भारत का अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को बेनकाब
करने की मुहिम रंग लाने लगी है। यह भारत के लिए संतोष का विषय है कि दो अमेरिकन जनप्रतिनिधियों
ने पाकिस्तान को आतंकवाद प्रायोजित करने वाला मुल्क करार देने से जुड़ा विधेयक अमेरिकी
कांग्रेस में पेश कर दिया है। अमेरिका की प्रतिनिधि सभा में पाक को आतंकी देश घोषित
करने वाला विधेयक पेश होना तथा दूसरी ओर राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा
संयुक्त राष्ट्र संघ में नाम लिए बिना पाक को छद्म युद्ध बंद करने की चेतावनी ऐसी घटनाएं
हैं, जिसकी पाकिस्तान को कतई उम्मीद नहीं रही होगी। एचआर
6069 या द पाकिस्तान स्टेट स्पांसर ऑफर टेरेरिज्म डेजिगनेशन एक्ट के
नाम इस बिल के आने के चार महीने के अंदर अमेरिका प्रशासन को इस मामले पर औपचारिक रुख
तय करना होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति को 90 दिन के भीतर एक रिपोर्ट
जारी करनी होगी। इसमें इस बात की विस्तृत जानकारी दी जाएगी कि पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय
आतंकवाद को बढ़ावा दिया कि नहीं? इसके 30 दिन बाद यूएस सैकेटरी ऑफ स्टेट को एक फालोअप रिपोर्ट पेश करना होगा। इसके तहत
यह तय करना होगा कि पाकिस्तान आतंकवाद प्रायोजित करने वाला मुल्क है। बिल का ऐलान करते
हुए टेक्सास शहर के कांग्रेस मैन टेड पो और केलीफोर्निया के कांग्रेस मैन डेना शेअर
वकर ने मंगलवार को कहाöपाकिस्तान न केवल एक भरोसा न करने लायक
सहयोगी है, बल्कि वह कई सालों से अमेरिका के दुश्मनों को मदद
देता रहा है। उसने न केवल ओसामा बिन लादेन को पनाह दी, बल्कि
उसके हक्कानी नेटवर्प से भी अच्छे रिश्ते हैं। वक्त आ गया है कि हम पाकिस्तान को उसकी
धोखेबाजी के लिए पैसे देना बंद करें और उसे वह दर्जा दें जिसका वह हकदार है। टेड ने
जम्मू-कश्मीर के उड़ी स्थित भारतीय सैन्य मुख्यालय पर हुए हमले
की भी निन्दा की। बता दें कि वर्तमान अमेरिकी कांग्रेस अपने आखिरी दौर में है। कई साल
बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि जब पाकिस्तान को आतंकवादी मुल्क घोषित करने को लेकर औपचारिक
बातचीत शुरू हुई है। पाक कहां तो संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मुद्दे को सतह पर लाना
चाहता है, लेकिन महासचिव बॉन की मून ने अपने भाषण में उसका जिक्र
तक नहीं किया और दूसरी ओर उसके सिर पर अमेरिका के कूटनीतिक हथौड़े पड़ने आरंभ हो गए
हैं। उड़ी हमले के बाद भारत के अंदर पैदा हुए माहौल को ध्यान में रखते हुए ही अमेरिकी
राष्ट्रपति ने पाक के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को मिलने का समय तक नहीं दिया। अमेरिका
का यह रुख पाक के लिए जहां बड़ा झटका है, वहीं भारत के
]िलए एक शानदार कूटनीतिक सफलता है। यह विधेयक पारित हो या न हो,
लेकिन भारतीय कूटनीति ने अमेरिका को यहां तक ला दिया है तो कम से कम
इसका कुछ परिणाम अवश्य आएगा और वह पाकिस्तान के पक्ष में नहीं होगा।
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