Saturday 14 March 2020

मुजरिमों के दांव-पेंच जारी लेकिन फांसी की तारीख वही रहेगी?

देश को झकझोर देने वाले निर्भया कांड के गुनाहगारों को फांसी देने के लिए चौथी बार डेथ वारंट जारी होना यह स्वत बता रहा है कि इसके पहले तीन बार ऐसे ही वारंट जारी किए गए और वह निप्रभावी रहे। इसके चलते देश को यही संदेश गया कि न्याय में देरी भी है और अंधेर भी। पता नहीं कि यह चौथा वारंट आखिरी साबित होने वाला है या गुनाहगारों और उनके वकील द्वारा अब भी कोई दांव-पेंच बचा है? निर्भया के गुनाहगार मुकेश की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर क्यूरेटिव पिटिशन दोबारा दाखिल करने की इजाजत मांगी गई है जिस पर सुप्रीम कोर्ट 16 मार्च को सुनवाई करेगा। वहीं बाकी मुजरिमों के वकील एपी सिंह ने बताया कि आने वाले हफ्ते में उनकी ओर से भी अर्जी दाखिल की जाएगी और फांसी पर रोक की गुहार लगाई जाएगी। इस तरह देखा जाए तो मुजरिम कोई भी कानूनी दांव-पेंच आजमाने से नहीं चूक रहे लेकिन कानूनी जानकार बताते हैं कि अब फांसी की तारीख 20 मार्च सुबह 530 बजे नहीं बदलनी चाहिए। मुकेश के वकील एमएल शर्मा की ओर से दाखिल अर्जी में कहा गया है कि उसे साजिश का शिकार बनाया गया है। उसे नहीं बताया गया कि लिमिटेशन एक्ट के तहत क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने के लिए तीन साल तक का वक्त होता है। इस तरह से देखा जाए तो उसके मौलिक अधिकार से वंचित किया गया है, इसी कारण रिट दाखिल की गई है। इस मामले में तुरन्त सुनवाई की गुहार लगाई गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए 16 मार्च की तारीख तय कर दी है। इस बीच विनय, अक्षय और पवन के वकील एपी सिंह ने बताया कि विनय की ओर से अर्जी दाखिल की जाएगी जिसमें उसकी दया याचिका खारिज करने के दिल्ली सरकार की सिफारिश को चुनौती दी जाएगी। सिंह ने बताया कि जब विनय की दया याचिका दायर की गई थी तब दिल्ली में चुनाव चल रहा था और आचार संहिता लागू थी, इस मौके पर कैसे दिल्ली के मंत्री ने दया याचिका खारिज करने की सिफारिश कर दी, यह सवाल अदालत के सामने उठाया जाएगा। क्या कहते हैं जानकारöहालांकि कानूनी जानकार करण सिंह बताते हैं कि चारों गुनाहगारों की रिव्यू, क्यूरेटिव और मर्सी पिटिशन खारिज हो चुकी है। आखिरी मर्सी पिटिशन खारिज होने के 14 दिन बाद फांसी की तारीख तय की गई है। शत्रुघ्न चौहान जजमेंट के तहत जो अनिवार्यता थी उसे पूरा किया गया है। ऐसे में एक फांसी की तय तारीख 20 मार्च को ही फांसी होनी चाहिए। वकील मनीष भदौरिया बताते हैं कि मर्सी खारिज होने के बाद पहले भी सुप्रीम कोर्ट में रिट पिटिशन दाखिल होती रही है लेकिन ऐसा सिलसिला अंतहीन नहीं हो सकता। मर्सी खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में रिट और रिट खारिज होने के बाद दोबारा मर्सी पिटिशन दाखिल होता रहा तो वह सिलसिला कभी खत्म ही नहीं होगा। दोषी की मर्जी है कि वह अर्जी दाखिल करे और वह आखिरी दम तक कोशिश कर सकता है। लेकिन अब शायद ही फांसी की तारीख टल पाए। अगर सुप्रीम कोर्ट को लगेगा कि सुनवाई के लिए फांसी पर रोक जरूरी है तभी फांसी टल सकती है अन्यथा नहीं। वैसे मौजूदा केस में अब फांसी की तारीख 20 मार्च, सुबह 530 बजे फांसी की तारीख बदलने की संभावना नहीं है।

-अनिल नरेन्द्र

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