Friday 1 July 2016

भारत के विमानन इतिहास का यादगार दिन

देश के लिए यह अत्यंत गर्व की बात है कि भारतीय सेना की अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमान सुखोई-30 से दुनिया की सबसे ताकतवर कूज मिसाइल ब्रह्मोस दागने की प्रणाली का सफल परीक्षण किया गया है। हवा से जमीन पर मार करने वाली ब्रह्मोस का शनिवार को नासिक में सफल परीक्षण किया गया। अब महीने-भर के भीतर ही असली मिसाइल के साथ इसका वास्तविक परीक्षण करने की तैयारी शुरू कर दी गई है। आवाज से भी तेज गति से चलने वाली सुपरसोनिक कूज मिसाइल दागने का यह दुनिया का पहला प्रयोग है। यह शक्तिशाली मिसाइल दुश्मन के इलाके में काफी अंदर तक जाकर मार करने में सक्षम है। यह दृश्यता सीमा (विजुअल रेंज) के बाहर के भी ठिकानों पर सटीक मार कर सकती है। सुखोई से ब्रह्मोस दागने की सुविधा से वायुसेना की युद्धक क्षमता में बड़ा इजाफा होगा। यह प्रणाली दुश्मन की मजबूत हवाई रक्षा व्यवस्था को भेदने में भी सक्षम है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस के मुख्य अधिकारी सुधीर कुमार मिश्रा ने बताया कि ढाई हजार किलोग्राम वजन के प्रक्षेपास्त्र को लड़ाकू विमान के साथ जोड़कर उड़ाने वाला भारत पहला देश बन गया है। विंग कमांडर प्रशांत नायर और एमएम राजू लगभग 45 मिनट तक ब्रह्मोस को साथ लेकर एमयू 30 एमकेआई विमान को उड़ाते रहे। हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड के मुख्य महाप्रबंधक टी. सुवर्ण राजू ने कहा कि आज की सफलता के बाद अब इस तरह के कई और परीक्षण किए जाएंगे। राजू ने कहा कि मेक इन इंडिया का यह एक शानदार उदाहरण है और भारत के विमानन इतिहास में भी यादगार दिन है। इससे साबित होता है कि यदि सभी एजेंसियां एक साथ मिलकर किसी खास मिशन पर काम करने लगें तो असंभव कुछ भी नहीं है। राजू ने कहा कि ब्रह्मोस एयरोनाटिक्स के साथ हमने 2014 में इसको लेकर समझौता किया था। हमें दो सुखोई विमानों के डिजाइन को बदलना था। ताकि वह ब्रह्मोस को लेकर उड़ान भर सकें। बता दें कि भारत और रूस ने मिलकर इस सुपरसोनिक मिसाइल का विकास किया है। इसे पनडुब्बी, युद्धपोत, जमीन और विमान से दागा जा सकता है। सुखोई 30 एमकेआई भारतीय वायुसेना का अग्रिम लड़ाकू विमान है। यह विमान रूसी कंपनी सुखोई और हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स के सहयोग से बना है। 290 किलोमीटर तक मार कर सकती है ब्रह्मोस मिसाइल। यह 300 किलोग्राम आयुद्ध ले जाने में सक्षम है और यह मिसाइल ध्वनि से 2.8 गुणा अधिक गति को छूने में सक्षम है। भारत की इस शानदार सफलता पर सभी संबंधित व्यक्तियों को बधाई। धीरे-धीरे भारत की सेनाएं मजबूत होती जा रही हैं। यह उपलब्धि इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसको हासिल करने में भारतीय इंजीनियरों का उल्लेखनीय योगदान है।

-अनिल नरेन्द्र

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