दिल्ली में रविवार को
आए आंधी-तूफान के बाद भूकंप का झटका महसूस किया
गया। रिएक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.4 दर्ज की गई। भूकंप का
केंद्र जमीन के 2.9 किलोमीटर नीचे था। दिल्ली में 29 दिनों के अंदर भूकंप का यह तीसरा झटका महसूस किया गया है। दिल्ली में पहला
भूकंप का झटका 12 अप्रैल को आया था, जिसकी
क्षमता रिएक्टर स्केल पर 3.5 मापी गई थी। इसके अगले दिन ही
13 अप्रैल को भूकंप का दूसरा झटका दिल्ली में महसूस किया गया,
जिसकी तीव्रता रिएक्टर स्केल पर 2.3 मापी गई थी।
दिल्ली में 29 दिनों के अंदर आए भूकंप के तीनों झटकों का केंद्र
उत्तर-पूर्वी दिल्ली ही रहा। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र
के वरिष्ठ वैज्ञानिक जीएल गौतम के अनुसार रविवार को आए भूकंप का केंद्र उत्तर-पूर्वी दिल्ली में अलीपुर-उत्तर प्रदेश सीमा के पास था।
इससे पूर्व 12 और 13 अप्रैल को भूकंप का
केंद्र उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सोनिया विहार के पास था। जीएल
गौतम के मुताबिक दिल्ली में महसूस किए जा रहे भूकंप के झटके दिल्ली-हरिद्वार रेंज की प्लेटों में बदलाव की वजह से महसूस किए जा रहे हैं। जीएल
गौतम के मुताबिक इन प्लेटों की आंतरिक प्लेटों में मामूली बदलाव का क्रम जारी है। इस
वजह से भूकंप के हल्के झटके महसूस किए जा रहे हैं। दिल्ली में आए इन तीन झटकों के अलावा
आठ अप्रैल को दादरी के पास भी भूकंप का झटका महसूस किया गया था, जो रिज क्षेत्र में ही है। चिन्ता का विषय है। दिल्ली भूकंप के लिए संवेदनशील
है। इस क्षेत्र में कभी भी बड़ा झटका आने की संभावना जताई जा रही है। राष्ट्रीय भूकंप
]िवज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक जीएल गौतम पूरे हिमालयन क्षेत्र
को भूकंप के सिस्मिक जोन-5 में रखा है। इसका अर्थ है कि यह भूकंप
के लिए सबसे संवेदनशील है। इसके बाद जोन चार आता है, जिसमें दिल्ली
है। गौतम के मुताबिक हिमालयन क्षेत्रों में लगातार इंडियन प्लेट्स यूरेशिया प्लेट्स
से टकराती हैं। इस वजह से बड़े भूकंप की संभावनाएं लगातार बनी रहती हैं, ऐसा होने पर इसका असर जोन चार पर भी पड़ सकता है। वैज्ञानिकों ने इन भूकंपों
के बारे में अपनी थ्योरी दी है पर ज्योतिषियों के अनुसार इतने भूकंप आने अच्छे संकेत
नहीं हैं। वह कहते हैं कि यह बुरे टाइम का संकेत है और आगे भी ऐसे झटके आते रहेंगे।
-अनिल नरेन्द्र
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