Tuesday, 31 March 2020

टलना ओलंपिक 2020 का, नई चुनौतियां

कोरोना महामारी के बीच टोक्यो में होने वाले ओलंपिक को एक साल टालने के बाद अब टोक्यो के सामने नए सिरे से खेलों की मेजबानी की तैयारी की चुनौती है और उसके लिए कई पहाड़ उसे साधने होंगे। शांतिकाल में पहली बार स्थगित हुए इन खेलों से जुड़े हर पहलू मसलन आयोजन स्थलों, सुरक्षा टिकट और रहने की व्यवस्था पर नए सिरे से काम करना होगा। अभी यह भी तय नहीं है कि खेलों की तारीखें क्या होंगी? अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के प्रमुख थॉमस बाक ने बुधवार को कहा कि जरूरी नहीं है कि खेल गर्मियों में ही कराए जाएं। उन्होंने कहा कि सारे विकल्प खुले हैं। अंतर्राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति के प्रवक्ता केग स्पेस ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि दुनिया की सबसे बड़ी जिगसा पहेली पूरी करने में बस अब एक टुकड़ा लगाना था और अब नए सिरे से शुरू करना होगा। समय भी बहुत नहीं रह गया है। जापान ने इन खेलों को रिकवरी ओलंपिक के तौर पर प्रचारित किया था। वह दुनिया को दिखाना चाहता है कि भूकंप, सुनामी और परमाणु रिसाव को त्रासदी झेलने के बाद भी वह खेलों की मेजबानी करने में सक्षम हैं। प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने कहा कि अगले साल होने वाले टोक्यो 2020 इस नए वायरस पर इंसान की जीत की बानगी देंगे। जापान सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बातचीत में भी उन्होंने यही संदेश दोहराया। दोनों नेताओं ने इस पर सहमति जताई कि यह खेल नए कोरोना वायरस पर इंसान की जीत का सुबूत होंगे। आयोजकों के सामने अभी कई अनुत्तरित प्रश्न हैं। मसलन क्या आयोजन स्थल उपलब्ध होंगे? टिकटधारियों और स्वयंसेवियों का क्या होगा? अगले साल के खेल कैलेंडर में ओलंपिक के लिए जगह कैसे बनेगी? खेल गांव का क्या जहां 4000 से ज्यादा आलीशान अपार्टमेंट बने हैं और बिक भी चुके हैं? होटलों की बुकिंग का क्या होगा? टोक्यो 2020 के अध्यक्ष योशिरो भेवरी ने कहा कि हमारे पास उम्मीद बनाए रखने के सिवाय कोई चारा नहीं है। मैं कैंसर से जूझकर आज आपके सामने जिंदा हूं। मुझे एक नई दवा ने बचाया। हम सब कुछ ठीक होने की उम्मीद करते हैं। शांतिकाल में स्थगित होने वाला यह पहला ओलंपिक है। खेलों के 2021 में होने से अब नया शेड्यूल बनाना काफी चुनौतीपूर्ण होगा।

-अनिल नरेन्द्र

दिल्ली में निजामुद्दीन बना कोरोना का केंद्र

दिल्ली में तेजी से बढ़ रहे कोरोना वायरस के मामले में रविवार देर रात उस समय बड़ा मोड़ आया जब एक साथ करीब 200 लोगों को कोरोना महामारी के संदेह पर जांच के लिए अस्पताल लाया गया। निजामुद्दीन के तब्लीगी जमात के मरकज में करीब सैकड़ों लोगों की भीड़ जुटी थी। इसमें कुछ लोग कोरोना से पीड़ित पाए गए हैं जो विदेशों से यात्रा करके लौटे थे। इससे सैकड़ों लोगों के कोरोना संक्रमित होने की आशंका है। दिल्ली में सोमवार को कोरोना के 25 नए केस आए। राजधानी में यह एक दिन में सामने आई कोरोना पीड़ितों की सबसे बड़ी संख्या है। इससे दिल्ली में कोरोना मरीजों की कुल संख्या 97 हो गई है। नए मरीजों में 24 निजामुद्दीन इलाके के हैं। निजामुद्दीन में संक्रमित हुए तब्लीगी जमात में शामिल होने वाले छह लोगों की सोमवार को तेलंगाना में मौत हो गई। तेलंगाना के सीएमओ ने देर रात यह जानकारी दी। एक ही इलाके से कोरोना संदिग्ध के इतने मामले सामने आने के बाद हड़कंप मच गया। दिल्ली पुलिस ने इलाके की घेराबंदी कर वहां से अन्य लोगों को बसों में भरकर अस्पताल पहुंचाया, ताकि उनकी जांच हो सके। पुलिस के मुताबिक बीती 18 मार्च को इलाके में बिना अनुमति के धार्मिक कार्यक्रम (तब्लीगी मरकज) हुआ था। इसमें देशभर से ही नहीं, दुनिया के 70 देशों के लोग शामिल हुए थे। बताते हैं कि कार्यक्रम में 1900 लोग शामिल हुए थे, जिनमें 300 विदेशी थे। मरकज में शामिल करीब 1200 लोग तो लॉकडाउन के ऐलान से पहले ही विभिन्न राज्यों में निकल गए, जिनकी तलाश की जा रही है। मामला गरमाने के बाद दिल्ली सरकार ने इस मामले के लिए जिम्मेदार लोगों पर एफआईआर दर्ज करने को कहा है। मामले में बताया गया कि निजामुद्दीन में दो दिनों से इस तरह के लोगों के मामले सामने आने लगे थे, जिन्हें कोरोना हो सकता था। इन्हें जांच के लिए ले जाने को एम्बुलैंस भी आई थी, लेकिन इलाके के लोगों के विरोध के चलते नहीं ले जा पाई। मामला अधिक बिगड़ने लगा तो लोगों ने पुलिस और डॉक्टरों की टीम को सहयोग करना शुरू किया। सूत्रों ने बताया कि इस मरकज में लॉकडाउन के बाद करीब 1900 लोग जमा थे। इनमें 300 विदेशी भी थे। इनमें से 100 से अधिक लोगों को कोरोना संक्रमण के संदेह में अस्पतालों में दाखिल कराया गया है। बाकी लोगों को यहीं एकांत में रखा जाएगा या कहीं और शिफ्ट किया जाएगा, फिलहाल यह तय नहीं है। पूरे इलाके को सील कर दिया गया है। ड्रोन से निगरानी शुरू कर दी गई है। मामले में पुलिस इस बात की भी जांच करेगी कि क्या जानबूझ कर इतने लोगों को एक जगह होने की बात छिपाई?

न्यूजपेपर से नहीं फैलता है कोरोना वायरस, यह सच है

अखबार हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गए हैं। लॉकडाउन में अखबारों की सप्लाई प्रभावित हुई है। अखबार छप तो रहे हैं पर लोगों तक नहीं पहुंच रहे। इसका सबसे बड़ा कारण है हॉकरों का अखबारों को न उठाना। इसका कारण यह है कि पहला तो घर से निकलना मुश्किल हो गया और दूसरा कुछ हॉकरों को अखबार छूने से डर लगता है कि कहीं इनके माध्यम से उन्हें कोई नुकसान न हो जाए। लॉकडाउन के कारण बाधित वस्तुओं की ढुलाई पर अब रोक हट गई है। अब तक सिर्प आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई को अनुमति दी गई थी। सभी राज्यों के मुख्य सचिवों के लिए जारी किए गए पत्र में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि प्रिंट मीडिया वितरण व प्रसारण से जुड़े सभी चेन इसमें आते हैं। यानि इंक, प्लेट्स, न्यूज प्रिंट से लेकर कर्मयोगी तक इसकी श्रेणी में आएंगे। पिछले दिनों में यूं तो कई आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई का निर्देश था। प्रिंट मीडिया भी आवश्यक सेवा में शामिल है लेकिन इससे जुड़ी कई सामग्रियों की ढुलाई में मुश्किलें आ रही थीं। यहां तक कि प्रिंट मीडिया में काम करने वाले कर्मचारियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। हॉकरों को घर से अखबारों के वितरण करने में मुश्किलें आ रही थीं। जबकि सरकार के साथ विशेषज्ञों की ओर से बार-बार कहा जा रहा है कि अखबार पूरी तरह सुरक्षित है। इससे संक्रमण का खतरा नहीं है। बहरहाल रविवार को मुख्य सचिवों को जारी पत्र में गृह सचिव ने साफ-साफ कहा कि प्रिंट मीडिया के सप्लाई चेन में जुड़ी सभी चीजों की ढुलाई पर कोई पाबंदी नहीं है, कोई रोक नहीं है। इस पत्र में यह भी कहा गया साबुन, सैनिटरी पैड्स, बॉडी वॉश, शैंपू, डिटर्जेंट के अलावा मिल्क फूड जैसी सामग्री भी शामिल हैं। रेड क्रॉस सोसाइटी भी इसमें शामिल है। कोरोना को हराने के लिए आपके पास सही जानकारी जरूरी है। अखबार से हम यही कोशिश कर रहे हैं। साथ ही हम उन अफवाहों का खंडन कर सही तस्वीर पेश करने का प्रयास कर रहे हैं। तमाम अखबार छप रहे हैं। आज ही आप अपने हॉकर को यह सब जानकारी दें और उसे समझाएं कि वह अखबार डालना शुरू करें। इसमें किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं है।

Monday, 30 March 2020

कोरोना लॉकडाउन में भी शीर्ष अदालत सुनवाई करेगी

उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि देश में कोरोना वायरस महामारी के कारण लॉकडाउन के बावजूद वह तत्काल महत्व वाले मामलों में स्काइप, फेसटाइम तथा वाट्सएप के माध्यम से वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई करेंगे। सर्वोच्च अदालत ने अपने पहले के आदेशों में संशोधन करते हुए बहुत आवश्यक मामलों में सुनवाई रखने का फैसला किया है। दो दिन पूर्व देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के बाद शीर्ष अदालत ने सभी कार्यवाही बंद कर दी थी। लेकिन अब फैसला किया गया है कि बहुत अर्जेंट मामलों में कार्यवाही जारी रखी जाएगी। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस तथा न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की तीन पीठें शुक्रवार को इन एप्लीकेशनों के माध्यम से सुनवाई करेंगी। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ सुबह 11 बजे सुनवाई करेगी, वहीं न्यायमूर्ति राव की अध्यक्षता वाली पीठ दोपहर एक बजे तथा न्यायमूर्ति मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ अपराह्न तीन बजे मामलों की सुनवाई करेगी। शीर्ष अदालत के महासचिव द्वारा जारी ताजा परिपत्र के अनुसार अत्यंत तत्कालीन जरूरत वाले मामलों में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड (एओआर) या वादी को पहले याचिका या आवेदन दाखिल करना होगा और इसमें ई-फाइलिंग को तरजीह देनी होगी। इसके बाद उन्हें अत्यंत तात्कालिक आवश्यकता का सार-संक्षेप इंगित करते हुए एक अन्य आवेदन दाखिल करने को कहा है। न्यायालय ने 23 मार्च को सफलतापूर्वक वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई का परीक्षण किया था और तीन मामलों पर सुनवाई की गई जिसमें न्यायाधीश अदालत कक्ष में बैठे वकीलों ने शीर्ष अदालत में ही दूसरे स्थान से दलीलें दीं। सुप्रीम कोर्ट का यह अच्छा फैसला है और कोरोना वायरस के दौरान ही सुनवाई करके जज महोदयों ने देश के सामने एक अच्छा संकेत दिया है।

-अनिल नरेन्द्र

विदेश से आए 15 लाख यात्रियों पर कड़ी नजर

बीते 18 जनवरी से 23 मार्च 2020 के बीच विदेशों से 15 लाख अंतर्राष्ट्रीय यात्री भारत में आ चुके हैं। अब केंद्र ने राज्यों से कहा है कि विदेशों से जो भी लोग (एनआरआई) भारत आए हैं उन पर निगरानी रखी जाए। कैबिनेट सचिव राजीव गाबा ने शुक्रवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा कि पिछले दो महीने के दौरान 15 लाख से अधिक यात्री विदेश से आए हैं। लेकिन कोविड-19 के लिए निगरानी की जाने वाली वास्तविक संख्या और आए यात्रियों में भारी अंतर है। ऐसे में राज्य सरकारों को व्यवसायिक उड़ानों पर पाबंदी से पहले ऐसे आए यात्रियों पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए थी। राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन राज्यों व केंद्रीय शासित प्रदेशों को आने वाले करीब 15 लाख यात्रियों का ब्यौरा दिया जाए, जिन पर कोरोना वायरस के मद्देनजर निगरानी रखे जाने की जरूरत है लेकिन ऐसा लगता है कि राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों को जितने यात्रियों पर निगरानी रखनी चाहिए थी, उससे कम लोगों पर निगरानी रखी जा रही है। लिहाजा इस मामले में किसी तरह की चूक नहीं होनी चाहिए। श्रीनगर वादी में लोगों ने विदेश यात्रा छिपाने वाले 400 से ज्यादा स्थानीय नागरिकों के बारे में नियंत्रण कक्ष को सूचित किया था। इनमें से 200 शिकायतें सही पाई गई हैं और विदेश से लौटे 150 लोगों को क्वारंटाइन केंद्रों में भेजा गया है। घाटी में पाए गए कोरोना संक्रमित मरीज या तो विदेशों से लौटे या संक्रमित लोगों के सम्पर्प में रहने से कोरोना फैला। हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि विदेशों से आने वाले कुछ यात्रियों ने अपना संक्रमण छिपाने के लिए थर्मो जांच से पहले पैरासिटामॉल की दवाएं ले रहे थे। डॉक्टरों की मानें तो संक्रमण को छिपाने का यह काफी खतरनाक तरीका है, क्योंकि पैरासिटामॉल से चार से छह घंटे तक बुखार नियंत्रित रहता है और इसके बाद फिर तेज हो जाता है। ऐसे लोग समाज और देश से विश्वासघात कर रहे हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि बड़ी संख्या में पंजाब में भारतीय मूल के एनआरआई भी देश में आने के बाद से छिपे हैं, उनकी ढुंढाई हो रही है।

