कच्चे
तेल के सबसे बड़े निर्यातक सऊदी अरब ने कीमतों में कटौती की घोषणा और उत्पादन बढ़ाने
के फैसले के बाद अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमतों में भारी गिरावट देखी गई। सोमवार
को कच्चे तेल की कीमतों में करीब 30
प्रतिशत की भारी गिरावट हुई और भाव 2216 रुपए प्रति
बैरल पर आ गए। तेल उत्पादक देशों के बीच उत्पादन को लेकर सहमति नहीं बन पाने के कारण
प्रमुख तेल निर्यातक सऊदी अरब ने कीमतों में भारी कटौती का ऐलान किया, जिसके कारण वायदा बाजार में ब्रेंट कूड लगभग 30 प्रतिशत
गिर गया। ब्रेंट की कीमत 12.70 डॉलर टूटकर 32.57 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। कारोबार के दौरान सुबह एक समय यह 31.02 डॉलर प्रति बैरल तक उतर गया था जो फरवरी 2016 के बाद
का निचला स्तर है। कच्चे तेल के उत्पादन को सीमित रखने को लेकर ओपेक तथा गैर-ओपेक देशों के बीच हुआ समझौता टूटने के बाद सऊदी अरब ने कीमतों में जबरदस्त
कटौती की घोषणा की है। ओपेक तथा गैर-ओपेक देशों की गत सप्ताहांत
हुई बैठक में उत्पादन में कटौती पर सहमति नहीं बन पाई। इनके बीच हुआ पिछला समझौता इस
महीने के अंत में समाप्त हो रहा है। रूस उत्पादन में कटौती के लिए तैयार नहीं है। ओपेक
ने इसका प्रस्ताव किया था। सऊदी अरब ने कहा है कि तीन साल पहले हुआ पिछला समझौता समाप्त
होने के बाद अप्रैल में वह उत्पादन में एक करोड़ बैरल प्रतिदिन की बढ़ोतरी करेगा। इधर
भारत में इसका प्रभाव दिखना शुरू हो गया है। देश में तेल की कीमतों में कमी आई है।
दिल्ली में एक हफ्ते में एक लीटर पेट्रोल की कीमत में 2.50 रुपए
और डीजल की कीमत में 2.30 पैसे प्रति लीटर की गिरावट आई है। दिल्ली
में बुधवार को पेट्रोल 70.29 और डीजल 63.01 रुपए प्रति लीटर हो गया है। 2020 में अब तक पेट्रोल के
दाम में पांच रुपए गिर चुके हैं। इतनी गिरावट के बाद पेट्रोल-डीजल के दाम आठ-नौ महीने के सबसे निचले स्तर पर आ गए
हैं। वहीं कांग्रेस का आरोप है कि कच्चे तेल के दाम में गिरावट के अनुरूप केंद्र सरकार
दाम नहीं घटा रही है। रही-सही कसर कोरोना वायरस ने निकाल दी है।
पेट्रोल और डीजल की कीमतों का यह पिछले आठ महीने का निचला स्तर है। ऑल इंडिया पेट्रोलियम
डीलर्स एसोसिएशन के प्रेजिडेंट अजय बंसल का कहना है कि जिस हिसाब से कूड के दाम गिर
रहे हैं, उसके चलते पेट्रोल और डीजल के खुदरा दामों में सात-आठ रुपए प्रति लीटर की गिरावट बनती है, बशर्ते सरकार
टैक्स में कोई बढ़ोतरी न करे।
-अनिल नरेन्द्र
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