Tuesday, 12 May 2020

अब तो कब्रिस्तान में दफन करने के लिए जगह नहीं बची

राजधानी दिल्ली में कोरोना से होने वाली मौत और दिल्ली सरकार की रिपोर्ट अलग-अलग तस्वीर क्यों बयां कर रही है? सरकार के हैल्थ बुलेटिन के मुताबिक शुक्रवार तक दिल्ली में 68 लोगों की कोरोना से मौत हुई, वहीं अकेले आईटीओ कब्रिस्तान में ही 86 डेड बॉडी कोरोना के तहत दफन की जा चुकी हैं। ऐसे में दिल्ली सरकार के हैल्थ बुलेटिन पर सवाल खड़े होने लाजिमी हैं। कोरोना से मरने वालों में हिन्दू भी होंगे और कब्रिस्तान में तो सिर्प मुस्लिम लोगों को ही दफनाया जाता है। आईटीओ कब्रिस्तान की स्थिति यह हो गई है कि यहां अब डेड बॉडीज दफन करने के लिए जगह बहुत कम बची है। इस कब्रिस्तान के प्रबंधकों का कहना है कि सरकार दूसरे कब्रिस्तानों में डेड बॉडी दफन करने का इंतजाम करे। कब्रिस्तान की प्रबंधक कमेटी के सचिव हाजी फैयाजुद्दीन का कहना है कि कब्रिस्तान 1924 से है, जोकि 50 एकड़ जमीन पर है। यहां की कुछ जगह कोरोना से मरने वालों के लिए रखी गई है। अब तक कोरोना से संबंधित 86 डेड बॉडी दफन की जा चुकी हैं। इनमें से छह शुक्रवार को दफन की गई हैं। यह डेड बॉडी लोकनायक और सफदरजंग अस्पताल से आई हैं। सभी डेड बॉडी कोरोना प्रोटोकॉल के हिसाब से दफन की जा रही हैं। हमारे पास सबके कागजात हैं। फैयाजुद्दीन ने कहा कि अगर ऐसे ही कोरोना से संबंधित डेड बॉडी आती रहीं तो आने वाले 10-12 दिन में जगह पूरी हो जाएगी। सरकार अब अन्य कब्रिस्तानों में डेड बॉडी के दफनाने का इंतजाम करे क्योंकि यहां अब जगह नहीं बची है। उन्होंने कहा कि 14 एकड़ जमीन उनके मिलेनियम पार्प स्थित कब्रिस्तान में थी। दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के एक शीर्ष अधिकारी (निदेशक) का कहना है कि अगर कोई मरीज संदिग्ध होता है और उसकी मौत हो जाती है तो उसका शव प्रबंधन ठीक वैसा ही किया जाता है जैसा कि कोविड-19 पॉजिटिव के लिए किया जा रहा है। मोहम्मद शमीम (सुपरवाइजर) ने बताया कि आईसीयू में भर्ती कई मरीजों के परिजन अब तक कब्रिस्तान आ चुके हैं। ऐसे ही एक केस के बारे में उन्होंने बताया कि सरिता विहार में एक बड़ा प्राइवेट अस्पताल है, जहां 32 वर्षीय महिला का लीवर प्रत्यारोपण होना था, लेकिन कोरोना के चलते उसकी हालत बिगड़ गई। डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था। महिला वेंटिलेटर पर थी। बुकिंग कराने के लिए परिजन यहां पहले आए थे, लेकिन कब्रिस्तान एडवांस बुकिंग नहीं करता है। कोरोना के चलते परिजनों को दूर रखा जा रहा है। ऐसे में शवों को दफनाने के लिए एक जेसीबी कब्रिस्तान में है, जो प्रति शव छह हजार रुपए शुल्क लेती है। मिट्टी डालने के छह हजार रुपए। कब्रिस्तान प्रबंधन से इसका कोई लेना-देना नहीं है।

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