कोरोना को लेकर चीन ने दुनिया को किया भ्रमित

चीन के वुहान शहर से फैला कोरोना वायरस अब पूरी दुनिया में फैल चुका है। आज करीब 196 देशों में कोरोना के मामले सामने आए हैं। दरअसल चीन ने इस पूरे मामले में कई अहम जानकारी छिपाई जिससे यह महामारी बन गई। कोरोना वायरस के कहर से लगभग पूरी दुनिया में जिंदगी ठहर-सी गई है। चीन के वुहान से शुरू हुए इस किलर वायरस से अब तक हजारों लोग मारे गए हैं। यही नहीं, करीब 150 से अधिक देशों पर कोरोना वायरस का बहुत बुरा असर पड़ा है। चीन ने अगर शुरुआत में और ज्यादा पारदर्शिता बरती होती तो कोरोना को शायद रोका जा सकता था। कम से कम इसके इतने बड़े प्रकोप से बचा जा सकता था। अमेरिका की पत्रिका नेशनल रिव्यू में छपे लेख के मुताबिक चीन ने आंकड़े दुनिया से छिपाकर रखे जिससे यह लड़ाई अब बहुत मुश्किल हो गई है। शुरुआत वुहान के जंगली जानवरों के बाजार से शुरू हुई। दिसम्बर 2019 को पहले मरीज में कोरोना वायरस के लक्षण सामने आए। पांच दिन बाद मरीज की पत्नी भी कोरोना से संक्रमित हो गई। इस दौरान यह साफ संकेत सामने आया कि यह वायरस इंसान से इंसान में फैल रहा है। 31 दिसम्बर को वुहान के हैल्थ कमिशन ने यह घोषित कर दिया कि यह वायरस इंसान से इंसान में नहीं फैलता है। चीन ने इस तरह के मामले सामने आने के तीन हफ्ते बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन को इसके बारे में सूचना दी। आइए जानते हैं कि चीन ने किस तरह से इस पूरे मामले को दुनिया से छिपाए रखा। दिसम्बर 2019, इस दिन पहले मरीज में कोरोना के लक्षण सामने आए। पांच दिन बाद मरीज की पत्नी भी कोरोना वायरस से पीड़ित हो गई और उसे भी अलग-थलग अस्पताल में भर्ती कराया गया। दिसम्बर के दूसरे सप्ताह में वुहान के डॉक्टर उन लोगों की तलाश कर रहे थे जिनमें यह वायरस फैला था। इस दौरान यह साफ संकेत सामने आया कि वायरस इंसान से इंसान में फैल रहा है। 25 दिसम्बर को वुहान के दो चीनी मेडिकल स्टॉफ में भी कोरोना का लक्षण पाया गया और उन्हें अलग-थलग कर दिया गया। इस पूरे मामले का खुलासा करने वाले डॉक्टर ली वेनलियांग ने डॉक्टरों के एक समूह को चेतावनी दी कि यह सार्स हो सकता है। 31 दिसम्बर को वुहान के हैल्थ कमिशन ने यह घोषित कर दिया कि यह वायरस इंसान से इंसान में नहीं फैलता है। यही नहीं, चीन ने इस तरह के मामले सामने आने के तीन सप्ताह बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन को इस बारे में बताया। इसके बाद डॉक्टरा ली को वुहान के पब्लिक सिक्यूरिटी में बुलाया गया और उन पर अफवाह फैलाने का आरोप लगाया। यही नहीं, चीन के नेशनल हैल्थ कमिशन ने आदेश दिया कि इस बीमारी के बारे में कोई सूचना सार्वजनिक नहीं की जाए। उसी दिन हुबेई के प्रांतीय स्वास्थ्य आयोग ने वुहान के सारे नमूनों को नष्ट कर दिया। न्यूयॉर्प टाइम्स ने छह जनवरी को अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि 59 लोग वुहान में न्यूमोनिया जैसी बीमारी से पीड़ित हैं। इसके बाद जाकर चीन ने सेवन 1 की यात्रा निगरानी जारी की। चीन ने कहा कि लोग वुहान में जिंदा या मरे हुए जानवरों, जानवरों के बाजार और बीमार लोगों से दूर रहे। चीन की इस देरी का नतीजा यह हुआ कि आज कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैल गया।

Saturday, 28 March 2020

कोरोना प्रभाव ः बड़ी संख्या में कैदियों को पेरोल

कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को उच्च स्तरीय समिति गठित करने का निर्देश दिया कि जेलों में भीड़ कम करने के लिए कैदियों के ऐसे वर्ग का निर्धारण किया जाए, जिन्हें चार से छह सप्ताह के लिए पेरोल पर रिहा किया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसे कैदियों को पेरोल पर रिहा किया जा सकता है, जिन्हें सात साल की कैद हुई हो या फिर उनके खिलाफ ऐसे अपराध में अभियोग निर्धारित हो चुका हो, जिसमें सात साल तक की सजा का प्रावधान है। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबड़े, न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि यह उच्च स्तरीय समिति कैदियों की रिहाई के लिए राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के परामर्श से काम करेगी। पीठ ने कहाöहम इसलिए निर्देश देते हैं कि प्रत्येक राज्य चार से छह सप्ताह के पेरोल या अंतरिम जमानत पर रिहा करने योग्य कैदियों के वर्ग का निर्धारण करने के लिए गृह सचिव और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष की सदस्यता वाली उच्च स्तरीय समिति गठित करेगी। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि कोविड-19 के नाम से चर्चित इस महामारी की वजह से जेलों में अधिक भीड़ से बचने के प्रयास में इन कैदियों को रिहा किया जा रहा है। कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर देश की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी होने की वजह से उत्पन्न खतरे और इससे निपटने की तैयारियों को ध्यान में रखते हुए शीर्ष अदालत ने 16 मार्च को स्वत ही इस मामले का संज्ञान लिया था। न्यायालय ने कहा था कि जेलों की क्षमता से अधिक कैदी होने की वजह से उनके लिए कोरोना वायरस जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने महामारी घोषित किया है, से  बचाव के लिए एक दूसरे से दूरी बनाकर रखना बहुत जरूरी है और दूरी बनाना जेलों में मुश्किल है। शीर्ष अदालत ने इस तथ्य का भी उल्लेख किया था कि अगर तत्काल ठोस कदम नहीं उठाए गए तो भारत में हालात खराब हो सकते हैं।

-अनिल नरेन्द्र

100 दिन बाद खाली कराई सड़क

शाहीन बाग में सीएए के खिलाफ 100 दिनों से चल रहे प्रदर्शन को पुलिस ने मंगलवार सुबह हटा दिया। प्रदर्शन स्थल को खाली करवाने की कार्रवाई सुबह पांच बजे से शुरू हो गई थी। इस दौरान पुलिस और प्रोटेस्ट पर बैठी महिलाओं के बीच थोड़ी देर तक नोकझोंक हुई, लेकिन पु]िलस ने जल्द हालात पर काबू पा लिया। एक घंटे बाद प्रदर्शन स्थल से भारत का नक्शा इंडिया गेट और टेंट जेसीबी की मदद से हटाए जा चुके थे। सुबह पांच बजे से ही पुलिस और सीआरपीएफ के जवान बैरिकेड्स के  पास बड़ी संख्या में तैनात थे। इसके बाद पुलिस ने आसपास की सभी गलियों को ब्लॉक कर दिया। शाहीन बाग की गलियों में पुलिस के जवानों को तैनात किया गया था, ताकि किसी तरह के टकराव की स्थिति न शुरू हो। सबसे पहले पुलिस के आला अधिकारियों ने प्रदर्शन स्थल पर बैठी महिलाओं को समझाने की कोशिश की। उन्होंने कोरोना वायरस के खतरे से भी सबको अवगत कराया और बताया कि इसके चलते यूं धरना-प्रदर्शन पर बैठना कितना खतरनाक है। पर महिलाओं ने पुलिस अधिकारियों की एक न सुनी और हटने से इंकार कर दिया। फिर महिला पुलिस बल की एक टुकड़ी महिलाओं को हटाने के लिए पहुंची। उसके बाद धीरे-धीरे महिला पुलिस ने महिलाओं को हटाने की कार्रवाई शुरू की। जैसे ही पुलिस की कार्रवाई शुरू हुई शाहीन बाग की गलियों में तनाव बढ़ने लगा। लोग घरों से गलियों में निकलने लगे। कुछ लोगों ने पुलिस के कदम के खिलाफ गली के अंदर प्रोटेस्ट करना शुरू कर दिया। लेकिन पुलिस ने लोगों को समझाया। प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उन्हें जबरन हटाया  गया। प्रदर्शन शांतिपूर्वक तरीके से चल रहा था। पुलिस के आला अधिकारी मिलने भी गए। हमने उन्हें समझाने की कोशिश की, बताया गया कि दिल्ली में धारा-144 लगी हुई है और कहीं भी एक वक्त पर पांच लोग एक साथ नहीं रह सकते हैं। कोरोना वायरस को लेकर सभी तरह की सावधानी बरत रहे हैं, लेकिन पुलिस मानने को तैयार नहीं थी।  लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि प्रदर्शन पर बैठी महिलाओं के साथ बदसलूकी की गई। वहीं रोड नम्बर 66 पर जाफराबाद पुलिया से ठीक पहले सीलमपुर में सीएए और एनपीआर के विरोध में चल रहे धरने को पुलिस ने जबरन खत्म कराया। शाहीन बाग के समर्थन में 15 जनवरी से सीलमपुर इलाके में भी धरना शुरू हो गया था। मंगलवार बहुत समझाने के बावजूद धरने पर बैठे लोगों ने जब हटने से इंकार किया तो पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया। मामला जमानती होने के कारण सभी को छोड़ दिया गया।
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मैडम उन्हें छोड़ना मत ः निर्भया की आखिरी इच्छा

मैडम उन्हें छोड़ना मत, निर्भया की आखिरी इच्छा मेरे मन में पूरी तरह घर कर चुकी थी। यह कहना है छाया शर्मा का जो निर्भया कांड के समय डीसीपी साउथ थीं और इन्हीं के अंतर्गत क्षेत्र में यह घिनौना अमानवीय कांड हुआ था। अगर निर्भया के दोषियों को अंतत फांसी हुई तो इसमें छाया शर्मा का बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा। छाया शर्मा ने बताया कि एक महिला अधिकारी होने के नाते, मैं एक मां और बहन के रूप में निर्भया की पीड़ा को समझ सकती थी। घटना वाले दिन से ही मैंने और हमारी टीम ने दृढ़ निश्चय कर लिया था कि आरोपियों को किसी भी सूरत में कानून के शिकंजे से बचकर नहीं जाने देंगे। पुलिस की टीम वर्प और अदालत में साक्ष्यों को ठोस तरीके से रखने वाले वकीलों की मेहनत से ही इस केस में सफलता मिल सकी। यह कहना है साउथ डिस्ट्रिक्ट की तत्कालीन डीसीपी छाया शर्मा का। छाया शर्मा वर्तमान में डेप्यूटेशन पर नेशनल ह्यूमन राइट कमिशन में बतौर डीआईजी हैं। उन्होंने बताया कि निर्भया मामला अभी तक का ऐसा मामला है कि जिसमें आरोपियों ने अमानवीयता की सभी हदों को पार कर दिया था। वह कहती हैं कि पीसीआर कॉल मिलने के बाद वह 16 दिसम्बर की देर रात सीधे सफदरजंग अस्पताल पहुंची थीं। वहां पर डॉक्टर मौके पर पहुंचने वाले पुलिस कर्मियों से पीड़ित के हालात जाने और तभी पीड़िता को न्याय दिलाने और आरोपियों को पकड़ने का बीड़ा उठाते हुए उन्होंने पूरे जिले की टीम को अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी। तत्कालीन डिफेंस कॉलोनी थाने की बेनिता मैरी जेकर को पीड़िता के परिवार के साथ लगाया था और वह यंग ऑफिसर थीं। छाया शर्मा ने  बताया कि निर्भया से उन्हें करीब चार से पांच बार मिलने का मौका मिला, लेकिन एक बार जब वह कुछ बोलने की हालत में थी तो उसने कहा थाöमैडम उन्हें छोड़ना मत। यह बात मेरे दिल और दिमाग में घर कर चुकी थी। आरोपियों से बचाव के लिए निर्भया ने किसी एक को अपने दांत से काट खाया था और कुछ को नाखून के निशान भी लगे थे जिसकी पुष्टि बाद में हो गई थी। टीम की कड़ी मेहनत के चलते वारदात में शामिल बस भी पकड़ी गई, सभी आरोपियों को भी पकड़ ]िलया गया और पूरे साक्ष्य भी जुटाए गए। इन सभी को क्रमवार जोड़ते हुए चार्जशीट दाखिल की गई और निचली अदालत और हाई कोर्ट में वकील राजीव मोहन, एटी अंसारी, माधव खुराना व दमन कृष्णन और सुप्रीम कोर्ट के सिद्धार्थ लूथरा और सुप्रिया जुनेजा ने पुलिस का पक्ष इतनी मजबूती से रखा कि आरोपियों पर दोष सिद्ध हुआ और निर्भया को इंसाफ मिला। हम छाया शर्मा और उनकी पूरी टीम को सलाम करते हैं। हमें ऐसे पुलिस अधिकारियों पर गर्व है।

लॉकडाउन की स्थिति में किसान अपनी फसलें कैसे काटें-निकालें?

