क्यों ऐसा लगता है कि हमारे बॉलीवुड को किसी की नजर लग गई है। आए दिन कोई न
कोई दुखद घटना सुनने को मिल रही है। ऋषि कपूर अब नहीं रहे। वह 67 साल के थे। ल्यूकेमिया यानि बल्ड कैंसर से जूझ रहे थे। गुरुवार
सुबह मुंबई के अस्पताल में उनका निधन हो गया। बुधवार को इरफान खान के निधन की खबर से
बॉलीवुड उबरा नहीं था कि ऋषि कपूर के जाने की खबर आ गई। वह खुशमिजाजी के लिए जाने जाते
थे। आखिरी वक्त तक भी उन्होंने अपना यह अंदाज नहीं छोड़ा। जब उन्होंने अंतिम सांस ली,
तब उनके साथ पत्नी नीतू और बेटे रणवीर मौजूद थे। ऋषि की बेटी रिद्धिमा
दिल्ली में थीं, जो लॉकडाउन में चार्टर्ड प्लेन की इजाजत नहीं
मिलने पर अंत्येष्टि में शामिल नहीं हो पाईं। वह 1400 किलोमीटर
लंबी सड़क यात्रा करके मुंबई पहुंचीं। ऋषि का पार्थिव शरीर अस्पताल से सीधे शमशान घाट
ले जाया गया। 20 करीबी लोगों की मौजूदगी में शाम करीब चार बजे
विद्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार किया गया। ऋषि की जिंदगी में कई ऐसे रोचक किस्से
हैं, जो बॉलीवुड के गलियारों में खूब सुने जा सकते हैं। इनमें
से कुछ का जिक्र उन्होंने अपनी ऑटोबाइग्राफी `खुल्लम खुल्ला'
ऋषि कपूर अनसेंसर्ड में किया था जो मीना अय्यर ने लिखी है। 2018
में ऋषि को कैंसर हुआ था। इलाज के लिए वह अमेरिका गए थे। वहां 11
महीने रहने के बाद पिछले साल सितम्बर में भारत लौटे। अमेरिका में पूरे
वक्त उनके साथ पत्नी नीतू ही थीं। रणवीर कपूर कई बार उनसे मिलने न्यूयॉर्प गए थे। कुछ
दिन पहले ऋषि ने एक इंटरव्यू में कहा थाöअब मैं बहुत बेहतर महसूस
कर रहा हूं और कोई भी काम कर सकता हूं। सोच रहा हूं कि एक्टिंग दोबारा से शुरू करूं।
पता नहीं लोगों को अब मेरा काम पसंद आए भी या नहीं। न्यूयॉर्प में मुझे कई बार खून
चढ़ाया गया था। मैंने नीतू से कहा था उम्मीद करता हूं कि नए खून के बावजूद मैं एक्टिंग
नहीं भूलूंगा। दो अप्रैल को ऋषि ने अपना आखिरी ट्वीट किया था जिसमें लिखा थाöसभी भाइयों और बहनों से अपील है कि कृपया हिंसा, पत्थरबाजी
या मॉब लिंचिंग का सहारा न लें। डॉक्टर, नर्स, मेडिकल स्टॉफ, पुलिसकर्मी आपको बचाने के लिए अपनी जिंदगी
खतरे में डाल रहे हैं। हमें इस कोरोना वायरस युद्ध को एक साथ जीतना होगा। प्लीज। जय
हिंद। बॉलीवुड में ऋषि कपूर का नाम एक ऐसे सदाबहार अभिनेता के तौर पर याद किया जाएगा
जो अपने रूमानी और भावपूर्ण अभिनय से लगभग तीन दशक तक दर्शकों को मंत्रमुग्ध करते रहे।
अस्पताल के डॉक्टरों और मेडिकल स्टॉफ ने कहा कि वह आखिरी समय तक उनका मनोरंजन करते
रहे। वह इस बात से खुश थे कि उन्हें पूरी दुनिया में अपने फैंस से बेशुमार प्यार मिल
रहा था। उनकी यही इच्छा थी कि उन्हें हर कोई मुस्कान के साथ याद रखे, आंसुओं के साथ नहीं। चार सितम्बर 1952 में जन्मे ऋषि
ने बतौर बाल कलाकार मेरा नाम जोकर में अभिनय किया था। 1973 में
रिलीज फिल्म बॉबी से बतौर नायक करियर का आगाज किया था। रोमांटिक हीरो के तौर पर स्थापित
हुए ऋषि ने करीब पांच दशक तक के करियर में चांदनी, प्रेम रोग,
नगीना, लैला मजनू, कर्ज,
डीडे, दो दुनी चार, मुल्क,
कपूर एंड संस में यादगार भूमिका निभाई। अलविदा ऋषि, आप हमेशा याद रहोगे।
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