Wednesday 20 May 2020

अर्थव्यवस्था में आने वाला है तूफान

यह दुर्भाग्य की बात है कि हमारे देश में विपक्ष को इतना कमजोर कर दिया गया है कि वह कुछ भी बात करे, चेतावनी दे चाहे वह अत्यंत आवश्यक ही क्यों न हो सत्ता पक्ष उसे हवा में उड़ा देता है। यही नहीं बल्कि चेतावनी देने वाले विपक्षी नेता को या तो पप्पू कहकर मजाक में उड़ा देता है या अपने अहंकार में उसे नजरंदाज कर देता है। मैं बात कर रहा हूं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और नेता राहुल गांधी की। राहुल गांधी ने इस साल फरवरी में चेतावनी दी थी कि देश में कोरोना आ चुका है और सरकार को अविलंब उससे देशवासियों की सुरक्षा हेतु कदम उठाने चाहिए। पर सरकार ने उनकी चेतावनी को हवा में उड़ा दिया। आज नतीजा सबके सामने है। कोरोना ने इतना भयंकर रूप धारण कर लिया है कि रोज कोरोना संक्रमितों के रिकॉर्ड टूट रहे हैं। इस कोरोना की मार जानमाल पर तो पड़ ही रही है पर सबसे ज्यादा हमारी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगी। राहुल गांधी ने कोरोना वायरस महामारी में मुसीबत का सामना कर रहे गरीबों, किसानों एवं मजदूरों तक न्याय योजना की तर्ज पर मदद पहुंचाने की मांग करते हुए शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार से आग्रह किया कि वह आर्थिक पैकेज पर पुनर्विचार करें और सीधे लोगों के खातों में पैसा डालें। उन्होंने यह भी कहा कि लॉकडाउन को समझदारी एवं सावधानी के साथ खोलने की जरूरत है और बुजुर्गों एवं गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों का विशेष ध्यान रखना चाहिए तथा अर्थव्यवस्था में आने वाले तूफान का मुकाबला करने की तैयारी रखनी चाहिए। गांधी ने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहाöजो पैकेज होना चाहिए था वो कर्ज का पैकेज नहीं होना चाहिए था। इसको लेकर मैं निराश हूं। आज किसानों, मजदूरों और गरीबों के खाते में सीधे पैसे डालने की जरूरत है। उन्होंने कहाöआप (सरकार) कर्ज दीजिए, लेकिन भारत माता को अपने बच्चों के साथ साहूकार का काम नहीं करना चाहिए, सीधे उनकी जेब में पैसे देना चाहिए। इस वक्त गरीबों, किसानों और मजदूरों को कर्ज की जरूरत नहीं, पैसे की जरूरत है। मैं विनती करता हूं कि नरेंद्र मोदी जी को पैकेज पर पुनर्विचार करना चाहिए। किसानों और मजदूरों को सीधे पैसे देने के बारे में सोचिए। उन्होंने कहाöमैंने सुना है कि पैसे नहीं देने का कारण रेटिंग है। कहा जा रहा है कि वित्तीय घाटा बढ़ जाएगा तो बाहर की एजेंसियां हमारे देश की रेटिंग कम कर देंगे। हमारी रेटिंग मजदूर, किसान, छोटे कारोबारियों से बनती है। इसलिए रेटिंग के बारे में मत सोचिए, उन्हें पैसे दीजिए। गांधी के मुताबिक लॉकडाउन खोलते समय समझदारी और सावधानी की जरूरत है। न्याय जैसी योजना इसमें मददगार साबित हो सकती है। मांग न होने पर बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान होने की संभावना है, जो कोरोना से भी बड़ी हो सकती है। मेरा यह मानना है कि आप न्याय के नाम कुछ और दीजिए, लेकिन अगले कुछ महीनों के लिए इसे लागू करिए। गौरतलब है कि पिछले लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि सरकार बनने पर वह न्यूनतम आय गारंटी योजना (न्याय) लागू करके हर गरीब परिवार को 72 हजार रुपए की सालाना आर्थिक मदद देगी। उस वक्त राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष थे। सरकार की आलोचना फिलहाल नहीं करने के अपने रुख पर कायम रहते हुए राहुल गांधी ने कहा कि यह समय किसी को गलत बताने का नहीं है, बल्कि बहुत बड़ी समस्या के समाधान का है। कोरोना संकट में मांग और आपूर्ति दोनों बंद हैं। सरकार को दोनों को गति देनी होगी। जो कर्ज पैकेज की बात है उससे मांग खुलने वाली नहीं है। क्योंकि बिना पैसे के लोग खरीददारी कैसे करेंगे?

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