कोरोना वायरस के नियंत्रण के लिए देश में  लॉकडाउन की स्थिति और कई राज्यों में कर्फ्यू लगाए जाने से किसानों को भारी नुकसान होने की संभावना है। विशेष परिस्थितियों के चलते गांव से शहरों में खाद्यान्न की आपूर्ति प्रभावित होने लगी है तथा जल्दी खराब होने वाली सब्जियों के मूल्य बढ़ने लगे हैं। जिस वक्त कोरोना वायरस को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशभर में लॉकडाउन की घोषणा कर रहे थे, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार और हिमाचल के किसान एक ही बात सोच रहे थे। अब गेहूं की फसल का क्या होगा? क्योंकि फसल तैयार है। किसी भी वक्त कटाई शुरू होने वाली थी। अब कैसे होगा यह सब? यही चिंता किसानों के चेहरे पर बनी हुई है। लॉकडाउन अचानक से हुआ। किसानों ने बताया कि अप्रैल के पहले सप्ताह में गेहूं की कटाई शुरू हो जाती है। इस बार पहले ही मौसम की वजह से गेहूं का खासा नुकसान हुआ है। यदि अब समय पर गेहूं की कटाई नहीं होती तो फिर खेत में ही फसल खराब हो जाएगी। किसानों ने बताया कि एक दिन भी यदि गेहूं की कटाई लेट होती है तो समझो पांच प्रतिशत फसल खराब हो जाएगी। पक्की फसल की समय पर कटाई न होने से इसका दाना खराब हो सकता है। फसल खेत में झड़ सकती है। इसके साथ ही यदि मौसम भी खराब हो गया तो पूरी फसल बर्बाद हो जाएगी। हाल की स्थिति की बात करें तो उत्तर प्रदेश के किसानों के खेत में आलू बोया हुआ है, आलू की खुदाई/बिनाई का काम बगैर मजदूरों के नहीं हो सकता। ऐसे में किसान क्या करें? यह स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। 24 मार्च की मध्यरात्रि से देशबंदी होने के बाद पुलिस मजदूरों पर भी सख्ती कर रही है। एक जगह चार मजदूर नहीं लग सकते। ऐसे में किसानों के पास क्या विकल्प है? यह बताने में बहरहाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नाकाम रहे हैं। लॉकडाउन की स्थिति में किसानों के पास अपनी फसल लेने के लिए क्या समाधान है? लगभग यही स्थिति हर राज्य में किसानों की है। अगर फसलें कटती नहीं, बर्बाद हो जाती हैं तो उसका भारी खामियाजा देश की जनता को उठाना पड़ेगा।

-अनिल नरेन्द्र

कोरोना की जांच अब देसी किट से संभव

एक खुशखबरी है। कोरोना वायरस की जांच अब देसी किट से भी संभव होगी। भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई किट को आईसीएमआर ने अप्रूव कर दिया है। आईसीएमआर ने कहा कि अब जांच सस्ती हो जाएगी और जल्दी हो जाएगी। आईसीएमआर के एक वैज्ञानिक के अनुसार अब जांच के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा, अब भारत में बनी किट से यह जांच संभव होगी। इससे जांच की कीमत में भी कमी आएगी। वैज्ञानिक ने बताया कि इसके लिए कई इंस्टीट्यूट्स द्वारा तैयार की गई किट की स्टडी की गई। इस किट का पैमाना था कि किट यूएसएफडीए से अप्रूव हो या ईयूए से प्रमाणित हो या फिर इसका रिजल्ट 100 प्रतिशत हो। पुणे की एनआईवी लैब में आए सभी किट की जांच की गई, जिसमें से दो किट की रिपोर्ट 100 प्रतिशत पॉजिटिव और 100 प्रतिशत नेगेटिव पाई गई। जिसके बाद ऐसी दो किट को अप्रूवल दे दी गई है। कोरोना वायरस आने के बाद पुणे की आईसीएमआर की एनआईवी लैब को वायरस को आइसोलेट करने में सफलता मिली थी। उस समय कहा गया था कि इस सफलता के बाद भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा बनाई गई किट की जांच करने में काफी मददगार साबित हुई है। आईसीएमआर के अनुसार यूएसएफडीए प्रमाणित किट के साथ ही अब भारतीय किट का भी प्रयोग कोरोना मरीजों के लिए किया जा सकेगा, जिसका निर्माण देश में किया जा रहा है। प्रारंभिक चरण की स्टडी में दोनों किट को कोरोना की जांच के लिए सटीक माना गया है। आईसीएमआर के विशेषज्ञों की टीम ने कोरोना की क्रीनिंग अधिक बेहतर करने के लिए यह कदम उठाया है। सूत्रों का कहना है कि यह किट बहुत कम समय में बनाई गई है, जो अपने आपमें एक रिकॉर्ड है। इसके बाजार में उतरने के बाद इस पर खर्च काफी कम हो सकता है। सरकार ने कुछ प्राइवेट लैब्स को भी कोरोना की जांच करने की इजाजत दी है। डॉ. लाल लैब, डॉ. डांग लैब के अलावा कई लीडिंग लैब्स को इजाजत दी है। इन्होंने जांच की कीमत लगभग 4500 रुपए रखी है।

कोरोना से पहले भूख हमें मार देगी

अली हसन जिस दुकान में काम करते हैं वो बंद हो गई है और अब उनके पास खाने के पैसे नहीं हैं। भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए संपूर्ण लॉकडाउन का ऐलान कर दिया गया है। अत्यावश्यक कामों को छोड़कर किसी चीज के लिए घर से बाहर आने की इजाजत नहीं दी जा रही है। लेकिन रोज कमाने-खाने वालों के लिए अगले 21 दिन तक घर बैठने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं है। बीबीसी संवाददाता विकास पांडे ने ऐसे ही लोगों की जिंदगियों में झांक कर यह समझने की कोशिश की है कि आने वाले दिन उनके लिए क्या लेकर आने वाले हैं? उत्तर प्रदेश के नोएडा में एक चौराहा है जिसे लेबर चौक कहते हैं। सामान्य तौर पर इस जगह पर काफी भीड़भाड़ रहती है। दिल्ली से सटे हुए इस इलाके में घर और बिल्डिंग बनाने वाले ठेकेदार मजदूर लेने आते हैं। लेकिन बीते रविवार की सुबह जब मैं इस इलाके में गया तो यहां पसरा हुआ सन्नाटा देखने लायक था। उस दिन वहां चिड़ियों का शोर अरसे बाद सुनने को मिला। इस सवाल के जवाब में कि क्या वह जनता कर्फ्यू का पालन नहीं कर रहे तो एक शख्स रमेश कुमार जो उत्तर प्रदेश के बांदा जिले का रहने वाला है ने बताया कि उन्हें पता था कि रविवार के दिन हमें काम देने के लिए कोई नहीं आएगा लेकिन हमने सोचा कि अपनी किस्मत आजमाने में क्या जाता है? रमेशöमैं हर रोज छह सौ रुपए कमाता हूं और मुझे पांच लोगों का पेट भरना होता है। अगले कुछ दिनों में ही हमारी रसद खत्म हो जाएगी। मुझे कोरोना वायरस के खतरे का पता है लेकिन मैं अपने बच्चों को भूखा नहीं देख सकता। इलाहाबाद के उत्तर में रहने वाले किशन लाल रिक्शा चलाने का काम करते हैं। बीते पांच दिनों से उनकी कमाई शून्य के बराबर है। रमेश की तरह भारत में लाखों दिहाड़ी मजदूर ऐसी ही परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश से लेकर केरल और दिल्ली राज्य ने रमेश कुमार जैसे मजदूरों के खाते में सीधे पैसे डालने की बात कही है। मोदी सरकार ने इस महामारी की वजह से परेशान होने वाले दिहाड़ी मजदूरों को भी मदद करने का वादा किया है। लेकिन इन वादों को अमल में लाने के लिए सरकार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इन परिवारों की जिंदगी उसी नकदी पर टिकी होती है जिसे यह पूरा दिन काम करने के बाद घर लेकर आते हैं। इनमें से कई सारे प्रवासी मजदूर भी हैं। इसका मतलब यह है कि यह किसी दूसरे राज्य के निवासी हैं। यह काम करने कहीं और आए हैं। इनका क्या होगा? मजबूरन कुछ मजदूर परिवार पैदल ही अपने गांवों की तरफ चल पड़े हैं। क्योंकि घर पहुंचने का कोई साधन नहीं है, ट्रेनें और बसें चल नहीं रही हैं।

Friday, 27 March 2020

कोरोना वायरस की जंग के बीच जवानों की शहादत

जहां एक तरफ पूरा देश कोरोना वायरस से मुकाबला करने लगा है वहीं छत्तीसगढ़ के माओवादी प्रभावित सुकमा जिले के चिंतागुफा थाना क्षेत्र में 17 जवानों की शहादत ने पूरे देश में दुख का माहौल और पैदा कर दिया है। कोरोना महामारी से जूझते देश में यह खबर उस समय की सुर्खियां नहीं बनी पर हाल के समय में यह सबसे बड़ा माओवादी हमला है। दुख की बात यह है कि कई घंटों तक सुरक्षाबलों को यह पता ही नहीं था कि उनके जवान कहां हैं? रविवार को यानि 22 मार्च को इनकी तलाश के लिए 500 जवानों की टीम को भेजा गया था, जिन्होंने जवानों के शव बरामद किए। सुरक्षाबलों पर नक्सली हमले ने एक बार फिर इस समस्या से पार पाने की चुनौती को एक बार फिर याद करा दिया है। वहां नक्सली समूह लंबे समय से सक्रिय हैं और उन पर काबू पाने में सरकार के प्रयास प्रश्नचिन्ह लगाते हैं। अकसर नक्सली वहीं घात लगाकर या फिर सीधे मुठभेड़ में सुरक्षाबलों को चुनौती देते हैं। इससे पार पाने के लिए राज्य सरकार और केंद्र के संयुक्त प्रयास चलते रहे हैं पर इस दिशा में अपेक्षित कामयाबी नहीं मिल पाई है। अकसर देखा जाता है कि खुफिया तंत्र और सुरक्षाबलों की तैयारी विफल साबित होती है। जितनी जानकारी आई है, उसके अनुसार सुकमा के मिदना इलाके में माओवादियों के बड़े जमावड़े की सूचना पर शुक्रवार यानि 20 मार्च की शाम को अलग-अलग कैंपों से करीब 530 जवान जंगल गए थे। माओवादियों को इसकी भनक लग गई थी। इसलिए उन्होंने वापसी के रास्ते पर इनको घेर कर मारने की व्यूहरचना कर रखी थी। कसालपाड़ और मिदना के बीच काटपाड़राज रेंगापारा के पास स्थित चार तालाबों की मेड़ के पीछे इनका अंकुश लगा था। जवान अलग-अलग सौ से डेढ़ सौ की टीमों में चल रहे थे। एक टीम माओवादियों के अंकुश में फंस गई। कल्पना की जा सकती है कि अचानक गोलियों और बमों के हमले में फंसे जवानों को संभलने में समय लगा होगा और वह बिखरे भी होंगे। चूंकि माओवादी चारों तरफ से थे और उनकी संख्या तीन सौ के आसपास थी, इसलिए वह भारी पड़ गए। जवानों की गोलियां भी खत्म हो गईं। हालांकि ऐसा नहीं हो सकता कि कोई माओवादी हताहत न हुआ हो पर उनकी संख्या के बारे में कुछ पता नहीं है। माओवादी जवानों के हथियार भी लूटकर ले गए जिनमें 14 एके-47 राइफल और एक अंडर बैरल ग्रैनेड लांचर शामिल हैं। कुल मिलाकर माओवादियों ने इस हमले से साफ कर दिया है कि उनकी शक्ति खत्म नहीं हुई है। छत्तीसगढ़ में नक्सली गतिविधियों पर काबू न पाए जाने के पीछे कुछ वजह स्पष्ट हैं। यह किसी से छिपी बात नहीं है कि वहां नक्सली समूह स्थानीय समर्थन के बिना इतने लंबे समय तक टिक नहीं सकते। इसलिए इस समर्थन को समाप्त करने की जरूरत पर शुरू से बल दिया जाता रहा है। स्थानीय लोगों और प्रशासन के बीच संवाद का जो सेतु कायम किया जाना चाहिए था, वह भी ठीक से नहीं बन पाया है। जब तक सरकारें इन कमजोर कड़ियों को दुरुस्त करने में सफल नहीं होती तब तक इस समस्या पर काबू पाने में मुश्किल ही बनी रहेगी।

-अनिल नरेन्द्र

हवा से कोरोना संक्रमण फैलने की कोई रिपोर्ट नहीं है

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सोमवार को साफ किया कि हवा से कोरोना के संक्रमण का कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है। दरअसल एक रिपोर्ट में चीनी अधिकारियों के हवाले से कहा गया था कि अस्पतालों में गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) में हवा में तैरते कणों के चलते कोरोना फैलने की आशंका बढ़ जाती है। डब्ल्यूएचओ की दक्षिण एशिया इकाई की क्षेत्रीय निदेशक पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहाöफिलहाल हवा के चलते कोरोना के समझने के लिए आंकड़ों के विश्लेषण की ज्यादा जरूरत है। अभी तक के हमारे अनुभवों के मुताबिक कोरोना ज्यादातर बीमार लोगों के खांसने और सम्पर्प में आने से ही फैलता है। यही वजह है कि डब्ल्यूएचओ बार-बार हाथ धोने और सांस लेने में सावधानी बरतने का सुझाव देता रहा है। डब्ल्यूएचओ के मुख्यालय पर संबोधित करते हुए संस्था के संक्रामक रोग महामारी और कोविड-19 टेक्निकल की प्रमुख भाटिया वैन केरखोव के मुताबिक यह आपसी संक्रमण और खांसी से ज्यादा फैलता है। इनसे दूर रहें तो संक्रमण से बचे रहेंगे। भाटिया ने बताया कि कोरोना से पीड़ित मरीजों के इलाज में लगे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को मरीजों की थूक, खांसी और कफ से बचने और एहतियात बरने की सलाह दी है। यह संक्रमण एक इंसान से दूसरे इंसान में तभी फैलता है जब कोरोना पीड़ित खांस रहा है या फिर कफ निकल रहा हो। उस समय उसके आसपास वायरस फैल जाता है। दरअसल एक दिन पहले ही एक रिपोर्ट में चीन के अधिकारियों के हवाले से दावा किया गया था कि कोरोना का संक्रमण हवा के चलते भी हो सकता है। और यह हवा में आठ घंटे तक रह सकता है। ऐसे में हर जगह जाने से पहले मास्क पहनना जरूरी है। डब्ल्यूएचओ ने इसका खंडन करते हुए साफ किया है कि हवा से कोरोना संक्रमण फैलने का कोई मामला अभी तक सामने नहीं आया। यह सिर्प बीमार लोगों के खांसने और सम्पर्प में आने से होता है।

