Saturday 2 May 2020

हंसाते-हंसाते चला गया एक महान कलाकार

असाधारण अभिनय प्रतिभा के बल पर साधारण नैन-नक्श वाले इरफान खान ने हर किसी को अपना मुरीद बना  लिया। मकबूल, पान सिंह तोमर, मदारी और मुख्यधारा की अंग्रेजी मीडियम, पीकू जैसी फिल्मों के बल पर उन्हें प्रशंसकों का वो प्यार हासिल हुआ है, जिसके  लिए अभिनेता और सितारे, दोनों ही तरसते हैं। हिन्दी सिने जगत के इस अंतर्राष्ट्रीय एक्टर शहंशाह इरफान खान सुपुर्द--खाक हो गए। शांत चेहरे और आंखों से अदाकारी से मकबूल 53 साल के इरफान खान नहीं रहे। उन्हें न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर (कैंसर) था। आंतों में संक्रमण होने पर उन्हें मंगलवार को अस्पताल लाया गया, जहां बुधवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। चार दिन पहले उनकी मां सईदा बेगम का भी निधन हो गया था। जिंदगी के आखिरी पलों में भी अपने काम से जिंदा रहने की ख्वाहिश इरफान में ही थी। वह जीवन के सर्पिस को बाहर खड़े होकर देखते थे। एक संवाददाता ने उनसे पूछा कि जब वह इलाज करवा रहे हैं तो शूटिंग क्यों जारी रखना चाहते हैं? उन्होंने कहाöमैं मरा नहीं हूं न... तो मुझे जिस काम से प्यार है, वह करके जिंदा रहने दो। इरफान को 2018 में न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर हुआ था। उनके परिवार में पत्नी सुतापा और दो बेटे बाबिल और अयान हैं। इरफान खान ने केवल देश में ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपने अभिनय का लोहा मनवाया। खान को मलाशय संक्रमण के कारण मंगलवार को मुंबई के कोकिला बेन धीरुभाई अंबानी अस्पताल में आईसीयू में भर्ती कराया गया था। उनके निधन के संबंध में जारी बयान में कहा गया है, यह काफी दुखद है कि आज हमें उनके निधन की खबर बतानी पड़ रही है। इरफान एक मजबूत इंसान थे, जिन्होंने अंत तक लड़ाई लड़ी और अपने संपर्प में आने वाले हर शख्स को प्रेरित किया। इरफान को बुधवार को अपनी मौत का पूर्वाभास हो गया था। सुबह उन्होंने अस्पाल के कमरे में अपनी पत्नी सुतापा सिकदार से कहा कि देखो अम्मी उनकी तरफ बैठी हैं। वह उन्हें लेने आई हैं। यह सुनकर उनकी पत्नी रोने लगीं और कमरे से बाहर चली गईं। गौरतलब है कि इरफान खान की मौत से ठीक तीन दिन पहले उनकी अम्मी की मौत हो गई थी। लॉकडाउन के चलते वह उनकी अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हो पाए। इरफान का आखिरी संदेशöमैं आपके साथ हूं भी और नहीं भी... मेरा इंतजार करना। हैलो भाइयों-बहनों नमस्कार। मैं इरफान। मैं आज आपके साथ हूं भी और नहीं भी। मेरे शरीर के अंदर कुछ अनचाहे मेहमान बैठे हुए हैं। उनसे वार्तालाप चल रहा है। देखते हैं ऊंट किस करवट बैठता है। जैसा भी होगा आपको जानकारी दे दी जाएगी। जब इरफान को इस मनहूस बीमारी का पता चला तो उन्होंने अस्पताल में लिखा थाöकई बार सफर ऐसे भी खत्म होता है। अभी तक मैं एक बेहद अलग खेल का हिस्सा था। मैं एक तेज भागती ट्रेन पर सवार था। मेरे सपने की योजनाएं थीं। मैं पूरी तरह इस सब में व्यस्त था। तभी ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए मुझे रोका। वह टीसी था। बोलाöआपका स्टेशन आने वाला है, नीचे उतर आएं। मैं परेशान हो गया। नहीं-नहीं मेरा स्टेशन अभी नहीं आया है। उसने कहाöनहीं, आपका सफर यहीं तक था। कभी-कभी यह सफर ऐसे ही खत्म होता है। इरफान खान तो चले गए पर उनका अभिनय हमेशा के लिए जिंदा रहेगा। एक नेक इंसान, मिलनसार अभिनेता को हमारा आखिरी सलाम।

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