भगौड़े कारोबारी विजय
माल्या का खेल खत्म होने वाला है। कानूनी दांवपेंच के चलते माल्या भारत प्रत्यर्पण
से अब तक कोई न कोई कानूनी तिकड़म लगाकर बचता रहा है। पर अब उसके कानूनी विकल्प खत्म
होते दिख रहे हैं। विजय माल्या को भारत को सौंपे जाने के खिलाफ याचिका को ब्रिटेन के
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। अब माल्या के पास ब्रिटेन में लगभग सभी तरह के कानूनी
विकल्प खत्म हो चुके हैं। माल्या को 28 दिनों
के भीतर भारत को सौंपा जा सकता है। हालांकि इस पर अंतिम फैसला ब्रिटेन के गृहमंत्री
प्रीति पटेल को करना है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कोर्ट से मिले झटके के बाद माल्या
अब यूरोपियन कोर्ट ऑफ ह्यूमन राइट्स में गुहार लगा सकता है। अगर ऐसा होता है तो प्रत्यर्पण
लटक सकता है। इससे पहले ब्रिटेन के हाई कोर्ट ने भी माल्या की याचिका खारिज कर दी थी।
कारोबारी माल्या पर आरोप है कि उसने भारतीय बैंकों से करीब 10 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया और उसे बिना वापस किए मार्च 2016 में भारत से फरार हो गया था। 64 वर्षीय माल्या पर भारत
में धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग का केस दर्ज है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले माल्या
ने कोरोना संकट पर आर्थिक राहत पैकेज के ऐलान के लिए प्रधानमंत्री को बधाई दी और सरकार
को कर्ज वापस करने की बात भी कही। ट्वीट कर माल्या ने कहा कि उन्हें मेरे जैसे छोटे
सहयोगकर्ता को इग्नोर करना चाहिए, जो स्टेट बैंक का सारा पैसा
लौटाना चाहता है। मुझसे सारा पैसा बिना शर्त के लीजिए और मामला खत्म कीजिए। माल्या
पहले भी कहता रहा है कि कर्ज चुकाने के उसके बार-बार के आग्रह
को मोदी सरकार नजरंदाज कर रही है।
-अनिल नरेन्द्र
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