Sunday 10 May 2020

दम घुटा...जो जहां था, वहीं गिर गया

आंध्र प्रदेश के आरआर वेंकटपुरम गांव में स्थित एलजी पॉलिमर के कैमिकल प्लांट से गैस का रिसना जितना चिन्ताजनक है, उससे कहीं अधिक दुखद है गैस रिसाव से लोगों की मौत। इस रिसाव ने एक बार फिर भोपाल गैस त्रासदी की याद ताजा कर दी है। बुधवार देर रात कारखाने में गैस का रिसाव शुरू हुआ। उस वक्त जो लोग कारखाने में तैनात थे, उन पर तो असर हुआ ही, आसपास के करीब तीन किलोमीटर क्षेत्र तक उसका प्रभाव देखा गया। दम घुटने से लोग दहशत में थे। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था, भागकर जाएं तो जाएं कहां। कुछ तो बेचारे ऐसे भी थे जो अंधेरे में नाले में जा गिरे। कुछ की सांस इतनी फूल रही थी कि मौत आंखों के आगे नाचने लगी। चारों ओर अफरातफरी का माहौल मचा तो लोग दहशत में आ गए कि कहीं कोरोना हवा में तो नहीं फैल गई? रात के अंधेरे में ही लोग जहां जैसे थे, वहां से भाग पड़े। पांच किलोमीटर तक के इलाके में अफरातफरी मच गई। रास्ते में कई लोग गिरते जा रहे थे। कई जगहों पर लोग बेहोश पड़े दिखे। मृत मवेशी भी नजर आए। बच्चों को कंधे पर रखकर लोग अस्पताल भाग रहे थे। भर्ती मरीजों में बड़ी संख्या में बच्चे शामिल हैं। लोगों के मुताबिक सोते समय अचानक सांस में तकलीफ, भयानक खुजली और आंखों में जलन महसूस होनी शुरू हुई। गोपालपत्तनम पुलिस ने बताया कि करीब 50 लोग स़ड़क पर बेहोश मिले। घटनास्थल तक पहुंचने में काफी दिक्कत हुई। कई घरों से लोगों को दरवाजे तोड़कर निकलना पड़ा। एलजी पॉलिमर के प्लांट से दरअसल बड़ी मात्रा में स्टाइरीन गैस लीक हो गई थी। इसके असर से 8 साल के बच्चे स]िहत 11 लोगों की मौत हो गई, 300 से ज्यादा लोग अस्पतालों में भर्ती हैं। 20 लोग वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। राज्य सरकार ने घटना की जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित की है। विशाखापत्तनम पुलिस ने एलजी पॉलिमर प्लांट के प्रबंधन के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज कर लिया है। इस मामले में गैर-इरादतन हत्या और लापरवाही से मौत की धाराएं जोड़ी गई हैं। आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने भी इस घटना पर स्वत संज्ञान लेते हुए राज्य और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। ऐसे औद्योगिक हादसों की वजह छिपी नहीं है। यूं तो प्रशासन ने कारखाना प्रबंधन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली है, प्रबंधन अपने पक्ष में मामूली चूक, मानवीय भूल जैसी दलीलें देकर बचने का प्रयास भी करेगा। पर सवाल है कि औद्योगिक सुरक्षा मानकों के मामले में लापरवाही की प्रवृत्ति पर अंकुश क्यों नहीं लगता? जिन कारखानों में जहरीली गैसों का उपयोग या उत्पादन होता है, वहां सुरक्षा को लेकर अधिक मुस्तैदी की जरूरत होती है। भोपाल गैस त्रासदी के अनुभवों को देखते हुए इसके लिए सख्त निर्देश भी तय हुए थे। मगर कारखाना प्रबंधन अकसर मामूली पैसा बचाने के लोभ में सुरक्षा इंतजामों को नजरंदाज करते रहे हैं, जहां ऐसी खतरनाक गैसों का उपयोग या उत्पादन होता है, वहां रिसाव आदि की स्थिति में चेतावनी देने वाले स्वचालित यंत्र लगाने अनिवार्य हैं। फिर विशाखापत्तनम के कारखाने में गैस का बड़े पैमाने पर रिसाव हो गया और कैसे प्रबंधन को इसकी भनक तक नहीं लगी? आखिर लोगों की जान की कीमत पर ऐसी लापरवाहियों और मनमानियों को कब तक अनदेखा किया जाता रहेगा?

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