दिल्ली में तेजी से बढ़
रहे कोरोना वायरस के मामलों ने सभी की नींद उड़ाई है। सरकार और प्रशासन को इस बात की
जानकारी ही नहीं कि दिल्ली की वास्तविक स्थिति है क्या? इसका सबसे बड़ा कारण समय पर रिपोर्ट न मिल पाना है। मंगलवार
को केंद्रीय मंत्री के साथ हुई ऑनलाइन बैठक में दिल्ली के डिस्ट्रिक्ट मजिस्टेट ने
कहा कि दिल्ली में तीन-तीन दिन में सैंपल जांच के लिए जा रहे
हैं और इनकी रिपोर्ट 15 से भी ज्यादा दिन बाद आ रही है। ऐसे में
जो मरीज पॉजिटिव होगा वह ठीक हो जाएगा और जो पॉजिटिव हैं वह दूसरों को संक्रमित कर
देंगे। डीएम ने कहा कि नोएडा स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बॉयोलाजिकल्स पर अतिरिक्त
भार होने की वजह से सैंपल रिपोर्ट नहीं मिल पा रहे हैं। बैठक में उत्तरी दिल्ली के
डीएम ने कहा कि अगर रिपोर्ट समय पर मिलती है तो हम आज ऑरेंज से ग्रीन जोन में बढ़ रहे
होते लेकिन अभी भी रेड जोन में ही हैं। 15 दिन बाद जब रिपोर्ट
आती है तो अचानक से मरीज बढ़ जाते हैं। जहांगीरपुरी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है जहां
देरी से रिपोर्ट मिलती है तो अचानक से 50 से 60 मरीज मिल जाते हैं। ऐसे में जिले को ऑरेंज या ग्रीन जोन कैसे बनाएं?
वहीं दक्षिणी पूर्वी के डीएम ने कहा कि तबलीगी जमाती मिलने के बाद निजामुद्दीन
इलाके में सर्वे किया लेकिन उनकी रिपोर्ट अब तक नहीं मिली है। अगर यह रिपोर्ट पहले
मिल जाती तो यह क्षेत्र ऑरेंज जोन में आ जाता। बता दें कि दिल्ली में कोरोना की गति
थामने के लिए लॉकडाउन का समय बढ़ाया गया था लेकिन दूसरे लॉकडाउन में भी कोरोना की रफ्तार
थमी नहीं बल्कि मामले और ज्यादा आए। सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना होगा। जांच
के बाद रिपोर्ट आने में जितनी देरी होगी उतना ही सही आंकलन करने में मुश्किल आएगी।
-अनिल नरेन्द्र
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