Thursday, 26 March 2020

अपनी जिंदगी खतरे में डाल बचा रहे हैं दूसरों की जान

देशभर में कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच डॉक्टर अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना पीड़ितों का लगातार उपचार कर रहे हैं। इस संकट की बेला में तो उन्हें भगवान का दर्जा दें तो सही होगा। डॉक्टर्स का कहना है कि वह इन दिनों बिना छुट्टी किए 16 से 20 घंटे तक लगातार मरीजों का उपचार करने में जुटे हैं ताकि मरीज स्वस्थ होकर घर जा सकें। आरएमएल के सीनियर डॉक्टर पवन कुमार ने बताया कि वर्तमान में वह दिन-रात कोरोना पीड़ित मरीजों के इलाज में लगे हुए हैं। उनके साथ कई डॉक्टर, मेडिकल स्टूडेंट्स और नर्सों की टीमें काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि मरीजों से सीधे तौर पर डॉक्टर सम्पर्प में आते हैं, जोकि अपने आपमें खतरनाक है। लेकिन डॉक्टर जान जोखिम में डालकर मरीजों को बचाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। वहीं एयरपोर्ट पर आने वाले कोरोना पीड़ित यात्रियों की सीधे सम्पर्प में आकर जांच करने वाले नर्सिंग अफसर यशवंत शर्मा का कहना है कि वह विदेश से आने वाले यात्रियों की लगातार जांच कर रहे हैं। इन दिनों एयरपोर्ट पर ही 16 से 20 घंटे की ड्यूटी कर रहे हैं, जिसके चलते कई बार वह घर भी नहीं पहुंच पाते। यशवंत शर्मा ने बताया कि लोगों को बचाने के लिए नर्सिंग स्टॉफ लगातार जान हथेली पर रखकर अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूरा स्टॉफ हाई रिस्क जोन में रहकर काम कर रहा है, जोकि बहुत खतरनाक है। लेकिन लोगों की जान बचाना उससे भी ऊपर है। उन्होंने बताया कि एक फ्लाइट से उतरने वाले यात्रियों की संख्या करीब 150 होती है। ऐसे में कई बार जांच करते समय यात्रियों को इंतजार करना पड़ता है, जिसके चलते वह नर्सिंग स्टाफ पर ही गुस्सा दिखाते हैं। स्टॉफ को इन दिनों ऐसे लोगों का भी सामना करना पड़ता है, जो रूटीन में नहीं करना पड़ता था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में हमारे बहादुर डॉक्टरों को विशेष रूप से धन्यवाद दिया। हम जब भारत के हैल्थ वर्परों को याद करते हैं तो इस वक्त कोरोना से लड़ते हुए उन तमाम डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को भी याद करें जो भारत के नहीं हैं। इटली में कोरोना का इलाज करते हुए 13 डॉक्टरों की मौत हो गई है। 2629 स्वास्थ्य कर्मी संक्रमित हो गए हैं। वह भी जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं। इटली में 50 से अधिक डॉक्टरों को कोरोना का संक्रमण हुआ है। 57 साल के डॉक्टर मारसेलो नताली की कोरोना से मौत हो गई, वह कोडोना शहर में फ्रंट लाइन पर संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे थे। यहीं से इटली में महामारी का प्रकोप फैलना शुरू हुआ था। डॉक्टर नताली ने शिकायत भी की थी कि उनके पास दस्तानें नहीं हैं। उसके बाद उन्हें वायरस ने पकड़ लिया। साथी डॉक्टर उन्हें वेंटिलेटर पर रखना चाहते थे मगर