संकट में प्रशासन-जनता का पुल है अखबार

कोरोना वायरस जैसी महामारी के दौरान अखबार न सिर्प सेफ हैं, बल्कि आपकी सुरक्षा का भी ध्यान रखते हैं। यह अफवाहों के खिलाफ आपके हाथ में हथियार की मानिंद होते हैं। यह समय न सिर्प कोरोना को भगाने का है बल्कि यह भी देखना होगा कि कोरोना के नाम पर उपजे भ्रम हमें सही जानकारी से दूर न कर दें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अखबारों की सराहना करते हुए कहा कि महामारी के समय में जनता और प्रशासन के बीच पुल का काम करता है। दुनिया के टॉप डॉक्टरों और वैज्ञानिकों का कहना है कि कोई ऐसी घटना नहीं हुई है, जिसमें कोविड-19 के वायरस का प्रसार अखबार से हुआ हो। दुनिया में कहीं भी कोरोना के कारण अखबार पढ़ना बंद नहीं किया गया। अगर मन में झूठा डर समा जाए तो इसका तो कोई अंत नहीं होता। जानकार बता रहे हैं कि अखबार से कोरोना का डर बेवजह है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च में महामारी विज्ञान की प्रमुख निवेदिता गुप्ता का साफ कहना है कि कोविड-19 श्वसन तंत्र का इंफैक्शन है, न्यूजपेपर के जरिये इसके फैलने का कोई खतरा नहीं है। सरकार की ओर से भी अखबारों को आवश्यक वस्तुओं में रखा गया है। आपके हक की आवाज को उठाने से यह अखबार हमेशा आगे रहा है। इन्हें खामोश करने से भविष्य में सबका नुकसान ही होगा। सोशल मीडिया पर फेक न्यूज समाज के तानेबाने को खराब कर सकता है। कई रीडर्स की शिकायत है कि उन्हें न्यूजपेपर चाहिए, लेकिन उन्हें पहुंचने नहीं दिया जा रहा है। जो लोग हाउसिंग सोसाइटी को चला रहे हैं। वह इस दूरी को खत्म कर लोकतंत्र को मजबूत करने में अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं। हम तमाम हॉकरों से भी विनती करना चाहते हैं कि जब हम अखबार निकालने के लिए अपनी जानें जोखिम में डाल रहे हैं वहीं आपका देशहित में फर्ज बनता है कि आप इन अखबारों को ग्राहकों तक पहुंचाने में मदद करें। अगर आप पेपरों का वितरण नहीं करेंगे तो इससे जनता को नुकसान होगा। आप निश्चिंत रहें कि अखबारों से कोरोना वायरस का फैलाव नहीं होता। डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जनरल टीए गेब्रिसंस का कहना है कि हम सिर्प एपिडेमिक से नहीं लड़ रहे, एक इंफोडेमिक से भी लड़ाई जारी है।

Thursday, 26 March 2020

जरूरी सामान इकट्ठा न करें, इसकी कमी नहीं होगी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार रात देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि उतना ही सामान खरीदें जितना जरूरी हो, आवश्यकता से अधिक सामानों का संग्रह न करें। उन्होंने कहा कि देश में दूध, खाने-पीने का सामान, दवाइयां, जीवन के लिए जरूरी ऐसी आवश्यक चीजों की कमी न होगी, इसके लिए तमाम कदम उठाए जा रहे हैं। हिसाब उलटा भी देखने को मिल रहा है। आजादपुर मंडी में शनिवार को ही आलू, प्याज, टमाटर सहित सब्जियों व फलों की आवक में तेजी बनी रही, लेकिन खरीददार नहीं पहुंचे। ऐसे में सब्जियां स्टॉक में बची रह गईं। मांग से अधिक सब्जियों की थोक कीमत में दूसरे दिन भी गिरावट दिखी। आढ़तियों के अनुसार चूंकि रविवार को मंडी बंद रहेगी, इसके देखते हुए शनिवार को सब्जियों की मांग बढ़ने की संभावना थी। ऐसे में आलू, प्याज, टमाटर की आवक ज्यादा मात्रा में हुई। लेकिन इसका विपरीत असर देखा गया क्योंकि रविवार को खुदरा बाजार भी बंद रहेगा। इसी सोच के चलते ज्यादातर फुटकर विकेताओं ने शनिवार को मंडी का रुख नहीं किया। सो कहने का भाव यह है कि जरूरी खानपान की पर्याप्त सप्लाई है इसलिए उतना ही खरीदें जितना एक-दो दिन के लिए जरूरी है। इस दैनिक बाइंग का एक नतीजा यह हो रहा है कि कुछ दुकानदार अपने सामान अनैतिक तरीके से बढ़ाचढ़ कर बेच रहे हैं। कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है। लोग भी एहतियात बरतें। संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ने से लोगों में डर का माहौल है, लेकिन इस संकट के समय कुछ कारोबारी अनैतिक तरीके से मुनाफा कमाने में लग गए हैं। ऐसे समय में बेहद उपयोगी सेनिटाइजर व मास्क की बाजार में कमी हो गई है। यह सही है कि आम दिनों की तुलना में इन दिनों इसकी मांग कई गुणा बढ़ गई है, लेकिन बाजार में इसकी कृत्रिम कमी की जा रही है। ऐसा करके मजबूर ग्राहकों से मनमाना पैसा वसूला जा रहा है। इसके साथ ही कम गुणवत्ता वाले सेनिटाइजर व मास्क भी लोगों को बेचे जा रहे हैं। इस तरह से लोगों के जीवन के साथ जो खिलवाड़ किया जा रहा है उसे रोकना अत्यंत जरूरी है। यह काला बाजारी रुकनी चाहिए। दुख की बात है कि जीवित रहने के लिए जरूरी सामान में भी काला बाजारी करने से कुछ तत्व रुकते नहीं हैं। पैसा कमाने के लिए वह जनता को ही दाव पर लगाने से कतराते नहीं हैं।

-अनिल नरेन्द्र

अपनी जिंदगी खतरे में डाल बचा रहे हैं दूसरों की जान

देशभर में कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच डॉक्टर अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना पीड़ितों का लगातार उपचार कर रहे हैं। इस संकट की बेला में तो उन्हें भगवान का दर्जा दें तो सही होगा। डॉक्टर्स का कहना है कि वह इन दिनों बिना छुट्टी किए 16 से 20 घंटे तक लगातार मरीजों का उपचार करने में जुटे हैं ताकि मरीज स्वस्थ होकर घर जा सकें। आरएमएल के सीनियर डॉक्टर पवन कुमार ने बताया कि वर्तमान में वह दिन-रात कोरोना पीड़ित मरीजों के इलाज में लगे हुए हैं। उनके साथ कई डॉक्टर, मेडिकल स्टूडेंट्स और नर्सों की टीमें काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि मरीजों से सीधे तौर पर डॉक्टर सम्पर्प में आते हैं, जोकि अपने आपमें खतरनाक है। लेकिन डॉक्टर जान जोखिम में डालकर मरीजों को बचाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। वहीं एयरपोर्ट पर आने वाले कोरोना पीड़ित यात्रियों की सीधे सम्पर्प में आकर जांच करने वाले नर्सिंग अफसर यशवंत शर्मा का कहना है कि वह विदेश से आने वाले यात्रियों की लगातार जांच कर रहे हैं। इन दिनों एयरपोर्ट पर ही 16 से 20 घंटे की ड्यूटी कर रहे हैं, जिसके चलते कई बार वह घर भी नहीं पहुंच पाते। यशवंत शर्मा ने बताया कि लोगों को बचाने के लिए नर्सिंग स्टॉफ लगातार जान हथेली पर रखकर अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूरा स्टॉफ हाई रिस्क जोन में रहकर काम कर रहा है, जोकि बहुत खतरनाक है। लेकिन लोगों की जान बचाना उससे भी ऊपर है। उन्होंने बताया कि एक फ्लाइट से उतरने वाले यात्रियों की संख्या करीब 150 होती है। ऐसे में कई बार जांच करते समय यात्रियों को इंतजार करना पड़ता है, जिसके चलते वह नर्सिंग स्टाफ पर ही गुस्सा दिखाते हैं। स्टॉफ को इन दिनों ऐसे लोगों का भी सामना करना पड़ता है, जो रूटीन में नहीं करना पड़ता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में हमारे बहादुर डॉक्टरों को विशेष रूप से धन्यवाद दिया। हम जब भारत के हैल्थ वर्परों को याद करते हैं तो इस वक्त कोरोना से लड़ते हुए उन तमाम डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को भी याद करें जो भारत के नहीं हैं। इटली में कोरोना का इलाज करते हुए 13 डॉक्टरों की मौत हो गई है। 2629 स्वास्थ्य कर्मी संक्रमित हो गए हैं। वह भी जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं। इटली में 50 से अधिक डॉक्टरों को कोरोना का संक्रमण हुआ है। 57 साल के डॉक्टर मारसेलो नताली की कोरोना से मौत हो गई, वह कोडोना शहर में फ्रंट लाइन पर संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे थे। यहीं से इटली में महामारी का प्रकोप फैलना शुरू हुआ था। डॉक्टर नताली ने शिकायत भी की थी कि उनके पास दस्तानें नहीं हैं। उसके बाद उन्हें वायरस ने पकड़ लिया। साथी डॉक्टर उन्हें वेंटिलेटर पर रखना चाहते थे मगर
डॉ. नताली ने दूसरे मरीज का हक छीनना सही नहीं समझा। उन्हें इलाज मिलने में देरी हो गई। वह नहीं रहे। उनकी पत्नी नर्स हैं और उनके दो बच्चे हैं। कनाडा के डॉक्टर एलेन गौथियर एक वेंटिलेटर से नौ मरीजों का इलाज कर रहे हैं। उनके इस कार्य की हर जगह तारीफ हो रही है। उन्होंने इस मशीन को यूट्यूब में वीडियो देखने के बाद खुद ही बनाया है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के गिलगित क्षेत्र में 26 वर्षीय एक डॉक्टर की कोविड-19 के रोगियों का उपचार करते समय कोरोना वायरस के सम्पर्प में आने से मौत हो गई। देश में इस वायरस से किसी डॉक्टर की मौत का यह पहला मामला है। अधिकारियों ने बताया कि उसका इंचार्ज हाल में ईरान और इराक से लौटे रोगियों का उपचार कर रहे थे। पाकिस्तान की सीमाएं कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित ईरान और चीन से लगती है। पाकिस्तान में अब तक छह लोगों की इस वायरस से मौत हो चुकी है और लगभग 1000 लोगों की इसकी चपेट में आने की खबर है। चीन में कई डॉक्टरों और नर्स की मौत हो चुकी है। बहुत से संक्रमित भी हुए। नर्स लियो जिमिंग के पति की मौत हो गई। वह डॉक्टर थे। एक फार्मसिस्ट सौंग जो 28 साल के थे वायरस से नहीं बच सके। चीन के ली वेनलिन की मौत को न भूलें। वुहान मेडिकल हॉस्पिटल के ली ने 20 दिसम्बर को ही साथी डॉक्टरों को बताया था कि मुझे कोरोना वायरस है। खतरनाक हो सकता है। उनकी बात पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। उलटा प्रताड़ित किया गया। बहुत से डॉक्टर इटली और अन्य देशों में वायरस से संक्रमित होकर भी इलाज कर रहे हैं। कारण डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की भयंकर कमी है। भारत में राजस्थान के तीन डॉक्टरों को कोरोना का संक्रमण हो गया है। यह तीनों प्राइवेट अस्पताल में काम करते हैं। लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज के जूनियर रेजिडेंट को संक्रमण हो गया है। कर्नाटक के 63 साल के डॉक्टर भी चपेट में आ चुके हैं। इनके परिवार को क्वारेंटीन में रखा गया है। हम याद करते वक्त थोड़ी मेहनत करें। पता करें कि दुनियाभर में डॉक्टर और अस्पताल के स्टॉफ इस चुनौती से कैसे लड़ रहे हैं। अपने डॉक्टरों की सुरक्षा की चिंता के लिए सवाल करें और आवाज उठाएं। आज भी और बाद में भी। भारत के डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी पूरी तरह से लैस नहीं हैं। वह ड्यूटी पर जाने के लिए तैयार हैं मगर सैनिक को बगैर बंदूक के सीमा पर भेजना ही एकमात्र सैन्य कर्तव्य नहीं होता है। भारत में भी इसकी चुनौतियों को समझें। बहुत-सी चुनौतियां सरकार की लापरवाही के कारण हैं। उम्मीद की जाती है कि वह जल्दी दूर होंगी। हमारे डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना के इलाज के लिए जरूरी उपकरण मिलने चाहिए। उन्हें दस्तानें, मास्क, प्रोटेकटिव गियर की कमी नहीं होनी चाहिए। जोकि इस समय है। डॉक्टरों के पास  प्रोटेकटिव गियर नहीं है। चीन में डॉक्टरों को प्रे किया जाता है ताकि वह संक्रमित न हों। यही वक्त है ध्यान करने का। भारत के सरकारी अस्पतालों के ज्यादातर कर्मचारी ठेके पर रखे गए हैं। एंबुलेंस चलाने वाले या अन्य स्टॉफ को उन्हें उचित सैलरी नहीं मिलती। वेंटिलेटरों की भारी कमी है। मैं भारत ही नहीं, दुनिया के डॉक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों को सलाम करता हूं। इस कोरोना युग में यह फरिश्तों से कम नहीं हैं। जय हिन्द।

Wednesday, 25 March 2020

आर्थिक रूप से कमजोर तबके व मजदूर वर्ग को सहायता

कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए दिल्ली व उत्तर प्रदेश सरकार के आर्थिक रूप से कमजोर तबके को राहत देने के फैसले का स्वागत होना चाहिए। दिल्ली सरकार ने आर्थिक रूप से गरीब परिवारों के लिए चार बड़े फैसले लिए हैं। मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने शनिवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये प्रेस को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने पेंशन पाने वाले गरीब 8.5 लाख दिव्यांग, विधवाओं व बुजुर्गों की पेंशन अप्रैल माह में दोगुनी करने की घोषणा की है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने राशन कार्ड धारकों को मुफ्त में अप्रैल माह का 50 प्रतिशत बढ़ा हुआ 7.5 किलो राशन देने का ऐलान किया। केजरीवाल ने कहा कि वैसे तो हर महीने प्रत्येक परिवार को चार किलो गेहूं, एक किलो चावल और अलग से चीनी मिलती है। मोटे तौर पर एक व्यक्ति को पूरे माह के लिए पर्याप्त होता है। फिर भी हम इस महीने इसमें 50 प्रतिशत की वृद्धि कर रहे हैं। इसी तरह इस माह एक व्यक्ति को 7.5 किलो राशन दिया जाएगा और यह फ्री दिया जाएगा। वहीं अब दिल्ली के नाइट शेल्टरों में सुबह और रात का खाना भी निशुल्क मिलेगा और होटलों में रहकर पेड क्वारंटाइन करा रहे लोगों को जीएसटी से छूट दी जाएगी। वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना वायरस के कारण बंद हो रही व्यवसायिक और आर्थिक गतिविधियों से प्रभावित होने वाले उत्तर प्रदेश के ग्रामीण व शहरी इलाकों के 1.65 करोड़ से ज्यादा श्रमिकों को योगी सरकार अप्रैल में एक माह का राशन निशुल्क देगी। वहीं शहरी क्षेत्रों के 35 लाख मजदूरों को भरण-पोषण के लिए प्रतिमाह एक हजार रुपए भत्ता दिया जाएगा। यह राशि सीधे मजदूरों के बैंक खाते में भेजी जाएगी। इस पर करीब 150 करोड़ रुपए खर्च होंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि यह भुगतान डीबीटी के माध्यम से सीधे अकाउंट में भेजा जाएगा। उन्होंने मनरेगा मजदूरों को तुरन्त भुगतान देने का ऐलान किया है। 1.65 करोड़ से ज्यादा अंत्योदय योजना, मनरेगा और श्रम विभाग में पंजीकृत निर्माण श्रमिक एवं दिहाड़ी मजदूरों को एक माह का निशुल्क राशन अप्रैल में उपलब्ध होगा। हम दोनों दिल्ली सरकार और उत्तर प्रदेश सरकारों के इन फैसलों का स्वागत करते हैं। कोरोना वायरस से हालांकि सभी वर्ग प्रभावित हैं पर गरीब, दिहाड़ी मजदूर ज्यादा प्रभावित हैं। हम उम्मीद करते हैं कि अन्य राज्य सरकारें भी इसी तरह की योजना की अविलंब घोषणा करेंगी। इस महामारी ने तो गरीब तबके की कमर ही तोड़ दी है और जीने के लाले पड़ गए हैं। एक तरफ कोरोना का खतरा तो दूसरी तरफ चूला न जलने का जोखिम।
-अनिल नरेन्द्र

