Sunday, 3 July 2016

जब जज ही हड़ताल पर चले जाएं?

हमारे देश में आए दिन कुछ अद्भुत होता रहता है। देश में  पहली बार ऐसा हुआ है कि जज ही हड़ताल पर चले गए। दो साल पहले बने नए राज्य तेलंगाना के 200 जज सिर्प इसलिए 15 दिन की छुट्टी पर चले गए क्योंकि अनुशासनहीनता के आरोप में हैदराबाद हाई कोर्ट ने 11 जजों को सस्पेंड कर दिया। दरअसल ताजा विवाद आंध्र प्रदेश में जन्मे 130 जजों के तेलंगाना में नियुक्ति का है। हाई कोर्ट ने गत दिनों दो जजों को निलंबित किया था। अब तक 11 जजों को निलंबित किया जा चुका है। तेलंगाना जजेज एसोसिएशन के बैनर के तहत 100 से ज्यादा जजों ने जुलूस निकाला और राज्यपाल को आंध्र के जजों की तेलंगाना में नियुक्ति के खिलाफ ज्ञापन भी सौंपा। प्रदर्शनकारी राज्यभर में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वारंगल में तो प्रदर्शनकारियों ने कोर्ट हॉल और फर्नीचर को नुकसान भी पहुंचाया। वहीं हाई कोर्ट ने कहा कि वह जजों के प्रदर्शन में शामिल होने और आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। निचली अदालत के जज आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच जजों के बंटवारे की प्रक्रिया से नाखुश हैं। उनका कहना है कि आंध्र प्रदेश से कई जजों को तेलंगाना भेजने से उनके प्रमोशन पर असर पड़ेगा। दोनों राज्यों में फिलहाल एक ही हाई कोर्ट है। दोनों राज्यों के बीच पानी, हैदराबाद में जमीन आदि को लेकर विवाद होता रहा है। बता दें कि तेलंगाना को दो जून 2014 को आंध्र से अलग राज्य बनाया गया था। तेलंगाना में 11 जिले हैं। यह भी फैसला किया गया था कि आठ साल तक यानि 2024 तक हैदराबाद दोनों राज्यों की राजधानी रहेगा। तेलंगाना के न्यायिक अधिकारी और वकील आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच जजों के अस्थायी आबंटन के खिलाफ छह जून से आंदोलन कर रहे हैं। न्यायिक अधिकारियों के आंदोलन के बीच तेलंगाना में हाई कोर्ट स्थापित न होने के लिए टीआरएस ने केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। टीआरएस की सांसद कविता ने कहा कि इस मुद्दे पर उनके पिता और तेलंगाना के मुख्यमंत्री चन्द्रशेखर राव दिल्ली में धरना देकर विरोध जताएंगे। हड़ताली जजों के दो प्रमुख आरोप हैं। पहलाöहैदराबाद हाई कोर्ट ने हाल में तेलंगाना की अदालतों में 130 जजों की भर्ती की है। इनका जन्म आंध्र प्रदेश में हुआ है। भर्ती के वक्त तेलंगाना और आंध्र में जन्मे लोगों के लिए जरूरी अनुपात (40 60) का पालन नहीं किया गया। इसलिए ये भर्तियां अवैध हैं। दूसरा आरोप यह है कि हाई कोर्ट में भी कुल 21 जजों में से सिर्प तीन तेलंगाना के हैं। बाकी आंध्र के हैं। इस आंदोलन के चलते राज्य में न्यायिक व्यवस्था ठप-सी हो गई है। यह एक अभूतपूर्व स्थिति है। जजों की नाराजगी पर अविलंब गौर होना चाहिए और मसले को सुलझाने के गंभीर प्रयास होने चाहिए। समझदारी इसी में है कि केंद्र व सुप्रीम कोर्ट इस मामले में तत्काल दखल दे और विवाद का उचित, सर्वमान्य हल निकालें।

-अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment