Saturday 17 September 2016

...तो इसलिए पाकिस्तान चीन पर कुर्बान है

यह किसी से छिपा नहीं है कि चीन-पाकिस्तान के आपसी संबंध गहरे होते जा रहे हैं। भारत के खिलाफ चीन पाकिस्तान को हर तरह की संभव मदद कर रहा है। ताजा घटनाक्रम में भारत के मुकाबले पाकिस्तानी सेना को मजबूत करने हेतु चीन ने उसे आठ डीजल श्रेणी की पनडुब्बियां देने का फैसला किया है। पाकिस्तान को यह पनडुब्बियां 2028 तक प्राप्त होंगी। पाकिस्तान की अगली पीढ़ी की पनडुब्बी कार्यक्रम के प्रमुख और वरिष्ठ नौसेना अधिकारी ने इस्लामाबाद में रक्षा मामलों की संसदीय समिति के सांसदों को यह जानकारी दी है। यह सौदा चार से पांच अरब डॉलर का है। माना जा रहा है कि चीन बेहद कम ऋण दरों की आसान किस्तों में यह रकम अपने सदाबहार दोस्त पाकिस्तान से लेगा। अप्रैल में पाक नौसेना के अधिकारी ने कराची शिपयार्ड एंड इंजीनियरिंग वर्क्स ने आठ पनडुब्बियों में से चार का निर्माण करने का ठेका हासिल किया है। विश्लेषकों का कहना है कि चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी टाइप 038 और टाइप 041 श्रेणी की जिन पारंपरिक पनडुब्बियों का इस्तेमाल करती है, उनका हल्का संस्करण पाकिस्तान को दिया जाएगा। यह सौदा ऐसे समय हुआ है जब भारत को फ्रांस से मिलने वाली परमाणु ऊर्जा चालित स्कार्पीन पनडुब्बी का डाटा लीक हुआ है। इन पनडुब्बी के शामिल होने के साथ हिन्द महासागर में भारतीय नौसेना चीन को टक्कर देने की स्थिति में आ जाएगी। 2023 तक चीन पाकिस्तान को पहली चार पनडुब्बियां सौंपेगा। चार अन्य पनडुब्बियों का निर्माण कराची में 2028 तक होगा। छह किंग श्रेणी की पनडुब्बी भी पाकिस्तान को चीन से मिलनी है अगले साल तक। तीन अगस्ता 90बी श्रेणी की पाक की पनडुब्बियों को तुर्की में अपग्रेड किया जा रहा है। पाक-चीन सैन्य गठजोड़ में 2015 अगस्त में चीन की मदद से कराची में 10 अरब डॉलर के परमाणु रिएक्टर के निर्माण का कार्य शुरू हो चुका है। सितम्बर 2015 में चीन ने पाक को टाइप 99 के 300 युद्ध टैंक देगा। 2017 से शुरू होगी इसकी आपूर्ति। 2016 में अप्रैल में पाक-चीन ने जेएफ-17 लड़ाकू विमान के अपग्रेड का कार्य शुरू किया। जून 2016 में हुए करार के मुताबिक पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह का विकास चीन कर रहा है। कहा जा रहा है कि चीन का अब तक का विदेश में यह सबसे बड़ा निवेश होगा। पाकिस्तान और चीन के बीच बन रहे चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) को गेम चेंजर कहा जा रहा है। सीपीईसी तीन हजार किलोमीटर लंबा रूट होगा। इसे बनने में 15 साल से ज्यादा का वक्त लगेगा। इसमें हाइवे, रेलवे और पाइप लाइन के जरिये चीन के शिनजियांग से पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को जोड़ा जाएगा। प्रोजेक्ट का कुल खर्च 75 बिलियन डॉलर अनुमानित है।
-अनिल नरेन्द्र



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