बेमिसाल रहा जनता कर्फ्यू, रचा इतिहास

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर रविवार को पूरा देश वर्षों बाद एकजुट दिखा। जनता कर्फ्यू की अपील का व्यापक असर दिखा। पूरे देश में लोगों ने अभूतपूर्व बंदी की। कोरोना वायरस का फैलाव रोकने की कवायद के मद्देनजर लोगों ने सामाजिक दूरी बनाए रखने की स्वत पहल की। लोग अपने घरों तक सीमित रहे। शहरों-गांवों-कस्बों में लोगों ने खुद को घरों में सीमित रखकर कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में पहली कामयाबी हासिल की। अत्यावश्यक वस्तुओं या सेवाओं से जुड़े प्रतिष्ठानों को छोड़कर सभी बाजार और संस्थान दिनभर बंद रहे। देशभर में सड़कें कमोबेश सुनसान रहीं। बामुश्किल कुछ निजी वाहन एवं बसें चलती दिखीं। सड़कों पर फलों-सब्जियों के कोई ठेले नहीं दिखाई दिए और लोगों ने खुद को घरों में कैद रखा। दिल्ली के कुछ इलाकों में सुबह कुछ लोग बाहर दिखाई दिए भी तो पुलिस वालों ने उन्हें फूल देकर घर वापस भेज दिया। जगह-जगह पर पुलिस की मुस्तैदी रही। शाम पांच बजे ठीक दिल्ली वालों ने दिनभर के मौन को थालियां, तालियां, घंटियां और शंख बजाकर तोड़ा और कोरोना की वजह से दिन-रात सेवा में जुटे आपातकालीन सेवा के कर्मचारियों का अभिवादन किया। लोग पांच बजे ही अपने घरों की छतों पर निकल आए और तालियां व थालियां बजाकर प्रधानमंत्री की इच्छा पूरी की। कहीं-कहीं आतिशबाजी हुई और भारत माता जय के नारे लगे। मानों बिना बोले हर कोई कोरोना के खात्मे की आवाज लगा रहा था। जैसे ही घड़ी की सूई पांच पर पहुंची तो लोग अपने घरों की बालकोनी, छतों पर पहुंच गए और जिस किसी के हाथ जो भी लगा बजाने लगे। इसके बाद गली-मोहल्लों से लेकर एनसीआर की सोसाइटियों में सभी ने कोरोना को हराने के लिए हुंकार भरी। तालियों की गड़गड़ाहट व बजती थालियों के शोर के बीच कोई भावुक था तो कोई जोश के साथ थाली पीट रहा था। कुछ जगहों पर लोगों ने पांच नहीं, 15 मिनट तक थाली व ताली से कर्मवीरों का आभार जताया। ऐसे में सभी लोग विश्वास व दृढ़ निश्चय से ही इस पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 14 घंटे के जनता कर्फ्यू को कोरोना के खिलाफ लड़ाई की शुरुआत बताया और कहा कि देशवासियों ने साबित कर दिया है कि एकजुट होकर वह किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं। उन्होंने ट्वीट कियाöआज जनता कर्फ्यू रात नौ बजे खत्म हो सकता है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हम जश्न मनाना शुरू कर दें। उन्होंने कहा कि खुद से लगाए गए कर्फ्यू की सफलता नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि यह लंबी लड़ाई की शुरुआत है। आज देशवासियों ने साबित कर दिया कि वह सक्षम हैं और एक बार जब वह तय कर लेते हैं तो वह किसी भी चुनौती का मुकाबला कर सकते हैं। मोदी ने जनता कर्फ्यू को सफल बनाने के लिए देशवासियों का आभार जताते हुए ट्वीट किया कि यह धन्यवाद का नाद है। लेकिन साथ ही एक लंबी लड़ाई में विजय की शुरुआत का भी नाद है। इसी संकल्प के साथ इसी संयम के साथ एक लंबी लड़ाई के लिए अपने आपको बंधनों (सोशल डिस्टेंसिंग) में बांध लें।

Tuesday, 24 March 2020

ईडी ने अनिल अंबानी से नौ घंटे पूछताछ की

यस बैंक के प्रोमोटर राणा कपूर और अन्य के खिलाफ मनी लांड्रिंग की जांच के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी से नौ घंटे तक पूछताछ की। जांच एजेंसी ने प्रीवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत उनका बयान भी रिकॉर्ड किया। उन्हें 30 मार्च को फिर बुलाया गया है। अधिकारियों ने बताया कि 60 वर्षीय उद्योगपति सुबह बेलार्ड पियर्स एस्टेट स्थित ईडी कार्यालय पहुंचे और शाम को करीब सात बजे कार्यालय से बाहर निकले। अंबानी समूह की कंपनियों ने नकदी के संकट से जूझ रहे यस बैंक से करीब 12,800 करोड़ रुपए का लोन लिया है। अनिल अंबानी को पहले सोमवार को पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन निजी करणों से उन्होंने इससे छूट हासिल कर ली थी। इसके बाद ईडी ने उन्हें 19 मार्च को पेश होने का नया समन जारी किया था। अधिकारियों के मुताबिक अंबानी यस बैंक के साथ ट्रांजेक्शन और अपने समूह की कंपनियों से जुड़ी जानकारी की ज्यादा सूचनाएं नहीं दे पाए। वह यही कहते रहे कि उन्हें विवरण याद नहीं है। इसलिए एजेंसी ने उन्हें दस्तावेजों और सूचनाएं एकत्र कर तैयारी के साथ 30 मार्च को फिर बुलाया है। उधर रिलायंस समूह के प्रवक्ता ने कहा कि यस बैंक के समूह के ऋण जोखिम पर अंबानी ने ईडी अधिकारियों से मुलाकात कर स्पष्टीकरण दिया है। प्रवक्ता ने यह भी कहा कि यस बैंक से लिया गया पूरा कर्ज सिक्यूर्ड है और उसे सामान्य कारोबार के क्रम में लिया गया था। कंपनी का कहना है कि विभिन्न परिस्थितियों के मौद्रिककरण कार्यक्रम के जरिये रिलायंस ग्रुप यस बैंक से लिए गए सभी कर्जों का भुगतान करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह कार्यक्रम काफी आगे बढ़ चुका है। कंपनी ने कहा है कि उसका यस बैंक के पूर्व सीईओ या उनकी पत्नी या बेटियों या राणा कपूर अथवा उनके परिवार द्वारा नियंत्रित किसी भी कंपनी से कोई प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष संबंध नहीं है। ऐसा ही बयान ग्रुप ने पिछले हफ्ते भी जारी किया था। ईडी द्वारा पूछताछ के लिए समन किए गए कुछ अन्य औद्योगिक समूहों के प्रमुख जांच एजेंसी के समक्ष पेश नहीं हुए। इनमें एस्सेल ग्रुप के प्रोमोटर सुभाष चन्द्रा और जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल शामिल हैं। सुभाष चन्द्रा संसद सत्र में व्यस्त होने और नरेश गोयल परिवार के सदस्य की बीमारी के कारण पेश नहीं हुए। मालूम हो कि सुभाष चन्द्रा जीटीवी के मालिक भी हैं और सांसद भी हैं। बहरहाल ईडी ने गुरुवार को उन्हें नया समन जारी किया और 21 मार्च को पेश होने को कहा था। हमें खुशी इस बात की है कि यस बैंकों को कथाकथित डुबाने वालों की जांच हो रही है और उनके रुतबे और स्टैंडिंग की परवाह नहीं की जा रही है। उम्मीद की जाती है कि अगर जांच में यह कसूरवार पाए जाते हैं तो इनसे फुल रिकवरी होगी ताकि गरीब जनता की जीवनभर की कमाई यूं नहीं लूटी जा सकती।
-अनिल नरेन्द्र

कनिका कपूर ने दर्जनों नेताओं को सांसत में डाला

महामारी बन चुके कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले में न जाने कब से इस बात का प्रचार हो रहा है कि किसी अकेले व्यक्ति की लापरवाही पूरे समाज को संक्रमित कर सकता है, पर फिर भी ऐसे किस्से सामने आ रहे हैं कि एक संक्रमित व्यक्ति ने न जाने कितनों को खतरे में डाल दिया है। मैं बेबी डॉल मैं सोने दी... गाने से पूरे देश में चर्चित हुई बॉलीवुड सिंगर कनिका कपूर की एक करतूत ने देश को दहशतजदा कर दिया है। लंदन से आई कनिका कपूर कोरोना वायरस से ग्रस्त होने के बावजूद कई पार्टियों में शामिल हुई। कनिका लंदन से 11 मार्च को लखनऊ लौटी थीं। विदेश से आने के बावजूद उन्होंने सरकार की तय एडवाइजरी को दरकिनार कर दिया और शहर में हाई-प्रोफाइल लोगों के बीच पार्टियां करती रहीं और बीच में कानपुर भी गईं। उन्होंने देश के लिए कितना बड़ा संकट खड़ा कर दिया है, इसका पता इससे चलता है कि वह जिस पार्टी में गईं उसमें दिल्ली, जयपुर आदि शहरों के भी लोग शामिल हुए। इनमें उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जयप्रताप सिंह, वसुंधरा राजे एवं उनके सांसद बेटे दुष्यंत सिंह भी हैं। दुष्यंत लखनऊ में पार्टी करने के बाद दिल्ली आए और राज्यसभा, संसदीय समितियों की मीटिंग यहां तक राष्ट्रपति भवन में भी एक समारोह में शामिल हुए। सांसद संजय सिंह, डेरिक ओबरॉयन समेत दर्जनों सांसद उनके सम्पर्प में आए। संजय सिंह और डेरिक ओबरॉयन तो सेल्फ आइसोलेशन में चले गए। वसुंधरा राजे ने ट्वीट करके कहा कि वह ठीक हैं और वह और उनके पुत्र दुष्यंत सेल्फ आइसोलेशन में हैं। कनिका कपूर के कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद अब यह अतिआवश्यक है कि उनके परिजनों के साथ उनके सम्पर्प में आने वाले दुष्यंत सरीखे सभी लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाए। इतना ही नहीं, उनकी भी निगरानी करनी होगी जो इन पार्टियों में गए लोगों से मिलेजुले। कनिका ने एक तरह से उसी खतरे को बढ़ाने का काम किया जिससे बचने के लिए देश युद्धस्तर पर जुटा हुआ है। उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य महानिदेशालय के मुताबिक लखनऊ में कनिका कपूर के 68 सम्पर्कों को चिन्हित किया गया है। इन सभी की जांच के नमूने लिए गए हैं। महानगर इलाके में गायिका का आवास है। यहां दुकानें आदि बंद करने के निर्देश हैं। ताज होटल को भी अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। योगी प्रशासन द्वारा कनिका कपूर के खिलाफ लखनऊ के सरोजिनी नगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। यह मामला 188, 269, 270 के तहत दर्ज हुआ है। कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले में देश अभी दूसरे दौर यानि उस स्थिति में है जहां इसकी पहचान हो जा रही है कि कौन किससे संक्रमित हुआ? यदि इसका पता लगाना मुश्किल हुआ कि कौन किससे संक्रमित हुआ तो फिर हालात हाथ से फिसल सकते हैं। यह घोर चिन्ताजनक है कि जैसी लापरवाही कनिका ने दिखाई वैसी ही कुछ अन्य भी दिखा रहे हैं। कोई खुद को अलग-थलग करने से इंकार कर रहा है तो कोई अस्पताल से भागा जा रहा है। यह आपातस्थिति है और इसमें किसी भी प्रकार की ढिलाई, लापरवाही के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। हम जल्द तीसरे दौर में प्रवेश करने वाले हैं।
�ो इस तरह की मदद दी जाती रही है, लेकिन इस बार का प्रस्ताव काफी बड़ा है और कुल धनराशि के लिहाज से दुनिया का कोई देश इसका मुकाबला नहीं कर सकता है।