डॉ. नताली ने दूसरे मरीज का हक छीनना सही नहीं समझा। उन्हें इलाज मिलने में देरी हो गई। वह नहीं रहे। उनकी पत्नी नर्स हैं और उनके दो बच्चे हैं। कनाडा के डॉक्टर एलेन गौथियर एक वेंटिलेटर से नौ मरीजों का इलाज कर रहे हैं। उनके इस कार्य की हर जगह तारीफ हो रही है। उन्होंने इस मशीन को यूट्यूब में वीडियो देखने के बाद खुद ही बनाया है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के गिलगित क्षेत्र में 26 वर्षीय एक डॉक्टर की कोविड-19 के रोगियों का उपचार करते समय कोरोना वायरस के सम्पर्प में आने से मौत हो गई। देश में इस वायरस से किसी डॉक्टर की मौत का यह पहला मामला है। अधिकारियों ने बताया कि उसका इंचार्ज हाल में ईरान और इराक से लौटे रोगियों का उपचार कर रहे थे। पाकिस्तान की सीमाएं कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित ईरान और चीन से लगती है। पाकिस्तान में अब तक छह लोगों की इस वायरस से मौत हो चुकी है और लगभग 1000 लोगों की इसकी चपेट में आने की खबर है। चीन में कई डॉक्टरों और नर्स की मौत हो चुकी है। बहुत से संक्रमित भी हुए। नर्स लियो जिमिंग के पति की मौत हो गई। वह डॉक्टर थे। एक फार्मसिस्ट सौंग जो 28 साल के थे वायरस से नहीं बच सके। चीन के ली वेनलिन की मौत को न भूलें। वुहान मेडिकल हॉस्पिटल के ली ने 20 दिसम्बर को ही साथी डॉक्टरों को बताया था कि मुझे कोरोना वायरस है। खतरनाक हो सकता है। उनकी बात पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। उलटा प्रताड़ित किया गया। बहुत से डॉक्टर इटली और अन्य देशों में वायरस से संक्रमित होकर भी इलाज कर रहे हैं। कारण डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की भयंकर कमी है। भारत में राजस्थान के तीन डॉक्टरों को कोरोना का संक्रमण हो गया है। यह तीनों प्राइवेट अस्पताल में काम करते हैं। लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज के जूनियर रेजिडेंट को संक्रमण हो गया है। कर्नाटक के 63 साल के डॉक्टर भी चपेट में आ चुके हैं। इनके परिवार को क्वारेंटीन में रखा गया है। हम याद करते वक्त थोड़ी मेहनत करें। पता करें कि दुनियाभर में डॉक्टर और अस्पताल के स्टॉफ इस चुनौती से कैसे लड़ रहे हैं। अपने डॉक्टरों की सुरक्षा की चिंता के लिए सवाल करें और आवाज उठाएं। आज भी और बाद में भी। भारत के डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी पूरी तरह से लैस नहीं हैं। वह ड्यूटी पर जाने के लिए तैयार हैं मगर सैनिक को बगैर बंदूक के सीमा पर भेजना ही एकमात्र सैन्य कर्तव्य नहीं होता है। भारत में भी इसकी चुनौतियों को समझें। बहुत-सी चुनौतियां सरकार की लापरवाही के कारण हैं। उम्मीद की जाती है कि वह जल्दी दूर होंगी। हमारे डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना के इलाज के लिए जरूरी उपकरण मिलने चाहिए। उन्हें दस्तानें, मास्क, प्रोटेकटिव गियर की कमी नहीं होनी चाहिए। जोकि इस समय है। डॉक्टरों के पास  प्रोटेकटिव गियर नहीं है। चीन में डॉक्टरों को प्रे किया जाता है ताकि वह संक्रमित न हों। यही वक्त है ध्यान करने का। भारत के सरकारी अस्पतालों के ज्यादातर कर्मचारी ठेके पर रखे गए हैं। एंबुलेंस चलाने वाले या अन्य स्टॉफ को उन्हें उचित सैलरी नहीं मिलती। वेंटिलेटरों की भारी कमी है। मैं भारत ही नहीं, दुनिया के डॉक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों को सलाम करता हूं। इस कोरोना युग में यह फरिश्तों से कम नहीं हैं। जय हिन्द।

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