Wednesday 27 July 2016

डोपिंग में फंसे नरसिंह ने दिया देश को करारा झटका

पहलवान नरसिंह यादव का डोप टेस्ट में फेल होना भारत के ओलंपिक आसियान के लिए एक बड़ा झटका है। जैसे ही नरEिसह के बारे में यह खबर आई देशभर के खेल प्रेमी सकते में आ गए। कहा गया है कि नरसिंह यादव के सैम्पल में मेंथेडाइन नाम का जो स्टेटाइड पाया गया है वह शरीर की मांसपेशियों को मजबूत करने में सहायक होता है और इसका असर शरीर में 15 दिनों तक रहता है। हालांकि अभी नरसिंह यादव के मामले में सुनवाई चल रही है और दावे से नहीं कहा जा सकता कि वे रियो ओलंपिक में हिस्सेदारी कर पाएंगे या नहीं? पर इस घटना ने एक बार फिर डोपिंग की प्रवृत्ति पर सोचने को मजबूर जरूर कर दिया है। जब भी अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताएं शुरू होती हैं, कुछ खिलाड़ी डोEिपग के फंदे में फंस जाते हैं। चाहे वे एशियाई खेल हों या फिर ओलंपिक तमाम देशों के होनहार खिलाड़ियों को इस कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ता है और हर बार कुछ खिलाड़ी डोपिंग परीक्षण पास न कर पाने के कारण खेलों में हिस्सा लेने से रह जाते हैं। दरअसल दुनियाभर में डोपिंग को लेकर एक आचार संहिता बनी हुई है, जिसका सभी देशों को पालन करना पड़ता है। इसमें कई ऐसी दवाएं लेने पर प्रतिबंध है, जिनसे खिलाड़ी का रक्त संचार तेज हो जाता है, वह कुछ अधिक ताकत महसूस करने लगता है और उसकी खेलने की क्षमता बढ़ जाती है। नरEिसह ने खुद को साजिश के तहत फंसाने की बात कही है। नरसिंह कैंप से यह भी कहा जा रहा है कि नाडा की सुनवाई में उन्हें राहत नहीं मिलती है तो वह पुलिस में आपराधिक षड्यंत्र का मामला दर्ज करा सकते हैं। दुखद पहलू तो यह भी है कि सिर्प नरसिंह की नहीं उनके स्थान पर सुशील कुमार को रियो में भेजे जाने की उम्मीदें भी खत्म हो गई हैं। क्योंकि 18 जुलाई को ओलंपिक के लिए एंट्री भेजे जाने की आखिरी तारीख गुजर चुकी है। सुनवाई के दौरान अगर नरसिंह अपनी बेगुनाही साबित नहीं कर पाए तो उन पर चार साल का प्रतिबंध लगना तय है। हालांकि एक सच्चाई यह भी है कि यदि नरसिंह सुनवाई के दौरान उनके खिलाफ साजिश को साबित कर देते हैं तब भी उन्हें वाडा नियमों के तहत राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। दरअसल वाडा कोड में षड्यंत्र के चलते डोप में फंसने को स्थान नहीं दिया गया है। इसलिए नाडा का डिसिपलिनरी पैनल उनकी सजा तो कम कर सकता है लेकिन उन्हें बरी किया जाना बेहद मुश्किल है। वहीं कुश्ती संघ भी नरसिंह के पक्ष में खड़ा हो गया है। उसकी ओर से भी इस मामले में जांच कराई जा सकती है। नरसिंह का कहना है कि मैं एक अनुभवी रेसलर हूं। लगातार ओलंपिक खेल रहा हूं। मुझे पता है कि कौन-सी चीजें खाने से डोपिंग में फंस सकता हूं। ओलंपिक के इतने नजदीक आकर मैं अपना सुनहरा कैरियर क्यों खराब करूंगा? मेरे साथ किसी ने षड्यंत्र किया है। इस बारे में न तो नरसिंह कुछ बोल रहे हैं और न ही कुश्ती संघ। लेकिन नरसिंह की टीम के साथियों का कहना है कि हो सकता है कि नरसिंह को सोनीपत साई सेंटर में दिए जा रहे फूड में प्रतिबंधित दवा मिला दी गई हो। जिस तरह नरसिंह-सुशील के बीच विवाद हुआ था उससे तो आशंका यही है। फिर सुशील ने जो बयान पोस्ट किया, उससे भी इस आशंका को बल मिलता है। सुशील के कोच सतपाल का यह बयान कि वे तो पहले से ही जानते थे कि नरसिंह ऐसा करेंगे, से साजिश से इंकार नहीं किया जा सकता। समझा जाता है कि नरसिंह के डोप में फंसने की खबर फैडरेशन को पहले ही मिल गई थी जिसने उन्हें ओलंपिक तैयारियों के लिए जार्जिया जाने से रोक दिया था। ओलंपिक में हिस्सेदारी के लिए नरसिंह यादव का चुनाव शुरू से ही विवादों में घिरा रहा। 74 किलो वर्ग में दोहरा ओलंपिक जीतने वाले सुशील कुमार की जगह जब उन्हें भेजने का फैसला किया गया तो सुशील कुमार ने कड़ी आपत्ति दर्ज की। यहां तक कि उन्होंने अदालत का दरवाजा भी खटखटाया। अब वही नरसिंह यादव अगर ओलंपिक में पदक हासिल करने के लिए जोशवर्द्धक दवाएं लेते पाए गए हैं तो उन लोगों को एक बार फिर अंगुली उठाने का न केवल मौका मिल गया है बल्कि नरसिंह ने अपने साथ पूरे देश की किरकिरी कराई है।

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