एक तरफ
पूरा देश कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रहा है वहीं दूसरी तरफ आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी जारी है। पश्चिम बंगाल के प्रिंसिपल हैल्थ सैकेटरी
ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से कहा है कि बंगाल में 10 नहीं
सिर्प चार ही रेड जोन हैं। आपको बता दें कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने दो दिन पहले देश
के जिलों को रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में बांटा है, जिसमें बंगाल के कुछ 10 जिलों को रेड जोन में रखा गया
है। पश्चिम बंगाल के प्रिंसिपल हैल्थ सैकेटरी ने कहा है कि 30 अप्रैल को कैबिनेट सैकेटरी के वीडियो कांफ्रेंसिंग में पश्चिम बंगाल के
10 जिलों को रेड जोन में दिखाया गया है, लेकिन
बंगाल में सिर्प चार जिले इसमें शामिल हैं। बंगाल के जिन 10 जिलों
को रेड जोन में रखा गया है वह हैं कोलकाता, हावड़ा, चौबीस परगना उत्तरी, चौबीस परगना दक्षिण, मिदनापुर पूर्वी, मिदनापुर पश्चिमी, दार्जिलिंग, जलपाईगुडी, कलिम्पोंग
और मालदा शामिल है। कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते प्रसार को देखते हुए केंद्र सरकार
की ओर से 3 मई के बाद यानि अगले हफ्ते के लिए जिलों को अलग-अलग हिसाब से बांटने का काम किया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश के सभी
जिलों को तीन कैटेगरी में बांट दिया हैöरेड जोन, ऑरेंज जोन और ग्रीन जोन। स्वास्थ्य मंत्रालय के द्वारा केस की संख्या डबलिंग
रेट और टेस्टिंग के हिसाब से जिलों की नई सूची तैयार की गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य
मंत्रालय के मुताबिक जिन जिलों में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैला है और नए
मरीज सामने आ रहे हैं उस जिले को रेड जोन में रखा गया है वहीं जिन जिलों में बीते
21 दिन में एक भी नया मामला सामने नहीं आया है, उसे ग्रीन जोन में रखा गया है। केंद्र सरकार ने रेड जोन से ग्रीन जोन में जिलों
को रखने के मानक बदले हैं। अब 28 दिन की बजाय 21 दिन तक कोरोना का नया केस नहीं आने पर किसी जिले को रेड जोन से ग्रीन जोन में
रखा जा सकेगा। मौजूदा नियमों के तहत 14 दिनों तक नया केस नहीं
आने पर जिले को रेड से ऑरेंज और फिर अगले 14 दिनों तक केस नहीं
आने पर ग्रीन जोन जिलों में रखा जाता है। पश्चिम बंगाल व केंद्र की लड़ाई पुरानी चली
आ रही है। इससे पहले केंद्रीय टीम भेजने पर भी विवाद हुआ है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है
और सबको मिलकर कोरोना से लड़ना चाहिए न कि आपस में।
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