Tuesday, 12 July 2016

मातम का बहाना बनाकर हिंसा

कश्मीर में 10 लाख रुपए के ईनामी आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिद्दीन के पोस्टर बॉय बुरहान वानी की मौत पर मातम मनाने के बहाने जिस तरह का उपद्रव किया गया उससे यही पता चलता है कि कश्मीर घाटी में किस तरह अशांति व अस्थिरता पैदा करने वाली शक्तियां सक्रिय हैं और तोड़फोड़ करने का बहाना ढूंढती रहती हैं। वैसे यह पहली बार नहीं हुआ जब किसी आतंकी की मौत पर मातम मनाने और उस दौरान सोची-समझी रणनीति के तहत तोड़फोड़ करना और सुरक्षा बलों पर निशाना साधना। पर पिछले कुछ समय से ऐसी घटनाओं में अचानक इजाफा हुआ है। इन ताजा झड़पों में 11 लोगों की मौत हो गई जबकि सुरक्षा बलों के 96 जवानों सहित 126 लोग घायल हो गए। स्थिति पर नियंत्रण करने के लिए कर्फ्यू जैसे प्रतिबंध लगाए गए हैं और मोबाइल, इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी गई है। संवेदनशील स्थिति को देखते हुए अमरनाथ यात्रा भी रोक दी गई है और पुलिस का कहना है कि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित होने की संभावना होने पर यात्रा को बहाल कर दिया जाएगा। कश्मीर के कई हिस्सों में कर्फ्यू के बावजूद जमकर हुई हिंसा में बीसियों लोग जख्मी हो गए और कई स्थानों पर पुलिस ने गोली भी चलाई। हिज्ब कमांडर बुरहान वानी के जनाजे में 20,000 से अधिक लोग उमड़े थे। जनाजे में शामिल युवाओं ने वानी के रास्ते पर चलने का संकल्प लिया और इस्लाम और आजादी तक अपना संघर्ष जारी रखने की बात भी कही। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुरहान की मौत के बाद घाटी में आतंकवाद बढ़ने की आशंका जताई। उन्होंने ट्वीट में कहाöमेरी बात याद रखनाöबुरहान ने सोशल मीडिया के जरिये जितने आतंकवादी भर्ती किए थे, अब उसकी कब्र से उससे कहीं ज्यादा भर्तियां होंगी। उन्होंने कहा कि राज्य में असंतुष्ट लोगों को बुरहान के रूप में नया आदर्श मिल गया है। बुरहान को एनकाउंटर में ढेर किए जाने को सुरक्षा बल कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ बड़ी कामयाबी करार दे रहे हैं। लेकिन इसके जनाजे में जिस कदर भीड़ उमड़ी, उससे स्थानीय लोगों को ढाल बनाकर अलगाववादी और आतंकी संगठन के नापाक मंसूबों को आगे बढ़ाने की साजिश साफ दिख रही है। कश्मीर में इन अस्थिर करने वाली शक्तियों को यह संदेश देने की सख्त जरूरत है कि पुलिस एवं सुरक्षा बलों के साथ-साथ कश्मीर और भारत सरकार की ओर से नरमी बरतने और रियायत देने की भी एक सीमा है। कश्मीर की जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले लोगों को भी यह समझना होगा कि अस्थिरता और अशांति व उपद्रव का रास्ता उन्हें कहीं नहीं ले जाएगा। चिन्ता का विषय यह भी है कि उधमपुर में उग्र भीड़ ने अमरनाथ श्रद्धालुओं के कई वाहनों को भी निशाना बनाया। पथराव में दर्जनों वाहन क्षतिग्रस्त हो गए और कई भक्तगण घायल हो गए। कई यात्रियों से बंदूक की नोक पर पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगाने को कहा। घाटी के साथ जम्मू भी अब आतंक की चपेट में आ रहा है।

-अनिल नरेन्द्र

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