अमेरिका के वॉर-टाइम प्रेजिडेंट डोनाल्ड ट्रंप

अमेरिका जैसे विकासशील देश में भी कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। अकेले न्यूयॉर्प में ही 4000 से ज्यादा लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। 26 की तो मौत भी हो चुकी है। कोरोना के मरीजों की संख्या में भारी इजाफे के बाद न्यूयॉर्प के मेयर बिल डी ब्लासियो ने सेना तैनात करने की मांग की है। इससे पहले कैलिफोर्निया में लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई है। करीब चार करोड़ लोगों को घर पर रहने के निर्देश दिए गए हैं। ग्रासरी स्टोर, फार्मा दुकानों और पेट्रोल पंप को इसकी छूट दी गई है। रेस्तरां को सिर्प टेक आउट डिलीवरी की मंजूरी दी गई है। अगर हम पूरे अमेरिका की बात करें तो वहां जानलेवा कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इस वायरस की चपेट में आने से अब तक 150 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि दो अमेरिकी सांसदों सहित 9300 लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने खुद को वॉर-टाइम प्रेजिडेंट बताते हुए घोषणा की है कि वह आपातकालीन शक्तियों का आह्वान कर रहे हैं। इसके माध्यम से उन्हें निजी क्षेत्र की क्षमता का उपयोग करने की अनुमति मिल जाएगी। उन्होंने कोरोना वायरस महामारी के बढ़ते प्रकोप के चलते यह निर्णय लिया है। कोविड-19 संक्रमण के चलते अमेरिका में 150 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि कोविड-19 के मामलों में वृद्धि देखने को मिल रही है इसलिए मैं डिफेंस प्रोटेक्शन एक्ट का आह्वान कर रहा हूं। हमें इसकी जरूरत पड़ सकती है। इन आपातकालीन शक्तियों के माध्यम से ट्रंप प्रशासन को राष्ट्रीय संकट के समय में आवश्यक सामग्रियों का तेजी से उत्पादन करने के लिए देश के स्थापित औद्योगिक आधार को अपने नियंत्रण में लेने की अनुमति प्राप्त हो गई है। व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने इसे चाइनीज वायरस के खिलाफ अमेरिका की जंग करार दिया। उन्होंने कहाöचाइनीज वायरस इज लाइफ वॉर। यह बेहद मुश्किल परिस्थिति है। राष्ट्रपति ट्रंप कोरोना महामारी के विनाशकारी आर्थिक प्रभाव का सामना करने में नागरिकों की मदद के लिए उन्हें सरकारी खजाने से सीधे धन हस्तांतरण करने की एक विशाल एवं अभूतपूर्व योजना की तैयारी कर रहे हैं। प्रत्यक्ष धन हस्तांतरण की राशि 500 अरब डॉलर हो सकती है। यह राशि भारत के वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के छठे हिस्से के बराबर है। यदि इस राशि को सभी अमेरिकी नागरिकों में समान रूप से बांट दिया जाए तो 33 करोड़ लोगों को एक-एक लाख रुपए से अधिक मिलेंगे। ट्रंप ने बुधवार को व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा कि अभी तक इस बारे में कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन कई मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि उनके प्रशासन ने इस संबंध में एक प्रस्ताव कांग्रेस को भेजा है। प्रस्ताव के अनुसार अमेरिकियों को प्रत्यक्ष धनराशि हस्तांतरण योजना 250-250 अरब डॉलर की दो किश्तों में होनी है, पहली अप्रैल की शुरुआत में और दूसरी मई के मध्य में। गंभीर आर्थिक संकट के समय में अमेरिका में नागरिकों को इस तरह की मदद दी जाती रही है, लेकिन इस बार का प्रस्ताव काफी बड़ा है और कुल धनराशि के लिहाज से दुनिया का कोई देश इसका मुकाबला नहीं कर सकता है।

Sunday, 22 March 2020

सात साल बाद जाकर निर्भया शुक्रवार को चैन की नींद सोई होगी

अंतत अभागिन निर्भया शुक्रवार को चैन की नींद सोई होगी। सात सालों के बाद आखिर वह दिन आ ही गया जब निर्भया के साथ घिनौना खेल खेलने वाले चारों दरिन्दों को शुक्रवार सुबह 530 बजे तिहाड़ जेल में फांसी के फंदे से लटका दिया गया। सात सालों के बाद निर्भया और उनके परिवार वालों को न्याय मिला। दोषियों के लिए बीती रात भयानक रही। यह पूरी रात सोए नहीं। बार-बार जेल कर्मियों से पूछते रहे कि क्या कोर्ट से कोई ऑर्डर आया? आखिरी लम्हों में वह बचने की हर कोशिश करते दिखे। अपने वकील से एक बार मिलने की जिद करते रहे। मौत की दहलीज पर खड़े होने के बावजूद उन्हें लग रहा था कि वकील उन्हें फांसी से बचा लेंगे। निर्भया के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के दोषियों को शुक्रवार सुबह ठीक 530 बजे फांसी दे दी गई। इस मौके पर जेल प्रशासन से जुड़े 50 से अधिक अधिकारी मौजूद रहे। इस दौरान वहां मौजूद जेल अधिकारियों ने ऐसी पुख्ता व्यवस्था की थी, जिसके चलते दोषियों को चीखने-चिल्लाने का कोई मौका नहीं मिला। शुक्रवार तड़के 315 बजे निर्भया के दोषियों को उनके सेल में जगा दिया गया। दैनिक क्रियाकलाप के बाद उन्हें नहलाया गया। इसके बाद उनकी इच्छा के अनुसार उन्हें चाय के साथ हल्का नाश्ता दिया गया। इसके बाद उन्हें सेल से बाहर फांसी घर की ओर ले जाने की प्रक्रिया शुरू की गई। नहाने के बाद उन्हें काले कपड़े पहनाकर तिहाड़ जेल संख्या-तीन के फांसी घर में ले जाया गया। इससे पहले चारों को सुबह की चाय भी मिली, लेकिन सभी दोषियों ने चाय नहीं पी। फांसी के तख्त पर पहुंचने से पहले कैदियों के हाथ पीछे से बांध दिए जाते हैं। फिर जल्लाद कैदियों के मुंह पर कपड़ा डालता है और दोषियों के गले में फांसी का फंदा डाल देता है। इसके बाद जल्लाद झटके से लीवर खींच देता है। भारत में लांग ड्रॉप के जरिये फांसी दी जाती है। इसमें दोषियों के वजन के हिसाब से रस्सी की लंबाई तय की जाती है, ताकि झटका लगते ही कैदी की गर्दन के साथ उसकी रीढ़ की हड्डी टूट जाए। यहां पर बता दें कि पूर्व में दिल्ली कि तिहाड़ जेल में वर्ष 2013 में अफजल गुरु को फांसी दी गई थी। भारत में कैदी को सुबह ही फांसी देने का प्रावधान है, लेकिन फांसी का समय महीने के हिसाब से अलग-अलग होता है। ज्यादातर सुबह छह से सात बजे के बीच फांसी दी जाती है। निर्भया मामले में कोर्ट ने डेथ वारंट जारी करते हुए सुबह 530 बजे फांसी का वक्त मुकर्रर किया था। इसके पीछे तर्प दिया जाता है कि जेल में बंद अन्य कैदी सो रहे होते हैं वहीं फांसी पर चढ़ने वालों को पूरे दिन का इंतजार नहीं करना पड़ता, इसलिए मुंह अंधेरे फांसी दी जाती है। फांसी के लिए मुकर्रर समय पर संबंधित कैदी या कैदियों को फांसी के तख्त के पास ले जाया जाता है। नियमों के मुताबिक इस दौरान जल्लाद के अतिरिक्त तीन अफसर जेल सुपुरिंटेंडेंट, मेडिकल ऑफिसर और मजिस्ट्रेट अनिवार्य रूप से साथ होते हैं। फांसी से ठीक पहले मजिस्ट्रेट दोषियों को पहचानने की बात बताने के बाद डेथ वारंट सुनाता है, जिस पर पहले से ही दोषियों के हस्ताक्षर होते हैं। 16 दिसम्बर 2012 में निर्भया के साथ हुई दरिन्दगी के बाद बेटी के लिए इंसाफ की लड़ाई लड़ने वाली उसकी मां आशा देवी ने चारों दोषियों को फांसी देने के बाद संतोष जताया। उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि आखिरकार निर्भया को इंसाफ मिल ही गया। उन्होंने कहा कि बेटी को तो वह बचा नहीं पाईं, लेकिन बेटी के हत्यारों को फांसी तक पहुंचाने का जो प्रयास उन्होंने लोगों के साथ मिलकर शुरू किया था वह आखिरकार न्यायपालिका के सफल प्रयास के बाद सम्पन्न हो गया। आशा देवी ने कहा कि निर्भया को इंसाफ तो मिल गया लेकिन अब भी उनका अभियान आगे जारी रहेगा और वह प्रयास करेंगी कि जिस तरह से इस मामले में दोषियों और उनके वकील के द्वारा मामले को लंबा लटकाने का प्रयास किया गया वह आगे किसी के साथ न हो। आशा देवी ने बताया कि जिस द्वारका अक्षरधाम अपार्टमेंट में उनका परिवार रहता है, वहां के लोगों ने भी पिछले 16 दिसम्बर 2019 से एक कैंडल जलाने का अभियान शुरू किया था। जो आखिरकार कल रात आखिरी रात साबित हुआ। आज तड़के 530 बजे फांसी होने के बाद यह 90 रात से चल रहा कैंडल अभियान पूरा हो गया। जहां हम आशा देवी की न हिम्मत हारने की भावना की तारीफ करते हैं वहीं उनकी वकील सीमा कुशवाहा की तारीफ भी करना चाहेंगे। निर्भया रेप केस में दोषियों के वकील एपी सिंह लगातार गलत वजहों से मामले को अंत तक लटकाते रहे वहीं इसी केस में एक वकील ऐसी भी रहीं जो हीरो बनकर सामने आई हैं। यह हैं सीमा कुशवाहा, जिन्होंने निर्भया के लिए निशुल्क सात साल से ज्यादा समय हिम्मत न हारते हुए केस को सही अंजाम तक पहुंचाया। वह निर्भया के साथ दरिन्दगी होने के बाद हुए प्रदर्शन में शामिल थीं। फिर हर घड़ी निर्भया के परिवार के साथ रहीं। उनका यह पहला केस भी बताया जा रहा है। 16 दिसम्बर 2012 को निर्भया केस के समय दिल्ली पुलिस के कमिश्नर रहे नीरज कुमार ने दोषियों को फांसी देने पर खुशी जाहिर करते हुए इसका स्वागत किया। कहाöदेर से मिला पर इंसाफ मिला। लेकिन इस केस को हमें भूलना नहीं है। हमारे क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम की कमियों को दूर किया जाना चाहिए। डार्प स्पॉट, सीसीटीवी, प्राइवेट और पब्लिक ट्रांसपोर्ट कर्मियों की वेरीफिकेशन, महिलाओं के प्रति मानसिकता बदलने का अभियान आदि पर जो सिफारिशें उस समय हमने की थीं, उस दिशा में देशभर में अभी बहुत काम करने की जरूरत है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि आज वह दिन है जब हम सब लोगों को मिलकर यह संकल्प करने की जरूरत है कि दूसरी निर्भया नहीं होनी चाहिए। हमारे सिस्टम के अंदर बहुत कमियां हैं जो गलत काम करने वालों को प्रोत्साहन देती हैं। पुलिस, कोर्ट, राज्य सरकार, केंद्र सरकारöसबको संकल्प लेना है कि हम सब मिलकर सिस्टम की खामियों को दूर करेंगे और भविष्य में किसी बेटी के साथ ऐसा नहीं होने देंगे। निर्भया केस में जिस तरह सात साल मामले को लटकाया गया उससे हमारे सिस्टम की कमियां उजागर हुईं। रेप और ऐसे घिनौने मामलों में कानून बदलना होगा। अपील दर अपील की व्यवस्था को बदलना होगा। यह काम संसद को करना है न कि अदालतों को। अदालतें तो वही करेंगी जो कानून के अंतर्गत आती हैं। जब तक कानून नहीं बदला जाएगा एपी सिंह सरीखे वकील इसका लाभ उठाते रहेंगे, मामले को लटकाते रहेंगे।

-अनिल नरेन्द्र

Saturday, 21 March 2020

कोरोना वायरस और चीनी खानपान

पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए मशहूर हैं। उनकी कोरोना वायरस पर जबरदस्त टिप्पणी है। उन्होंने पूरी दुनिया में फैलते कोरोना वायरस को लेकर चीन के लोगों को काफी खरी-खोटी सुनाई है। वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे महामारी घोषित कर दिया है। दुनियाभर के तमाम स्पोर्ट्स इवेंट पर भी इसका असर पड़ रहा है और कई सारे स्पोर्ट्स इवेंट्स इसके चलते या तो स्थगित कर दिए गए हैं या फिर रद्द कर दिए गए हैं। शोएब अख्तर ने यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो शेयर किया और कोरोना को लेकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि इतना कुछ खाने के लिए है लेकिन चीन के लोगों को चमगादड़, कुत्ता, बिल्ली, सांप और यहां तक कि बिच्छू खाने की क्या जरूरत है? पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) ने गत शुक्रवार को फैसला लिया कि पाकिस्तान सुपर लीग (पीएसएल) के बचे हुए मैच लाहौर में होंगे और सभी मैच बिना दर्शकों की उपस्थिति में ही खेले जाएंगे जिसमें सेमीफाइनल और फाइनल मैच भी शामिल हैं। इसके अलावा पीसीबी ने यह भी कहा कि प्लेऑफ मैचों की जगह टॉप चार टीमें 17 और 18 मार्च को सेमीफाइनल मैच खेलेंगे और 22 मार्च को फाइनल मैच खेला जाएगा। अख्तर ने कहा कि मेरे गुस्से का सबसे बड़ा कारण पीएसएल है, पाकिस्तान में क्रिकेट सालों बाद लौटा है और पहली बार पूरा पीएसएल सीजन पाकिस्तान में खेला जा रहा है और यह भी अब खतरे में है। विदेशी खिलाड़ी देश छोड़कर जा रहे हैं और मैच खाली स्टेडियम में खेले जाएंगे। अख्तर ने चीन के लोगों को जमकर लताड़ा और कहा कि उनकी खाने की आदतों की वजह से दुनियाभर के लोग खतरे में हैं। उन्होंने कहा कि मुझे समझ नहीं आता कि लोगों को क्यों चमगादड़ जैसी चीजें खानी हैं, उनका खून पीना है, उनका यूरीन पीना है और वायरस पूरी दुनिया में फैलाना है। मैं चीनी लोगों की बात कर रहा हूं। मुझे समझ नहीं आता कि आप कैसे चमगादड़, कुत्ते और बिल्ली जैसे जानवर खा सकते हैं। मैं बहुत गुस्से में हूं। अब पूरी दुनिया ही खतरे में है, टूरिज्म इंडस्ट्री पर असर पड़ा है, इकोनॉमी बुरी तरह गिर गई है, पूरी दुनिया मुश्किल में फंस गई है। उन्होंने आगे कहा कि मैं चीनी लोगों के खिलाफ नहीं हूं लेकिन मैं जानवरों के लिए इस कानून के खिलाफ हूं। मैं समझता हूं कि यह आपका कल्चर है, लेकिन इससे आपको फायदा नहीं मिल रहा है और इससे इंसानियत की मौत हो रही है। मैं आपको यह नहीं कह रहा कि आप चीनी लोगों को बॉयकाट करें, लेकिन इसके लिए कुछ कानून होना चाहिए। आप इस तरह से कुछ भी नहीं खा सकते हैं। कोरोना वायरस संक्रमण चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ था और अब दुनिया के कम से कम 100 देशों से ऊपर तक पहुंच चुका है। अभी तक पूरी दुनिया में 1.2 लाख से ज्यादा लोग इससे संक्रमित हैं।

