दिल्ली
में कोरोना का इलाज कई प्राइवेट अस्पतालों में पैसे लेकर किया जा रहा है। यह खर्च मरीजों
को ही उठाना पड़ रहा है। इन अस्पतालों ने पेमेंट वसूलने के लिए अपने नियम और शर्तें तय की हैं। किसी अस्पताल
में सिक्यूरिटी के नाम पर 5 लाख रुपए
जमा कराए जा रहे हैं तो कहीं पर 3 लाख रुपए का डिपॉजिट है। कुछ
अस्पतालों में कोई फिक्स पैकेज तो नहीं है, पर इतना जरूर है कि
पहले की तुलना में ज्यादा खर्च आ रहा है। कोरोना की वजह से अशोक कुमार गुप्ता का इलाज
गंगाराम अस्पताल में हुआ। अब वह ठीक होकर घर पहुंच चुके हैं। उनके भतीजे निखिल गुप्ता
ने बताया कि 30 अप्रैल को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो हमने उन्हें
गंगाराम में एडमिट कराया। वहां 5 लाख रुपए डिपॉजिट कराए गए। गंगाराम
अस्पताल में डिपॉजिट रकम 5 लाख है तो अपोलो में यह 3 लाख रुपए है। हालांकि मैक्स ने अभी तक इलाज के लिए कोई डिपॉजिट रकम फिक्स नहीं
की है, लेकिन इतना जरूर कह रहे हैं कि पहले की तुलना में ज्यादा
डिपॉजिट लिया जा रहा है। एक मरीज के रिश्तेदार ने बताया कि एक बार में इतना पैसा जमा
कराना आसान नहीं है। उनके मरीज को प्राइवेट में इलाज नहीं मिला तो वो कई दिनों तक सरकारी
अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद एडमिट हुए। परेशानी वाली बात यह है कि प्राइवेट अस्पतालों
में भी अब मरीजों को आसानी से एडमिशन नहीं मिल रहा है। 5 प्राइवेट
सेंटरों में इलाज हो रहा है और बैड भी फिक्स हैं। दिल्ली में जिस तरह से कोरोना केस
बढ़ रहे हैं, यह परेशानी आगे और बढ़ेगी।
-अनिल नरेन्द्र
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