे। वित्त मंत्रालय के अधिकारी से जब सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के बारे में स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया तो उनका जवाब थाöसभी जगह पर मंत्रालय ने सर्पुलर के क्लॉज 25-आई में निजी मेडिकल स्टोर्स तो लिखा, लेकिन अस्पताल नहीं लिखा। इस वजह से इंदौर, भोपाल, जयपुर, औरंगाबाद, नासिक समेत कई जगहों पर अस्पताल संचालकों ने पुराने नोट लेने से इंकार कर दिया। राजधानी में भी बड़े-बड़े प्राइवेट अस्पताल पुराने नोट लेने से इंकार कर रहे हैं। कई जानलेवा बीमारियों से ग्रस्त कैंसर रोगी, मधुमेह रोगी व अन्य बीमारियों से परेशान हैं। कुछ का रेग्यूलर डायलेसिस होता  है वह कहां जाएं? मंगलवार को आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास से प्रेस कांफ्रेंस में इस बाबत पूछा गया तो पहले तो उन्होंने कहा कि कौन अस्पताल पुराने नोट नहीं ले रहा है? मुझे स्पेसिफिक नाम बताओ? यह कहकर सवाल टाल दिया। जब हैल्थ सैकेटरी सीके मिश्रा से बात की तो उन्होंने कहा कि ये हमें भी स्पष्ट नहीं है। मामला वित्त मंत्रालय देख रहा है। वो ही निर्देश देगा तो हम लागू करेंगे। दूसरी ओर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा कि हमने प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री के सामने प्रस्ताव रखा है। इसमें कहा गया है कि निजी अस्पतालों को भी पुराने नोटों की चलन वाली खास जगहों में शुमार किया जाए। यह इसलिए भी जरूरी है कि निजी अस्पतालों में बड़ी संख्या में आम आदमी आते हैं। इमरजेंसी में कोई नजदीकी अस्पताल में जाए या सरकारी अस्पताल ढूंढेगा? ऐसे में हालात सामान्य होने तक प्राइवेट अस्पतालों में पुराने नोट मान्य किए जाएं। एक सुझाव यह भी आया है कि इमरजेंसी मरीजों से इस शर्त पर पुराने नोट ले लें कि अगले दिन या दो-तीन दिन बाद वह नए नोट लेकर बदल लें। अगर सरकार पुराने नोट मान्य नहीं करती है तो अस्पतालों में नोट बदलने की व्यवस्था ही कर दे। पाठकों को याद होगा कि मैंने इसी कॉलम में किसानों और शादी वाले परिवारों की समस्या को उठाया था। मुझे खुशी है कि प्रधानमंत्री ने इन दोनों कैटेगरियों में राहत की घोषणा की है। अब रबी और शादियों के मौसम के बीच 1000 और 500 रुपए के पुराने नोटों के बंद होने की दिक्कतों को देखते हुए सरकार ने नकदी निकासी सीमा बढ़ा दी है। सरकार ने किसानों और छोटे व्यापारियों के लिए हफ्ते में 50,000 रुपए तक की बैंक खातों से नकदी निकासी और शादी वाले घरों के लिए एक खाते से ढाई लाख रुपए तक की नकद निकासी की सहमति दे दी है। इसी क्रम में हम उम्मीद करते हैं कि निजी अस्पतालों व कैमिस्टों से भी कहा जाए कि स्थिति सुधरने तक वह पुराने नोट लें।

-अनिल नरेन्द्र

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