-अनिल नरेन्द्र

भारत कोरोना की तीसरी स्टेज के लिए तैयार है

भारत में कोरोना वायरस को लेकर समय रहते सख्त कदम उठाने से स्थिति अभी तक नियंत्रण में है। स्वास्थ्य मंत्रालय 15 जनवरी के आसपास दिल्ली, मुंबई और कोलकाता हवाई अड्डे पर चीन से आने वालों की क्रीनिंग शुरू कर दी थी। साथ ही पूरे देश के स्वास्थ्य महकमे ने संभावित रोगियों की तलाश और निगरानी भी शुरू की। इसलिए 30 जनवरी को केरल में जब पहला संदिग्ध मरीज पहुंचा तो कोरोना की पुष्टि हुई और उपचार शुरू किया गया। हालांकि रोज मरीजों की संख्या में 20 प्रतिशत तक का अब इजाफा हो रहा है लेकिन कुल संक्रमितों की संख्या बेहद कम है। आज जितने सख्त कदम भारत उठा चुका है, उतने दुनिया में कहीं (चीन को छोड़कर) नहीं उठाए गए। पर हमें निगरानी कमजोर नहीं करनी है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के मुताबिक कोरोना वायरस का संक्रमण भारत में दूसरे स्तर पर है। मतलब यह कि फिलहाल संक्रमण उन्हीं लोगों तक फैला है जो संक्रमण वाले देशों से भारत आए या फिर उन लोगों में फैला जो संक्रमित लोगों के सम्पर्प में आए। आईसीएमआर के अनुसार कोरोना वायरस फैलने के चार चरण हैं। पहले चरण में वह लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए जो दूसरे देशों से संक्रमित होकर भारत आए। यह स्टेज भारत पार कर चुका है क्योंकि ऐसे लोगों से भारत में स्थानीय स्तर पर संक्रमण फैल चुका है। दूसरे चरण में स्थानीय स्तर पर संक्रमण फैलता है। लेकिन यह वो लोग होते हैं जो किसी न किसी ऐसे संक्रमित शख्स के सम्पर्प में आए जो विदेश यात्रा करके लौटे थे। तीसरा और थोड़ा खतरनाक स्तर है, कम्यूनिटी ट्रांसमिशन का, जिसे  लेकर भारत सरकार चिंतित है। कम्यूनिटी ट्रांसमिशन तब होता है जब कोई व्यक्ति किसी ज्ञात संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्प में आए बिना या वायरस से संक्रमित देश की यात्रा किए बिना ही इसका शिकार हो जाता है। पिछले दो सप्ताह में जितनी बार भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रेस वार्ता की है उसमें इस बात पर विशेष जोर दिया गया है कि भारत में अभी तीसरा चरण नहीं आया है। और चौथा चरण होता है, जब संक्रमण स्थानीय स्तर पर महामारी का रूप लेता है। 159 देशों में फैला कोरोना वायरस चीन, यूरोप के बाद अब दक्षिण पूर्व एशिया के लिए खतरा बना है। तीसरे चरण यानि कम्यूनिटी ट्रांसमिशन से निपटने के लिए कितना तैयार है भारत? कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि तीसरे चरण में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या में इजाफा होगा। फिलहाल भारत के पास जितने टेस्टिंग लैब हैं उनमें सभी लोगों के टेस्ट पूरे नहीं किए जा सकते। फिलहाल भारत सरकार के अनुसार देश में 70 से ज्यादा टेस्टिंग यूनिट हैं जो आईसीएमआर के अंतर्गत काम कर रहे हैं। आईसीएमआर के महानिदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव के मुताबिक इस हफ्ते के अंत तक करीब 50 और सरकारी लैब कोविड-19 की जांच के लिए शुरू होंगे। उसने यह भी दावा किया है कि 23 मार्च तक भारत में दो ऐसे लैब तैयार हो जाएंगे जहां 1400 टेस्ट रोज हो सकेंगे। इससे तीन घंटे में कोविड-19 की जांच की जा सकती है। भारत अगर कोरोना संक्रमण के तीसरे चरण में पहुंचता है तो ऐसा माना जा रहा है कि इस स्थिति से निपटने के लिए प्राइवेट लैब में भी कोरोना के जांच की जरूरत पड़ेगी। डॉक्टर भार्गव के मुताबिक पिछले दिनों प्राइवेट लैब्स ने ऐसी इच्छा जताई है कि वो कोरोना संक्रमण के तीसरे चरण में सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। लेकिन इस जांच के लिए किट की उन्हें जरूरत पड़ेगी। जो लैब्स सरकार के साथ सम्पर्प में हैं उनमें से एक हैं डॉक्टर अरविन्द लाल, लाल पैथ लैब के मालिक। उनके मुताबिक सरकार से बातचीत चल रही है कि एक टेस्ट पर कितना खर्च आएगा, प्राइवेट लैब इसके लिए लोगों से पैसा लेगी या सरकार उन्हें इस जांच के लिए मुफ्त किट मुहैया कराएगी। कोरोना के खतरे से बचने के लिए लोग मास्क खरीद रहे हैं। पर क्या यह कारगर हैं? कोरोना संक्रमण के लिए दो तरह की जांच की जरूरत पड़ती है। पहली बार में जिनका टेस्ट रिजल्ट पॉजिटिव आता है, उन्हीं को दूसरे स्तर के लिए जांचा जाता है। दोनों स्तर की जांच के लिए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक एक टेस्ट पर 3000 रुपए का खर्च आता है। पहले स्तर के लिए 1500 रुपए तक का खर्च आता है। चाहे स्कूलों में छुट्टियां करने की बात हो, जनता कर्फ्यू की बात हो या फिर विदेश जाने और आने पर पाबंदी लगाने की बात हो समय-समय पर सरकार ने इन सबके लिए जरूरी दिशानिर्देश जारी कर जानकारी दी है। पर्याप्त मात्रा में प्रचार-प्रसार भी किया। सरकार की इस तरह की पहल से  लोगों में जागरुकता बढ़ी है और लोग सावधानी बरतने लगे हैं। जरूरत अब और ज्यादा ध्यान करने की है क्योंकि हम तीसरे स्टेज में प्रवेश कर रहे हैं। कोरोना को हराना है, इस पर पूरा देश एक हो।

Friday, 20 March 2020

तीन माह से रोड बंद, लोग हलकान

कालिंदी पुंज से सरिता विहार के बीच रोड नम्बर 13ए पिछले तीन माह से बंद है। इस वजह से यहां से रोजाना गुजरने वाले उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा के सात लाख लोगों को परेशानी हो रही है। रोड बंद होने के कारण लोग रोजाना दो घंटे के करीब जाम में फंस रहे हैं। इसके अलावा स्थानीय दुकानदारों को अब तक करोड़ों रुपए का नुकसान हो चुका है। दिल्ली सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण की आशंका के चलते यहां चल रहे प्रदर्शन पर रोक लगा दी। लेकिन प्रदर्शनकारी हैं कि यहां से हटने को तैयार नहीं हैं। रोड खोलने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिए दो वार्ताकार नियुक्त किए थे। कई दौर की बातचीत के बाद भी रोड खोलने को लेकर कोई नतीजा नहीं निकल पाया। पुलिस अधिकारी, स्थानीय दुकानदार और आसपास के लोगों ने कई बार प्रदर्शनकारियों से एक तरफ की रोड खोलने का आग्रह किया, लेकिन प्रदर्शनकारी हैं कि अपनी मांग पूरी हुए बिना हटने को तैयार नहीं हैं। इस बात को लेकर नियमित रूप से इस रोड का इस्तेमाल करने वालों और आसपास के इलाके में रहने वाले लोगों में बहुत गुस्सा है। कोरोना वायरस के खतरे के बीच मंगलवार को शाहीन बाग पहुंचे पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों की प्रदर्शनकारियों से तीखी बहस हो गई। अधिकारियों ने वायरस के खतरे को देखते हुए प्रदर्शन खत्म करने की अपील की तो वह भड़क उठे और धरना जारी रखने का ऐलान किया। अधिकारियों ने करीब दो घंटे तक कानून का हवाला देकर समझाया, लेकिन वह नहीं मानें। बातचीत विफल होने पर प्रशासन की ओर से कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। उधर प्रशासन व पुलिस के शाहीन बाग पहुंचने की सूचना पर लोगों की भीड़ अचानक बढ़ गई। दिल्ली सरकार ने कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए एक स्थान पर 50 से अधिक लोगों के एकत्र होने पर रोक लगाई है। आदेश के उल्लंघन पर केस दर्ज कर गिरफ्तारी हो सकती है। सड़क घेरकर चल रहे शाहीन बाग के प्रदर्शन में शामिल होने के लिए रोज बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। शाम को यहां बुजुर्गों, महिलाओं, बच्चों और पुरुषों का बड़ा जमावड़ा होता है। भीड़ को देखते हुए मंगलवार दोपहर पुलिस व प्रशासन के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे थे। उन्होंने कोरोना के खतरे के मद्देनजर सरकार के आदेशों का हवाला देते हुए उनसे अपने घरों में जाने को कहा। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच तीखी कहासुनी हुई। प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट कह दिया कि वह रास्ते से एक इंच भी नहीं हटेंगे। इसी दौरान प्रदर्शन स्थल पर लोगों की भीड़ बढ़ती चली गई। मुझे यह समझ नहीं आ रहा कि जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में यह स्पष्ट कर दिया कि कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा तो फिर अब क्या झगड़ा बचा है। और किसी की खातिर नहीं अपनी सुरक्षा के लिए (कोरोना वायरस) प्रदर्शनकारियों को अपना आंदोलन खत्म कर देना चाहिए और अपने घरों में सुरक्षित लौट जाना चाहिए।

-अनिल नरेन्द्र

गोगोई ने न्यायपालिका की निष्पक्षता से किया समझौता

सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा का सदस्य नामित किए जाने पर चौतरफा सवाल उठ रहे हैं। विपक्ष के साथ अब सुप्रीम कोर्ट के कई पूर्व जस्टिसों ने इसकी आलोचना की है। सुप्रीम कोर्ट के ही उनके साथी रहे जस्टिस कुरियन जोसेफ (रिटायर्ड) ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने (गोगोई) ने न्यायपालिका की आजादी और निष्पक्षता के पवित्र सिद्धांत के साथ समझौता किया है। जस्टिस जोसेफ ने कहा कि राज्यसभा में खुद को मनोनीत किए जाने पर पूर्व चीफ जस्टिस द्वारा पद स्वीकार किए जाने से न्यायपालिका की स्वतंत्रता में लोगों का विश्वास कमजोर हुआ। न्यायपालिका की स्वतंत्रता संविधान का मूल आधार है। जस्टिस कुरियन ने कहा कि मैं हैरान हूं, न्यायपालिका की स्वतंत्रता बरकरार रखने को लेकर दृढ़ता व साहस दिखाने वाले जस्टिस गोगोई ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता, निष्पक्षता के सिद्धांतों से कैसे समझौता कर लिया? उनके कदम से न्यायपालिका के प्रति लोगों का भरोसा डिगा है। 2018 में हुई सुप्रीम कोर्ट के जजों की प्रेस कांफ्रेंस में जस्टिस गोगोई के साथ जस्टिस कुरियन भी थे। रिटायर्ड जस्टिस मदन बी. लोकुर ने कहा कि पिछले कुछ समय से यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि जस्टिस गोगोई को क्या सम्मान मिलेगा? इसलिए मनोनीत होना हैरानी वाली बात नहीं है। हैरानी तो इस बात की है कि इतनी जल्दी नॉमिनेशन मिल गया। यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और अखंडता को फिर से परिभाषित करता है। क्या आखिरी गढ़ गिर गया है? रिटायर्ड जस्टिस जे. चेलमेश्वर ने इस मामले में कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है। गोगोई के मनोनीत किए जाने पर एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि किसी जज के रिटायर्ड होने के दो साल तक उसे कोई पद नहीं लेना चाहिए। सरकार को बताना चाहिए कि अचानक क्या हो गया? कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह न्यायपालिका पर हमला है। वहीं कांग्रेस के कार्यकाल में रंगनाथ मिश्रा को राज्यसभा में लाने पर सफाई दी कि अगर हमने गलत किया तो आप भी गलत करेंगे? उल्लेखनीय है कि रंगनाथ मिश्रा को कांग्रेस ने अपने कोटे से राज्यसभा का सांसद बनाया था। उन्होंने कहा कि गोगोई को रिटायर हुए चार महीने हुए हैं। हमारी नहीं तो अपनों (जेटली) की सुन लें। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि न्यायपालिका सरकार और प्रशासन के खिलाफ जनता का आखिरी हथियार है। आज पूरे देश में उसकी स्वतंत्रता पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। वहीं चर्चा यह भी है कि राज्यसभा में मनोनयन के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी के नाम पर भी विचार हुआ था। पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने लगातार उठ रहे सवालों पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि वह चाहते हैं कि राष्ट्र निर्माण के लिए न्यायपालिका और विधायिका मिलकर काम करे और दोनों के बीच बेहतर तालमेल हो इसलिए राज्यसभा की सदस्यता को स्वीकार किया। विपक्षी दलों के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं संभवत बुधवार को दिल्ली जाऊंगा... मुझे शपथ ग्रहण करने दीजिए, फिर विस्तार से मीडिया को बताऊंगा कि मैंने राज्यसभा की सदस्यता क्यों स्वीकार की। भगवान मुझे शक्ति दे कि मैं संसद में स्वतंत्र रूप से अपनी बात रख सपूं।

