Friday 1 May 2020

टेस्टिंग किट पर लगाया प्रतिबंध तो चीन तिलमिला उठा

घटिया कोविड-19 की जांच के लिए चीनी कंपनियों से आयातित टेस्टिंग किट मामले पर भारत और चीन की ठनती नजर आ रही है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की चीन से आई रैपिड इस्तेमाल न करने और इसे वापस करने की सलाह के बाद चीन ने चिंता जाहिर करते हुए इसे पूर्वाग्रह से  प्रेरित बताया है। चीनी कंपनियां यह मानने को तैयार नहीं हैं कि उनकी किट की गुणवत्ता गड़बड़ है। चीनी ने भारत को नसीहत देते हुए कहा है कि किट की स्टोरेज, इस्तेमाल और ट्रांसपोर्टेशन सही तरीके से प्रोफेशनल लोगों द्वारा न किया जाना किट के नतीजों में अंतर ला सकता है। भारत ने गुणवत्ता को लेकर कोई समझौता न करने का संदेश चीन को दिया है। वहीं सूत्रों की ओर से कहा गया है कि घटिया गुणवत्ता वाली किट लौटाई जा सकती है और इनका भुगतान भी रोका जा सकता है। भारत के इस कदम पर नई दिल्ली स्थित के दूतावास ने बेहद तल्ख प्रतिक्रिया दी है। चीनी दूतावास की प्रवक्ता शी टोंग ने इस फैसले को चिंताजनक व पूर्वाग्रह से पूर्ण बताया है। वहीं भारत को रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट देने वाली कंपनी वोंडको ने इस पर गहरी निराशा जताई और कहा कि वह भी इस आरोप की जांच करेगी। चीनी दूतावास की प्रवक्ता शी टोंग ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर चीन सरकार का पक्ष रखा। इसमें कहा गया है कि आईसीएमआर ने चीन को जिन दो कंपनियों से किट मंगाने का फैसला किया था, उस किट को नेशनल प्रॉडक्ट्स एडमिनिस्ट्रेशन लिमिटेड और भारत के राष्ट्रीय वायरोलॉजी संस्थान से पूर्ण मंजूरी मिली थी। उक्त दोनों संस्थान सभी तरह के अंतर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा करने में सक्षम हैं। जिन दो कंपनियों ने भारत को निर्यात किया है, वह यूरोप, लैटिन अमेरिका और एशिया के दूसरे देशों को भी उक्त उत्पाद भेज रही हैं। इस प्रतिक्रिया पर सरकारी सूत्रों ने कहा कि खरीद समझौता कंपनियों के साथ हुआ है, चीन सरकार से नहीं। कोई गड़बड़ी हुई है तो उन कंपनियों के स्तर पर हुई है। फिलहाल जिन दो कंपनियों की किट में गड़बड़ी पाई गई है उनसे अब भारत कोई खरीद नहीं करेगा। चीन की तिलमिलाहट के पीछे एक बड़ी वजह यह है कि उसकी रैपिड एंटीबॉडी टेस्टिंग किट पर भारत जैसे बड़े देश ने अंगुली उठाई है। भारत ने चीन की कंपनियों से इस तरह की तकरीबन 12 लाख किट के आयात का कांट्रेक्ट किया है। पांच लाख किट पहले ही पहुंच चुकी हैं, जिसे लेकर अब सवाल उठ रहे हैं। आईसीएमआर ने सोमवार को कहा था कि इस किट पर प्रतिबंध लगाने से भारत को आर्थिक हानि नहीं होगी, क्योंकि अभी तक इसका भुगतान नहीं किया गया है।

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