Saturday 16 May 2020

तीन लाख करोड़ की बूस्टर डोज

प्रधानमंत्री की 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा का ब्यौरा पेश करते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने नई उम्मीद जताई है। कोविड-19 से निपटने के लिए प्रधानमंत्री ने 20 लाख करोड़ रुपए की जिस राहत पैकेज की घोषणा की और वित्तमंत्री ने अगले दिन उसका विस्तृत ब्यौरा देते हुए स्पष्ट कर दिया है कि जीडीपी के करीब 10 फीसदी का यह पैकेज वास्तव में अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी साबित होगा। इसमें सबसे अधिक जोर सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यमों यानि एमएसएमई को संकट से उबारने पर दिया गया है। इन उद्यमों को तीन लाख करोड़ रुपए कर्ज के रूप में बिना शर्त उपलब्ध कराए जाने की बात कही है। इससे 45 लाख उद्यमों को राहत पहुंचेगी। हालांकि 1.7 लाख करोड़ का पहले का राहत पैकेज और रिजर्व बैंक द्वारा की गई राहत घोषणाएं भी इस पैकेज में शामिल हैं। वित्तमंत्री ने अब जिस राहत पैकेज का खुलासा किया है, वह अर्थव्यवस्था के 14 अलग-अलग क्षेत्रों के लिए है। इसमें निस्संदेह सबसे ज्यादा संकट से जूझ रहे एमएसएमई या सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग क्षेत्रों के लिए कुल छह कदम उठाए गए हैं। इनमें से चार साल तक तीन लाख करोड़ का बिना गारंटी के कर्ज, जिसमें एक साल तक मूल धन नहीं लौटाना पड़ेगा और संकट में फंसे एमएसएमई यूनिट्स को 20 हजार करोड़ का अतिरिक्त ऋण शामिल है। इससे दो लाख उद्यमों के लाभान्वित होने की उम्मीद है। फिर 15 हजार रुपए से कम वेतन पाने वाले कर्मचारियों के भविष्य निधि खाते में अगस्त तक अंशदान नियोक्ता के बजाय केंद्र सरकार करेगी। एमएसएमई की परिभाषा बदलते हुए इनमें निवेश और कारोबार की सीमाएं भी बढ़ा दी गई हैं। इसके अलावा आर्थिक दबाव झेल रही बिजली कंपनियों के लिए 90 हजार करोड़ रुपए की मदद पहुंचाने की घोषणा की गई है। निश्चय ही सरकार के इस कदम खासकर एमएसएमई क्षेत्र को राहत मिलेगी। दरअसल पूर्ण बंदी की वजह से सबसे अधिक मार इन्हीं उद्यमों पर पड़ी है और चिन्ता जताई जाने लगी है कि अगर इनकी सेहत सुधारने का प्रयास नहीं किया गया तो अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना मुश्किल होगा। इसीलिए सरकार का ध्यान इन उद्यमों पर करना समझ आता है। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि प्रधानमंत्री का वक्तव्य निश्चित वैसा नहीं था जैसा कि आमतौर पर लोगों के मन में अपेक्षित था। सभी अटकलों और आंकलनों के बीच से यह उम्मीद लगा रहे थे कि पीएम कोविड-19 को नियंत्रित करने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन-3 की विवेचना प्रस्तुत करेंगे। आम जनता की विशेषकर अपने-अपने स्थानों से पलायन करने वाले मजदूरों की समस्याओं का उल्लेख करेंगे। महामारी के नियंत्रण में आ रही बाधाओं और उनके संभावित निराकरणों पर चर्चा करेंगे, लेकिन प्रधानमंत्री ने ऐसा कुछ नहीं किया और जो किया वह अंधेरे का उल्लेख किए बिना प्रकाश के महत्व को दर्शाने जैसा था। पर उन्होंने सबसे महत्वपूर्ण बात यह कही कि आपदा को अवसर में बदलना है और भारत को आत्मनिर्भर बनाना है, इस तरह का उनका यह उत्तर उन सवालों का था जो बार-बार उठ रहे थे कि कोरोना के पश्चात भारतीय अर्थव्यवस्था क्या मोड़ लेगी? जो करोड़ों लोग कोरोना निरोधक उपायों की चपेट में आकर अपना व्यवसाय और आर्थिक आधार खो बैठे हैं, उनका भविष्य क्या होगा?

No comments:

Post a Comment