Thursday, 19 March 2020

खेल जगत पर कोरोना का काला साया

कोरोना वायरस की काली छाया खेल जगत पर भी पड़ी है। भारत में आईपीएल भी इसका शिकार हो गया है, अन्य पतियोगिताएं पभावित हुई हैं। अब तो टोक्यो ओलंपिक पर भी खतरा मंडराने लगा है। शायद ही किसी ने सोचा होगा कि एक दिन ऐसा भी आएगा जब खाली स्टेडियम में मैच खेले जाएंगे या छोटे-बड़े तमाम आयोजनों को स्थगित करना पड़ेगा। इतना ही नहीं खेल इतिहास में सबसे बड़े खेल आयोजन ओलंपिक पर भी संकट गहरा सकता है। भले ही विगत में रूस और अमेरिका की टकराहट के चलते दो महाशक्तियों की मेजबानी वाले ओलंपिक बायकाट का शिकार हुए लेकिन किसी बीमारी या महामारी के कारण कभी ओलंपिक खेल खतरे में नहीं पड़े थे। कोरोना वायरस ने महामारी का रूप धारण कर खेल जगत को दहला दिया है, जिस कारण से 24 जुलाई से 8 अगस्त तक टोक्यो में आयोजित होने वाले ओलंपिक खेलों पर संकट गहराता जा रहा है। हालांकि जापान के पधानमंत्री शिंजो आबे ने शनिवार को कहा कि ओलंपिक योजना के अनुसार ही होगा। दुनियाभर में लगभग दो लाख के करीब लोग संकमित हो चुके हैं और इससे लगभग 8 हजार लोगों की मौत हो गई है, लेकिन आबे ने कहा कि इस वायरस के कारण आपात स्थिति घोषित करने की उनकी कोई इच्छा नहीं है और उन्होंने कहा कि आयोजन योजना के अनुसार ही जुलाई में होगा। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दो दिन पहले सुझाव दिया था कि कोरोना वायरस संकमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए ओलंपिक को एक साल के लिए स्थगित कर देना चाहिए। आबे ने पेस कांपेंस में कहा ः हम संबंधित अधिकारियों के साथ बातचीत करने के बाद ही जवाब देंगे जिसमें अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति शामिल है। उन्होंने आगे कहा कि हम इस संकमण पर काबू पाकर बिना किसी परेशानी के योजना के अनुसार ओलंपिक का आयोजन करना चाहते हैं। आयोजकों, जापान सरकार के अधिकारियों और आईओसी ने कहा कि तैयारियां सही चल रही हैं और इन्हें स्थगित या रद्द नहीं किया जाएगा। ट्रंप के सुझाव के बाद शुकवार को आबे ने उनसे फोन पर बात की लेकिन इसमें उन्होंने इनके स्थगित करने पर कोई चर्चा नहीं की। जापान में अब तक 800 से ज्यादा लोग कोरोना वायरस से संकमित हो चुके हैं और 29 लोगों की मौत भी हो चुकी है। उधर फुटबाल की फीफा ने शुकवार को सिफारिश की कि मार्च और अपैल में होने वाले सभी अंतर्राष्ट्रीय फुटबाल मैचों को कोरोना वायरस के बढ़ते संकमण को देखते हुए स्थगित कर दिया जाए। विश्व फुटबाल संचालन संस्था ने कहा कि मार्च और अपैल में क्लबों को अपने खिलाड़ियों को राष्ट्रीय टीम में भेजने से मना करने की अनुमति होगी। फीफा ने कहा कि वह एशिया और दक्षिण अफीका दोनों में स्थगित हुए 2022 विश्व कप के लिए क्वालिफाई मैचों की तारीखों के निर्धारण पर काम कर रहा है। फीफा ने कहा कि मार्च और अपैल में पहले निर्धारित किए गए सभी अंतर्राष्ट्रीय मैचों को तब तक स्थगित किया जाएगा जब तक उन्हें कोरोना वायरस से सुरक्षित माहौल नहीं मिल जाता।

-अनिल नरेन्द्र

पीएम बताएं बैंकों के 50 टॉप डिफाल्टर कौन हैं?

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के एक सवाल पर सोमवार को लोकसभा में जमकर हंगामा हुआ। सरकारी रवैए से नाराज कांग्रेस सांसदों ने सदन से बर्हिगमन कर दिया। हुआ यूं कि लोकसभा में पश्नकाल के दौरान राहुल गांधी ने सवाल पूछा कि भारतीय बैंकों के वो 50 सबसे बड़े कर्ज गबन करने वाले कौन हैं? उनके नाम क्या हैं? राहुल ने कहा, भारतीय इकोनामी बुरे दौर से गुजर रही है। हमारी बैंकिंग व्यवस्था काम नहीं कर रही है। बैंक नाकाम हो रहे हैं। इसका असल कारण है, बैंकों से पैसों की चोरी। मैंने पूछा था कि टॉप 50 विलफुल डिफाल्टर्स में कौन हैं? मुझे कोई जवाब नहीं दिया गया। पधानमंत्री जी कहते हें कि जिन लोगों ने हिन्दुस्तान के बैंकों से चोरी की है, उनको पकड़कर लाऊंगा, मैंने पधानमंत्री जी से पूछा कि वे 50 लोग कौन हैं? और मुझे इसका जवाब नहीं मिला, घुमा-फिराकर कुछ जवाब दिए गए। कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया। पश्नकाल में राहुल का नम्बर अंतिम में आया। वहीं सरकार की ओर से जब अनुराग ठाकुर ने जवाब देना शुरू किया तो राहुल ने पूछा-वित्तमंत्री क्यों नहीं दें रहे जवाब? जवाब में अनुराग ठाकुर ने कहा कि केन्द्राrय सूचना आयोग की वेबसाइट पर एक लाख से बड़े डिफाल्टर्स के नाम है। इस सवाल के माध्यम से राहुल कांग्रेस का पाप दूसरे के सिर पर फोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, अनुराग ने कहा, यस बैंक में अफरातफरी का परोक्ष जिक करते हुए उन्होंने राणा कपूर द्वारा पियंका की पेंटिंग खरीदने की भी चर्चा की। अनुराग ने कहा कि कांग्रेस राज में गलत तरीके से कर्ज बांटे गए। मोदी सरकार सख्ती से ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। इसी बीच मध्याह्न 12 बजे स्पीकर ने पश्नकाल खत्म करने की घोषणा कर दी। कांग्रेस के सदस्यों ने वेल में आकर नारेबाजी शुरू कर दी। राहुल ने भी लगातार पूरक पश्न का समय मांगा। राहुल गांधी को पश्नकाल में अनुपूरक पश्न पूछने की अनुमति नहीं दिए जाने पर कांग्रेस सदस्यों ने कड़ी आपत्ति जताई और इसके विरोध में आसन के समक्ष आकर नारेबाजी भी की। सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस पर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि यह सरासर नाइंसाफी है कि राहुल गांधी को अनुपूरक पश्न नहीं करने दिया गया जबकि पश्न काल समाप्त होने में अभी काफी समय बाकी बचा है। इसके बाद कांग्रेस सदस्य इसके विरोध में सदन से वाकआउट कर गए। अनुराग ठाकुर ने यह भी कहा कि मुझे कुछ लोग कह रहे हैं कि पेंटिंग और पोट्रेट पर बात करो कि पेंटिंग किसने बेची और किसको बेची। मैं वो भी कह सकता था कि किसके खाते में पैसा गया और कहां पर गया। लेकिन मैंने यह सब नहीं कहा क्योंकि हम लोग इस पर राजनीति नहीं कर रहे हैं। लेकिन कांग्रेस की ओर से अधीर रंजन चौधरी ने इस मुद्दे पर जवाब देते हुए कहा कि एमएफ हुसैन की एक पेटिंग तकरीबन दो करोड़ रुपए में बेची गई थी ये पेंटिंग राजीव गांधी पोट्रेट तस्वीर थी, जिसे एमएफ हुसैन ने बनाया था। जिसे गांधी परिवार ने राणा परिवार को बेचा था। पूरा मामला 2010 का है। पुनर्गठन में ये शर्त रखी गई है कि अगर आपने यस बैंक के 100 से अधिक शेयर खरीदे हैं तो इसमें से 75 फीसदी हिस्सेदारी को तीन साल के लिए लॉक इन कर दिया जाएगा। यानी तीन साल तक आप ये शेयर नहीं बेच सकेंगे।

Wednesday, 18 March 2020

और अब पेट्रोल-डीजल पर सरकार की मार

कच्चे तेल (कूड) की कीमतों में ऐतिहासिक गिरावट के बाद देशवासियों को उम्मीद थी कि सरकार अब पेट्रोल और डीजल की कीमतों में काफी कमी करेगी और जनता को थोड़ी राहत मिलेगी। पर ऐसा नहीं हुआ। उलटा केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल दोनों पर उत्पाद शुल्क (एक्साइज ड्यूटी) में तीन-तीन रुपए प्रति लीटर की वृद्धि कर दी है। इससे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट का पूरा लाभ आम उपभोक्ताओं को देने की बजाय खुद सरकार ने अपनी आमदनी में 39,000 करोड़ सालाना की वृद्धि कर ली है। सरकार ने 2014-15 की तरह एक बार फिर से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई भारी गिरावट का लाभ पूरी तरह उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचाने का कदम उठाया है। हालांकि गनीमत यह है कि इस वृद्धि से पेट्रोल-डीजल की खुदरा कीमतों में कोई वृद्धि नहीं होगी। पेट्रोलियम उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कर बदलाव का कोई असर नहीं होगा क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों ने इसे कच्चे तेल की कीमतों में हाल में आई गिरावट के साथ समायोजित कर दिया है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर व सीमा शुल्क बोर्ड की जारी अधिसूचना के अनुसार पेट्रोल पर विशेष उत्पाद शुल्क दो रुपए बढ़ाकर आठ रुपए प्रति लीटर कर दिया गया है। डीजल पर यह शुल्क दो रुपए बढ़कर अब चार रुपए लीटर हो गया है। सरकार ने नवम्बर, 2014 से जनवरी 2016 के दौरान पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में नौ बार बढ़ोतरी की है। इन 15 माह की अवधि में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 11.77 रुपए और डीजल पर 13.47 रुपए प्रति लीटर बढ़ाया है। इससे 2016-17 में सरकार का उत्पाद शुल्क संग्रह 2014-15 के 99,000 करोड़ रुपए से दोगुना से अधिक होकर 2,42,000 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बैंचमार्प कच्चे तेल का दाम जनवरी के बाद से अब तक करीब आधा होकर 32 डॉलर प्रति बैरल तक नीचे आ चुका है। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में गिरावट का लाभ लोगों को नहीं देने को लेकर कांग्रेस ने केंद्र पर तीखा हमला बोला है। पार्टी ने उत्पाद शुल्क बढ़ाने को सरकार की मनमानी करार देते हुए तत्काल पेट्रोल-डीजल के साथ रसोई गैस की कीमतें घटाने की भी मांग की है। साथ ही यह भी ऐलान किया है कि आम लोगों को फायदा होने के बजाय टैक्स बढ़ाकर खजाना भरने के मुद्दे पर संसद के मौजूदा स्तर में पार्टी इस मुद्दे को जोरशोर से उठाएगी। आम आदमी पार्टी (आप) ने भी इस वृद्धि के लिए सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। आरोप है कि सरकार आम आदमी की जेब पर डाका डाल रही है। बाइक और स्कूटर में डलने वाला पेट्रोल जहाज के ईंधन से महंगा हो गया है। पार्टी दफ्तार में मीडिया से बात करते हुए आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता राघव चड्ढा ने कहा कि पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर केंद्र सरकार ने लगभग 16 लाख करोड़ रुपए का खजाना तैयार कर लिया है। बीते छह साल में 12 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई गई है। आज पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं। मांग की कि देश में चरम पर पहुंची बेरोजगारी और कोरोना के खौफ के बीच केंद्र सरकार को तत्काल प्रभाव से पेट्रोल व डीजल की कीमतों को कम करना चाहिए। इससे आम लोगों को थोड़ी राहत मिलेगी। राघव ने कहा कि इस समय दिल्ली में पेट्रोल 69.87 रुपए व डीजल 62.50 रुपए प्रति लीटर मिल रहा है। वहीं एविएशन फ्यूल की कीमत 56.86 रुपए प्रति लीटर है। यही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 15 साल पहले वाली है।

-अनिल नरेन्द्र

चीन से शिफ्ट हुआ यूरोप कोरोना वायरस

चीन के वुहान से फैलना शुरू हुआ कोरोना वायरस अब पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लेता जा रहा है। शुरुआत में इसका कहर चीन पर टूटा था, लेकिन अब कोरोना का नया ठिकाना यूरोप बनता जा रहा है। पहले इसका केंद्र एशिया का चीन था, लेकिन अब यूरोप के इटली, स्पेन और इंग्लैंड सबसे बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। इटली में तो हैरानी की बात यह है कि कोरोना वायरस से मरने वालों ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। एक दिन में इतने लोगों की मौत हो रही है, जिसकी द्वितीय विश्वयुद्ध में औसतन एक दिन में नहीं हुई थी। कोरोना ने इटली को कितनी बुरी तरह जकड़ लिया है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि रविवार को महज 24 घंटे यानि एक दिन में ही 368 लोगों की मौत हो गई। यह दुनिया में कोरोना वायरस से एक दिन में मौत का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इससे एक दिन पहले ही 24 घंटे में 250 लोगों की मौत हुई थी, जो सबसे बड़ा आंकड़ा था। यानि कोरोना से मौत के मामले में अगर द्वितीय विश्वयुद्ध को देखें तो पता चलता है कि एक दिन में करीब 207 लोगों की मौत हुई थी। जबकि कोरोना से एक दिन में पहले 250 और फिर एक दिन में 368 मौतें हुईं। हालांकि करीब छह साल तक चले द्वितीय विश्वयुद्ध की कोरोना वायरस से कोई तुलना नहीं हो सकती है। लेकिन यकीनन औसतन मौतों को देखें तो यह तो पता चल ही जाता है कि कोरोना कितना खतरनाक होता जा रहा है। इटली में कोरोना संक्रमण के कारण अब तक 1441 लोगों की मौत हो चुकी है और 21,157 लोग संक्रमित हो चुके हैं। जबकि 1966 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। स्पेन में रविवार को कोरोना से संक्रमण के करीब 2000 नए मामलों की पुष्टि हुई जबकि 24 घंटे में 100 से अधिक लोगों की मौत हुई है। इटली के बाद स्पेन यूरोप का कोरोना वायरस से दूसरा सबसे अधिक प्रभावित देश है। स्पेन में संक्रमितों की संख्या 7753 तक पहुंच गई है जिनमें से 288 लोगों की मौत हो चुकी है। हालात की गंभीरता को देखते हुए स्पेन की सरकार ने पूरे देश में लगभग बंदी लागू कर दी है। अगले 15 दिनों में दुकानें, बार, रेस्तरां, सिनेमा, स्कूल व विश्वविद्यालय को बंद करने के साथ ही पूरी आबादी पर यात्रा प्रतिबंध लगाए हैं। कई इलाकों में तो सेना की तैनाती की गई है। स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज की पत्नी बेगोना गोमेग कोरोना वायरस से संक्रमित पाई गई हैं। साथ ही कई अन्य स्पेनिश राजनेता भी कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने लंदन का अपना विश्व प्रसिद्ध बर्मिंघम पैलेस छोड़ दिया है और उन्हें विंडसर कैसल ले जाया गया है। शाही परिवार के सूत्रों ने बताया कि उनकी सेहत अच्छी है, लेकिन उनका स्टॉफ कोरोना वायरस को लेकर घबराया हुआ है। यदि कोरोना का प्रकोप हो गया तो उन्हें और प्रिंस फिलिप को सेंड्रिधम में अलग रखा जाएगा। वहीं महारानी के 94वें जन्मदिन में कुछ ही हफ्ते रह गए हैं। पैलेस दुनियाभर से आने वाले नेताओं की लगातार मेजबानी करता रहता है।