Wednesday, 16 November 2016

मोदी की जापान यात्रा दोनों देशों के संबंध और मजबूत करेगी

जापान भारत का सदाबहार दोस्त है। हाल ही की प्रधानमंत्री की यात्रा में दोनों देशों के आपसी रिश्ते और मजबूत हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा से यह साफ हो गया है कि दोनों देशों के संबंध अब सामान्य से काफी आगे चले गए हैं। यह कहना गलत न होगा कि भारत और जापान के संबंध सामरिक साझेदारी की श्रेणी में आ चुके हैं। नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा के दौरान कई समझौतों पर दस्तखत हुए हैं, लेकिन उनके इस दौरे को जापान के साथ असैन्य ऐतिहासिक परमाणु समझौते को अंतिम रूप देने के लिए खासकर याद किया जाएगा। देश में 500 और 1000 रुपए के नोटों की सर्जिकल स्ट्राइक के तुरन्त बाद पीएम मोदी जापान की यात्रा पर निकल गए थे। दोनों देशों के बीच हुए समझौते कई मायनों में महत्वपूर्ण हैं। जापान के साथ असैन्य ऐतिहासिक परमाणु समझौता इसलिए भी उल्लेखनीय है कि परमाणु हमला झेल चुके दुनिया के इकलौते मुल्क जापान ने पहली बार एक ऐसे देश के साथ असैन्य परमाणु समझौता किया है, जिसने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। यह समझौता करने के लिए दोनों ही देश वर्षों से प्रयासरत थे, लेकिन 2011 में फुकुशिमा में हुए हादसे के बाद जापान में इस समझौते के खिलाफ माहौल बन गया था। पिछले दिसम्बर में जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे की भारत यात्रा के दौरान समझौते पर दोनों तरफ से सहमति बन गई थी। जाहिर-सी बात है कि दोनों देशों का यह रिश्ता दुनियाभर की राजनीति पर गहरा असर डालेगा। खासकर एशिया में चीन के बढ़ते वर्चस्व को संतुलित करने के लिए भारत-जापान समीकरण में तालमेल की सख्त जरूरत थी। जापान भारत में निवेश के मामले में हमेशा आगे रहा है। भारत-जापान की बढ़ती मित्रता पर चीन का बौखलाना स्वाभाविक ही है। उसने प्रधानमंत्री की जापान यात्रा के सन्दर्भ में दो टिप्पणियां की हैंöपहले उसने कहा कि दोनों देश पड़ोसी की चिन्ताओं को ध्यान में रखें। चीन का इशारा दक्षिण चीन सागर पर उसके रुख को लेकर था। उसका संदेश था कि भारत इस मामले से दूर रहे और जापान के साथ किसी प्रकार की घोषणा न करे। बाद में उसने कह दिया कि भारत जापान का मोहरा न बने। दूसरी प्रतिक्रिया का अर्थ है कि भारत ने उसकी पहली परोक्ष चेतावनी को नजरंदाज कर दिया। भारत-जापान की जो संयुक्त विज्ञप्ति जारी हुई उसमें दक्षिण चीन सागर का बाकायदा जिक्र था। जापान के साथ असैन्य परमाणु समझौते के बाद जापान भारत को परमाणु ईंधन, उपकरण और परमाणु ऊर्जा के उत्पादन के लिए तकनीक सौंपेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने भी कहा कि शांतिपूर्ण इस्तेमाल के लिए हुआ यह परमाणु समझौता स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में भागीदारी की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। दो एशियाई शक्तियां जापान और भारत अगर एकजुट रहें तो महाद्वीप में चीन का वर्चस्व कायम होना कठिन हो जाएगा।

-अनिल नरेन्द्र

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