Wednesday, 13 May 2020

कोरोना ने बदल डाली दुख बांटने की भी परिभाषा

कोरोना के तेजी से बढ़ते संक्रमण के बाद मरीजों का बेहतर इलाज और मृत्युदर को कम करना सरकार की पहली प्राथमिकता बन गई है। सरकार इस बात से चिंतित नहीं है कि केस कितने बढ़ रहे हैं। जितने ज्यादा टेस्ट होंगे उतनी संक्रमत केसों की संख्या बढ़ेगी। पर चिंता इस बात की होनी चाहिए कि इससे मौत को कंट्रोल किया जा सके। फिलहाल हर दिन कोरोना के तीन हजार से अधिक मरीज सामने आ रहे हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि रिकवरी रेट भी बढ़ा है। लॉकडाउन तीन में मिली छूट का असर अगले हफ्ते सामने आने के बाद हर दिन नए मरीजों की संख्या और ज्यादा होना तय माना जा रहा है। इसलिए जरूरी यह है कि लोगों को कोरोना के साथ ही जीना सीखना होगा। लॉकडाउन के नियमों का सख्ती से पालन करें, सभी जरूरी प्रिकौशन लें तभी कोरोना को चरम पर पहुंचने से रोका जा सकता है। देश में कोरोना के मरीजों की संख्या भले ही तेजी से बढ़ रही हो, लेकिन अच्छी बात यह है कि हर तीसरा मरीज स्वस्थ होकर घर भी जा रहा है। कोरोना ने जीवन की परिभाषा बदलकर रख दी है। संवेदना व भावनाओं को व्यक्त करने के तरीके में बदलाव कर दिया है। समय के साथ, परिस्थितियों के साथ यह जरूरी भी है, क्योंकि अगर थोड़ी-सी भी लापरवाही हुई तो स्वास्थ्य के लिए कठिनाइयां उत्पन्न हो जाएगी। दिल्ली के राजौरी गार्डन में ऐसा ही एक वाकया देखने को मिला। राजौरी गार्डन निवासी एक महिला के पिता का देहांत कनाडा में हो गया। महिला व उनके पति के करीबी लोगों ने अपनी संवेदना व्यक्त करने के लिए शारीरिक दूरी का पालन करने के साथ-साथ दूसरों के लिए मिसाल पेश की है। महिला अपने परिवार के साथ घर के बाहर खड़ी हो गई। इसी दौरान उनके करीबी कार में आए और कार से ही संवेदना व्यक्त कर चले गए। अधिकांश लोगों ने सड़क पर अपनी कार में खड़े होकर कागज पर अपनी बात लिखकर महिला को ढांढस बंधाया। राजौरी गार्डन में चांदनी अपने परिवार के साथ रहती हैं। चांदनी के पिता गुरिन्दर सिंह आनंद की मौत कनाडा में कोरोना संक्रमण के कारण दो मई को हो गई थी। इसके बाद से पूरा परिवार दुखी है। इस परिवार के परिचित घर आकर संवेदना व्यक्त करना चाहते थे, लेकिन चांदनी के पति रमनदीप ने इसके लिए साफ मना कर दिया। उन्होंने दोस्तों, रिश्तेदारों से कहा कि अभी के समय मिलना न तो आपके लिए हितकारी है और न मेरे लिए। पर दोस्तों का मन नहीं मान रहा था। इसके बाद रमनदीप ने कहा कि आप सभी लोग सात मई को मेरे घर के पास कार से आएं। हम सभी घर के गेट पर रहेंगे और आप बिना कार से उतरे अपनी संवेदना व्यक्त कर चले जाएं, क्योंकि यह समय की मांग है। हमें सरकार के दिशानिर्देशों का पूरी तरह से पालन करना है। साथ ही इस बात की जानकारी बीट ऑफिसर को भी दे दी गई। इसके बाद सात मई को रमनदीप के 10 दोस्त अपनी कार में आए और संवेदनाएं व्यक्त कर चले गए। हर कार में सिर्प दो लोग बैठे हुए थे। इस दौरान स्वास्थ्य विभाग के सभी निर्देशों का पालन किया गया।

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