Wednesday, 14 September 2016

रामभक्त हनुमान की शरण में राहुल गांधी

राम मंदिर आंदोलन के बाद उत्तर प्रदेश की सत्ता से दूर हुई कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी अपनी किसान यात्रा के चौथे दिन अचानक अयोध्या पहुंचे। वर्ष 1992 में विवादित ढांचा ध्वस्त के बाद अयोध्या की यात्रा करने वाले नेहरू-गांधी परिवार के वह पहले सदस्य हैं। अयोध्या के विवादित स्थल से लगभग एक किलोमीटर दूर स्थित हनुमानगढ़ी में हनुमान जी के दर्शन किए पर भगवान राम के उस शिलान्यास स्थल से दूर रहे जहां वर्ष 1989 में राम मंदिर के निर्माण की आधारशिला रखी गई थी। शुक्रवार सुबह उन्होंने हनुमानगढ़ी मंदिर के दर्शन किए और शायद प्रधानमंत्री बनने के लिए आशीर्वाद मांगा होगा। इस दौरान जब मंदिर के पुजारी ने राहुल से राम मंदिर के बारे में सोचने को कहा तो वह मुस्कराते हुए आगे बढ़ गए। इसके बाद हनुमानगढ़ी सगरिया पट्टी के महंत ज्ञान दास से बंद कमरे में मुलाकात की। हालांकि राहुल गांधी विवादित परिसर में राम लल्ला के दर्शन करने नहीं गए। रामभक्त हनुमान के दर्शन करके ही लौट आए। राजनैतिक हल्कों में कई निहितार्थ को जन्म देने वाली अपनी अयोध्या यात्रा के पीछे कांग्रेस की खाटी हिन्दुत्व से परहेज रखने वाली पार्टी की छवि बदलने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। राहुल की अयोध्या की यह यात्रा कांग्रेस के एजेंडे में हिन्दुत्व की हल्की छुअन देख रहे हैं। सियासी बिसात पर राहुल के हर कदम को होशियारी से आगे बढ़ा रहे चुनावी चाणक्य माने जाने वाले प्रशांत किशोर की मंत्रणा से कांग्रेस ब्राह्मण-केंद्रित रणनीति के साथ आगे बढ़ती दिख रही है। शीला दीक्षित की नियुक्ति भी इसी रणनीति का हिस्सा है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की पिछले महीने हुई वाराणसी की यात्रा के भी निहितार्थ निकाले गए। 1992 में भी सोनिया अयोध्या नहीं गई थीं वह चुनाव अभियान में फैजाबाद से ही लौट गई थीं। करीब 27 साल से प्रदेश की सत्ता से दूर कांग्रेस को सूबे में फिर से सियासी ताकत बनाने की योजना तैयार करने वाले प्रशांत किशोर का मानना है कि कांग्रेस को ब्राह्मण, मुस्लिम तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के बाहुल्य इलाकों में विधानसभा का चुनाव जीतना चाहिए। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उत्तर प्रदेश में महज रायबरेली और अमेठी की सीटें ही जीत पाई थी। प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में मात्र 29 विधायकों वाली कांग्रेस अपना पुराना गौरव वापस पाने को बेताब है। वैसे बता दें कि 1989 में राजीव गांधी ने अयोध्या से शुरू की थी अपनी चुनावी यात्रा तब पार्टी दोनों लोकसभा और विधानसभा में हारी थी। राजीव ने रामराज्य के नारे के साथ यहीं से चुनाव अभियान छेड़ा था। कांग्रेस तब से यूपी में सत्ता से बाहर है। कांग्रेस की हिन्दू विरोधी छवि से मुक्ति का यह प्रयास है। कांग्रेस ने एक कमेटी बनाई थी। इसकी रिपोर्ट थी कि कांग्रेस की छवि अल्पसंख्यक समर्थक ज्यादा से ज्यादा हिन्दू विरोधी हैं। पार्टी इसे सुधारना चाहती है। पूर्व पीएम इंदिरा गांधी कई बार हनुमानगढ़ी गई थीं। राहुल दादी की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए ही हनुमान जी के दर्शन करने पहुंचे। कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने 27 साल यूपी बहाल का नारा रचा है। वे इसे लोगों के दिमाग में बैठाना चाहते हैं। इसी रणनीति के तहत राहुल अयोध्या पहुंचे।

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