Sunday 3 July 2016

राबर्ट वाड्रा-डीएलएफ डील और ढींगरा आयोग

हरियाणा में सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा-डीएलएफ लैंड डील की जांच करने के लिए जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग का गठन सात मई 2015 को हुआ था। आयोग ने अपना काम जून 2015 के आखिर में शुरू किया। अभी तक आयोग का कार्यकाल तीन बार बढ़ चुका है। यह चौथी बार है जब आयोग ने समय बढ़ाने की मांग की है। हरियाणा सरकार ने शुरू में गुड़गांव के सेक्टर-83 में वाणिज्यिक कॉलोनियों के विकास के लिए जारी लाइसेंस की जांच के लिए आयोग बनाया था। बाद में आयोग को गुड़गांव के चार गांवोंöसिही, शिकोहपुर, खेड़की दौला और सिकंदरपुर बड़ा में सभी तरह की कॉलोनियों के लिए जारी लाइसेंस की जांच भी सौंप दी। आयोग ने 250 फाइलों की अब तक जांच की है। यह फाइलें जमीन के कॉमर्शियल लाइसेंस की मंजूरी से जुड़ी हैं। 26 गवर्नमेंट ऑफिशियल्स से भी पूछताछ की है। कमीशन ने जांच के दौरान न तो राबर्ट वाड्रा और न ही उनकी फर्म स्काई लाइट के किसी रिप्रेजेंटेटिव को पूछताछ के लिए बुलाया। हरियाणा सरकार ने ढींगरा आयोग को चौथी बार एक्सटेंशन देते हुए रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 31 अगस्त 2016 तक का समय दे दिया है। सरकार को लिखे अपने पत्र में जस्टिस ढींगरा ने कहा कि उन्हें मामले से जुड़े कुछ और दस्तावेज मिले हैं। जो किसी व्यक्ति ने उन तक पहुंचाए हैं। इसमें जमीन सौदों को लेकर नई जानकारी है। जांच में इन्हें शामिल करना जरूरी है। इसलिए समय दिया जाना चाहिए। इधर सीएम के मीडिया सलाहकार अमित आर्य ने बताया कि सरकार ढींगरा आयोग को एक और एक्सटेंशन दे रही है। उधर राबर्ट वाड्रा ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है कि पिछले एक दशक से उन्हें झूठे व आधारहीन सवालों में घेरकर निशाना बनाया जा रहा है, लेकिन आरोप लगाने वालों के पास कोई प्रमाण नहीं है। उनका हमेशा से ही राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। बावजूद इसके मैं अपनी सच्चाई के साथ आगे बढ़ रहा हूं। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहाöजिस दिन आयोग का समय खत्म हुआ उसी दिन समय क्यों मांगा गया। इसके पीछे दो तर्प दिए जा रहे हैं। एक तो यह है कि पूर्व सीएम हुड्डा ने बुधवार को राज्यपाल को पत्र लिखकर ढींगरा आयोग पर सवाल खड़ा किया था। उनका आरोप था कि आयोग ने कुछ सूचना लीक की है। इसके साथ ही जांच का जो दायरा बनाया गया उससे साबित हो रहा है कि सरकार उन्हें फंसाने की कोशिश कर रही है। क्या वाड्रा और कांग्रेसी नेताओं का हमलावर रुख उनके अपराधबोद्ध को ही प्रकट कर रहा है? यह अजीब है कि पहले कांग्रेसी नेता सोनिया गांधी के दामाद को कांग्रेस से इतर एक निजी व्यक्ति बताते थे, फिर वे इस बहाने उनके बचाव में उतरने लगे कि उनके जरिये गांधी परिवार को निशाने पर लिया जा रहा है। अब वह ढींगरा आयोग की जांच को ही खारिज करने पर तुले हैं।

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