Saturday 23 July 2016

सड़कों पर असुरक्षित व खतरनाक बनता सफर

भारत सड़कों के जाल और दूरी के मामले में दुनिया के सबसे बड़े नेटवर्कों वाले देशों में एक है। लेकिन विस्तार के बरकस सफर को सुरक्षित बनाने के मामले में उतनी ही लापरवाही दिखती है। यही वजह है कि सड़क हादसों में भारत दुनियाभर में अव्वल है। सवाल है कि फिर सड़कों के ऐसे विस्तार का क्या मतलब, जब इतनी ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं और लोग मारे जाते हैं। अगर हम राजधानी दिल्ली की बात करें तो देश में 50 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में राजधानी दिल्ली की सड़कें सबसे अधिक जानलेवा हैं। 2015 में दिल्ली में 8084 सड़क दुर्घटनाएं हुईं जिनमें 1622 लोगों की मौत हुई। यह आंकड़ा पूरे देश के शहरों की तुलना में सर्वाधिक है। दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण व्यावसायिक वाहनों की तेज रफ्तार है। मृतकों में सबसे ज्यादा संख्या राहगीरों और दोपहिया वाहन मालिकों की है। विशेषज्ञ मानते हैं कि सड़क व फुटपाथ की बनावट की खामी इसका बड़ा कारण है। लेकिन कहीं न कहीं यातायात नियमों का सख्ती से पालन न होना भी इन बढ़ती दुर्घटनाओं का एक कारण है। लेकिन अब केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सड़क परिवहन में सुधार के लिए जो इरादा जताया है, अगर वह मूर्त रूप ले पाया तो निश्चित रूप से दुर्घटनाओं में सुधार हो सकता है। अमेरिका की यात्रा पर गए गडकरी ने न्यूयार्प के परिवहन विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा के बाद कहा कि भारत के महानगरों में जिस तरह सड़कों पर आवाजाही का मामला जटिल होता जा रहा है, उसमें काफी सुधार की जरूरत है और न्यूयार्प की स्मार्ट यातायात प्रणाली की तरह सड़क प्रबंधन को सुव्यवस्थित और सुरक्षित बनाया जा सकता है। इस दिशा में पहल का मतलब है कि दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद और बेंगलुरु जैसे महानगरों में स्मार्ट यातायात प्रणाली विकसित की जाएगी, जो सड़क प्रबंधन के बारे में विस्तृत और सही सूचना उपलब्ध कराएगी। इस प्रणाली की खासियत यह है कि इसके तहत यातायात पर नजर रखने और दुर्घटना या जाम की स्थिति में अधिकारी सड़कों पर बेहतर प्रबंधन कर सकते हैं। दिल्ली की सड़कों को सुरक्षित बनाने के लिए यह भी जरूरी है कि राहगीरों के लिए फुटपाथ की सही व्यवस्था हो। फुटपाथ पर वाहन नहीं चलें और पैदल यात्री बार-बार सड़क पर न आएं, इसके लिए फुटपाथ पर बैरियर लगाना बेहतर विकल्प हो सकता है। असुरक्षित तरीके से सड़क पार करते समय अधिकांश सब-वे बंद हो जाते हैं। इसलिए मजबूरी में लोग खतरनाक तरीके से वाहनों के बीच से निकलते हुए सड़क पार करते हैं। अमूमन रात में ट्रैफिक कम होने से लोग तेज गति से वाहन चलाते हैं। ऐसी स्थिति में सड़क पार कर रहे राहगीरों के वाहनों की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है। राहगीर सुरक्षित सड़क पार कर सकें, इसके लिए सब-वे की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। रात के समय अकसर वाहन चालक रेड लाइट का पालन नहीं करते हैं, जिससे दुर्घटनाएं होती हैं। इसलिए रेड लाइट का पालन सख्ती से कराना होगा। दिल्ली की कुछ सड़कों पर तेज मोड़ हैं। इन स्थानों पर विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। मोड़ वाली जगह पर फ्लोरोसेंट पेंट से संकेतक बनाने तथा अन्य तरह से चालकों को पहले सचेत करने से दुर्घटनाएं रोकी जा सकती हैं। दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सड़कों पर ऐसी व्यवस्था भी करनी होगी, जिससे बसों को बार-बार लेन बदलने की जरूरत न पड़े। दिल्ली में इस तरह के 128 स्थान हैं। इनमें से भी 10 स्थान ऐसे हैं, जहां सर्वाधिक हादसे होते हैं। भारत के शहरों-महानगरों में सड़कों पर सफर जिस तरह खतरनाक व असुविधाजनक होता जा रहा है उसमें एक कारगर यातायात व्यवस्था की बहुत जरूरत है। लेकिन शायद ही कभी इसे एक गंभीर समस्या के रूप में प्राथमिकता मिली हो। जब भी अचानक कोई मुश्किल खड़ी होती है तो कोई फौरी हल निकालकर मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है। पिछले कुछ वर्षों से महानगरों की सड़कों पर बेतहाशा वाहन बढ़े हैं। क्या इस बढ़ती संख्या को नियंत्रित और व्यवस्थित करने के लिए ट्रैफिक पुलिस बल की संख्या भी उसी मात्रा में बढ़ाई गई है?

-अनिल नरेन्द्र

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