Thursday 21 May 2020

मजहब नहीं सिखाता लाउडस्पीकर से अजान


पिछले दिनों मशहूर संगीतकार, लेखक जावेद अख्तर ने कहा था कि अजान के लिए लाउडस्पीकर जरूरी नहीं है। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुकवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि अजान इस्लाम का एक आवश्यक एवं अभिन्न हिस्सा हो सकता है, लेकिन लाउडस्पीकर या ध्वनि बढ़ाने वाले किसी अन्य उपकरण के जरिए अजान को इस धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं कहा जा सकता है। अदालत ने कहा कि इसलिए किसी भी परिस्थिति में रात दस बजे से सुबह छह बजे के बीच लाउडस्पीकर के उपयोग की अनुमति नहीं दी जा सकती है। हालांकि न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता और न्यायमूर्ति अजित कुमार की पीठ ने कहा कि मस्जिद की मीनारों से मुअज्जिन एम्पलीफायर वाले उपकरणों के बिना अजान बोल सकते हैं और पशासन को कोविड-19 महामारी रोकने के दिशानिर्देश के बहाने इसमें किसी तरह का अवरोध उत्पन्न नहीं करने का निर्देश दिया जाता है। अदालत ने कहा कि पशासिनक अधिकारी इसमें तब तक अवरोध पैदा नहीं कर सकते जब तक कि ऐसे दिशानिर्देशों का उल्लघंन किया जाए। इन व्यवस्थाओं के साथ अदालत ने गाजीपुर से सांसद अफजल अंसारी द्वारा दायर जनहित याचिका का निस्तारण कर दिया। अंसारी ने अदालत से गुहार लगाई थी कि गाजीपुर के लोगों के धर्म के मौलिक अधिकार की सुरक्षा की जाए और राज्य सरकार को यह निर्देश दिया जाए कि वह गाजीपुर की मस्जिदों से एक मुअज्जिम को अजान बोलने की अनुमति दे। पूर्व केन्द्राrय मंत्री सलमान खुर्शीद ने भी फर्रुखाबाद और अन्य जिलों के मुस्लिमों के संबंध में इसी तरह की राहत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। खुर्शीद ने भी यह दलील दी थी कि अजान इस्लाम का एक अनिवार्य हिस्सा है।
-अनिल नरेन्द्र
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